अध्यक्ष संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रतिलिपि: संयुक्त राष्ट्र महासचिव 26 जुलाई 1993


आदरणीय अध्यक्ष महोदय,

मुझे आपको यह सन्देश हमारे देश की चिन्ताजनक स्थिति को देखते हुए भेजना पड़ रहा है जो आर्मेनिया द्वारा जारी बढ़ते हुए आक्रमण से पैदा हुई है जिसका उद्देश्य है प्रभुतासम्पन्न आज़रबैजान राज्य की भूमि को खण्डित करना। 

आज़रबैजान अन्तरराष्ट्रीय विधि के सिद्धान्तों और मानदण्डों के प्रति प्रतिबद्ध है और हमने आर्मेनिया द्वारा हम पर थोपे गए खूनी टकराव की समाप्ति के लिए यूरोपीय शान्ति और सहयोग सम्मेलन की मध्यस्थता को अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा और सहयोग के विचारों तथा इस अन्तरराष्ट्रीय संगठन के सदस्यों के कर्तव्यों को ध्यान में रखते हुए स्वीकार किया है। टकराव के समाधान की लम्बी और कठिन प्रक्रिया के दौरान आज़रबैजान की सरकार ने इस टकराव के शान्तिपूर्ण हल का प्रयास करते हुए और साथ ही अधिक-से-अधिक लचीलापन तथा रचनात्मकता दिखाते हुए खून-खराबे को रोकने और बातचीत के लिए मजबूत आधार तैयार करने की दिशा में बहुत अधिक प्रयास किया है। परन्तु आर्मेनिया द्वारा विश्व-समुदाय तथा आज़रबैजान के सामने अपने कर्तव्यों का बुरी तरह से उल्लंघन किए जाने से शान्तिपूर्ण प्रयास विफल हो रहे हैं।

यूरोपीय शान्ति और सहयोग सम्मेलन की मन्त्रिपरिषद द्वारा पारित मीन्स्क सम्मेलन के निर्णय को दो साल से भी अधिक हो चुके हैं परन्तु आज के समय में तो उसका पालन वास्तविकता से बहुत दूर दिखाई दो रहा है। जहाँ एक साल पहले हम शूशा और लाचिन को छुड़ाने की बात करते थे जो उस समय की स्थिति की ओर लौटने का एकमात्र रास्ता था जैसी स्थिति मन्त्रिपरिषद द्वारा पारित उस निर्णय के समय थी और इस तरह से मीन्स्क सम्मेलन में शामिल होने का रास्ता भी खुलता था, वहाँ आज की स्थिति यह है कि आर्मेनियाई आक्रमणकारियों ने आज़रबैजान की भूमि का सत्रह प्रतिशत से भी अधिक भाग हथिया लिया है। कराबाख़ का सारा पहाड़ी भाग उनके कब्जे में है, उन्होंने लाचीन जिले पर (दक्षिणी भाग पर मई 1992 में और उत्तरी भाग पर अप्रैल 1993 में), केल्बाजार जिले पर, नख़्चिवान स्वायत्त गणतन्त्र पर, गज़ाख़, फ़िज़ूलिन, ज़न्गिलन और अग्दाम जिलों पर भी कब्जा जमा लिया है। कुल मिला कर आबादी वाले 503 इलाके उनके कब्जे में हैं; शरणार्थियों और प्रवासियों की कुल संख्या 5,67,000 हो गई है। 

आर्मेनिया ने पहले तो राजनीतिक आक्रमण शुरू करते हुए नागोर्नी कराबाख़ को अपनी भूमि में मिलाने का विश्वासघाती फ़ैसला किया, फिर वहाँ अपने लोग और आतंकवादी तथा हथियार भेजने शुरू कर दिए और अब तो, यूरोपीय शान्ति और सहयोग सम्मेलन तथा संयुक्त राष्ट्र की अपीलों और निर्णयों की उपेक्षा करते हुए जिनमें सुरक्षा परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव संख्या 822 भी शामिल है, आज़रबैजान की धरती पर आर्मेनिया व्यापक सैन्य कार्रवाई करने में लगा हुआ है। उक्त प्रस्ताव संख्या 822 में स्पष्ट कहा गया है कब्जा करनेवाली सेना को आज़रबैजान से बाहर निकल जाना चाहिए। इस प्रस्ताव को अमल में लाने के मध्यस्थ के रूप में यूरोपीय शान्ति और सहयोग सम्मेलन के प्रयासों को आर्मेनियाई पक्ष ने पूरी तरह अस्वीकार करके उसकी वैध माँग को ठुकरा कर विफल कर दिया है और ऊपर से अनुचित शर्तें भी प्रस्तुत कर दी हैं। आर्मेनिया गणराज्य की ऐसी गतिविधियों के फलस्वरूप मारिओ राफ़ाएल्ली की इस क्षेत्र की पिछली यात्राओं की तरह अन्तिम यात्रा से भी ऐसी कोई आशा दिखाई नहीं दी कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव का शीघ्र ही अमल हो सकेगा और खून-खराबा रुक सकेगा जिसकी बहुत समय से प्रतीक्षा की जा रही है। 

आर्मेनियाई पक्ष की ऐसी दलीलें बिल्कुल निराधार हैं कि नागोर्नी कराबाख़ में लगी हुईं आर्मेनिया की फ़ौजी यूनिटें आदेश को नहीं मान रही हैं। आर्मेनिया गणराज्य द्वारा इन यूनिटों को भारी हथियार, युद्ध-सामग्री और सैनिक पहुँचाने का काम तथा सैन्य गतिविधियों का प्रत्यक्ष संचालन कब्जा किए हुए लाचीन जिले के रास्ते किया जा रहा है।

राफ़ाएल्ली के मिशन के प्रस्थान के बाद आए विराम का फ़ायदा उठाते हुए आर्मेनिया की सेना ने एक नया बड़ा हमला बोल कर अग्दाम शहर पर कर लिया है। इस विश्वासघाती कार्रवाई से शान्ति-प्रक्रिया को बहुत बड़ा आघात पहुँचा है जो वैसे भी अभी तक ठीक से शुरू ही नहीं हो पाई थी। आज़रबैजान की पिछली सरकार ने सुरक्षा परिषद को आगाह कर दिया था कि इस प्रक्रिया के लम्बे खिंचने से ऐसी खतरनाक स्थिति पैदा हो रही है जो किसी महाविपत्ति का रूप ले सकती है। 

वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र घोषणा-पत्र के अनुसार सुरक्षा परिषद को प्रदत्त अधिकारों के आधार पर सुरक्षा परिषद को इस मामले में अवश्य दखल देना चाहिए।

आक्रमणकारी की गतिविधियों को रोकने, रक्तपात बन्द करने और कब्जा की हुई आज़रबैजान की भूमि को मुक्त कराने के लिए बिना देरी किए आवश्यक उपाय किए जाने चाहिए। 

निवेदन है कि उपरोक्त विषय के सम्बन्ध में सुरक्षा परिषद की बैठक तुरन्त बुलाई जाए।

हैदर अलीयेव

आज़रबैजान गणराज्य के कार्यवाह्क राष्ट्रपति

आज़रबैजान गणराज्य की सर्वोच्च सोवियत के अध्यक्ष

समाचार-पत्र "बकीन्स्की रबोची", 29 जुलाई 1993