आज़रबैजान प्रजातंत्र के राष्ट्रपति हैदर अलीयेव का आठवीं अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी और सम्मेलन केस्पियन तेल और गैस - 2001 के बाकू खेलखूद-प्रदर्शनी हॉल में उदघटन समारोह में भाषण, 5 जून 2001


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प्रदर्शनी और सम्मेलन के सम्मनित भाग लेनेवालो।

आदरणीय अतिथियो, श्रीमाती और श्रीमान,

आप को आठवीं अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी और सम्मेलन केस्पियन तेल और गैस -2001 के उदघटन के अवसर पर हार्दिक बधाई देता हूँ।

आठ साल हो गये कि आजरबैजान में निरंतर अंतर्राष्ट्रीय तेल और गैस की प्रदर्शनी, सम्मेलन आयोजित होता है। इस प्रदर्शनी से परिचय, निःसंदेह विश्व की तेल कंपनियों के बीच अनुभव के विनमय के लिये और सम्मेलन में की जानेवाली बातचीत, विचार-विनिमय, रायें इस प्रदर्शनी के हरेक भाग लेनेवाले के लिये और तेल-गैस उद्योग में काम करनेवाले हरेक देश के लिये अत्यंत लाभदायक है।

यह संयोग से न है कि यहीं आजरबैजान में केस्पियन तेल और गैस के बारे में 8वीं अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी आयोजित किया गया है। पता है कि आजरबैजान पुराना तेल का देश है। बाकू ही में, आजरबैजान में पहली बार तेल औद्योगिक तरीके से उत्पादन किया गया था। अर्थः आजरबैजान, बाकू में तेल उत्पादन विश्व की मानव-जाति के लिये बहुत जरूरी प्रकृतिक धन-तेल के प्रयोग का आधार बनाया गया था। इन दौरान में आजरबैजान बड़े रास्ते से गुजर गया। पिछले जमाने में विश्व के बड़े कारोबारी लोग, जो बाद में तेल कंपनी बनाये थे, आजरबैजान में तेल उत्पादन में कार्या करते रहे और उस ने अपनी देन विश्व में दी है.

पहले आजरबैजान में तेल जमीन में से निकाला जाता है। यह संयोग की बात न है कि आजरबैजान को अग्नी के देश कहा जाता है। अभी मैं इस शब्द के अर्थ को , उसको कहां से पैदा होने की बात न करूँगा। पर हमारे ऐतिहासिक विज्ञानिकों की इस के अनुसार जमीन की गहराईयों में से गैस का आना, इस को बिना इंसान की सहायता से आजरबैजान में जलना, इसको दरआसल में अग्नी के क्षेत्र बनाया और ऐतिहासिक लिहाज से आजरबैजान अग्नी का देश जैसे मालूम था।

आज मैं साहसी तौर पर कह सकता हूँ कि गुजरे हुए दौरान में आजरबैजानी तेल विश्व में उद्योग की उन्नति के लिये, विभिन्न देशों में तेल उद्योग को पैदा और विकास होने में बड़े प्रभाव डाला था। इस लिये आजरबैजान में हमेशा तेल उद्योग से, तेल मजदूर और विशेषज्ञ, तेल उद्योग में व्यस्त होनेवाले तेल वैज्ञानिक और इंजीनियर से गर्व करते थे। क्योंकि वे आजरबैजान के जमीन की गहराईयों में मौजूद प्रकृतिक धन को सीखकर, नये तेल क्षेत्रों को पता लगाने में और उनको प्रयोग करने में निरंतर सहायता देते थे।

मैं देख रहा हूँ कि यहां पर पुराने तेल विशेषज्ञों में से एक बाकूवासी, आजरबैजान के पुराने रहनेवाला निकोलाय कोंस्तांतिनोविच बैबाकोव भाग लेता है। हाल ही में हम ने निकोलाय कोंस्तांतिनोविच बैबाकोव की 90वीं जयंती मनायी थी। 90 साल के जीवन गुजरना, सब से कठिन क्षेत्र में बहुत कुछ करना और 21वीं शतब्दी में शुरू में अपने पेशा न छोड़कर बाकू आना और इस तेल गैस प्रदर्शनी में भाग लेना इतना आसान काम नहीं है।

मैं निकोलाय कोंस्तांतिनोविच, आप का स्वागत करता हूँ। मैं ने आप से आप की 90वीं जयंती के अवसर पर बधाई का पत्र भेजा है। आज इस अवसर पर आप को जयंती के कारण मुबारक कर रहा हूँ। उमीद है कि हम आप के साथ आपकी 100वीं जयंती भी मना लेंगे।

निकोलाय बैबाकोव 40 साल के दौरान सोवियत संघ के जैसे एक बडे देश का तेल उद्योग मंत्री रहा। बाद में मंत्रालाय के अध्यक्ष की डिप्टी के पद में काम करता रहा, बहुत कुछ किया है। पर हमारे लिये महत्पूर्ण बात यह है कि वह हमारा है- बाकूवासी है-आजरबैजान में जन्म लिया है। वह आजरबैजान तेल इंस्टिटयुट का ग्रेडुऐट था। उस का लंबा और शांदार रास्ता, आजरबैजान में-बालाख़ानी में, सबुंची में आरंभ हुआ। इस के बाद उसको विश्व प्रसिद्ध मिली थी। मेरे विचार में यह छोटा सा उदाहराण सम्मेलन, प्रदर्शनी के भागीदारों को साबित करता है कि आजरबैजान पुराने जमाने में तेल उत्पादन के क्षेत्र में कितना महत्वपुर्ण भूमिका करता था।

जाहिर है कि मैं यह न कहना चाहता हूँ कि आजरबैजान हमेशा दूसरे देशों से ज्यादा तेल निकालता था। जी नहीं। पर तेल उत्पादन, तेल भू-विज्ञान के आरंभ बाकू में लग जाने के कारण आजरबैजान आज भी असीमित गर्व की भावनाऐं अनुभव करता है।

स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद आजरबैजान के जीवन में नये पृष्ठ आरंभ हुए। मैं इस समस्या का राजनीतिक कारक को ध्यान देना चाहता हूँ। आज यहां पर बड़े देशों के, विभिन्न देशों के नागरिक इकट्ठे हुए हैं। हरेक आदमी मुक्त, स्वतंत्र देश में रहना चाहता है। आजरबैजानी जनता भी मुक्त, स्वतंत्र, लोकतंत्रीय देश में रहना चाहती थी और दस साल पहले सोवियत संघ के टूटने पर आजरबैजान को राष्ट्रीय स्वतंत्रता मिली थी। यह आजरबैजानी जनता के लिये ऐतिहासिक घटना है और एक ही समय में आजरबैजान तेल और गैस उत्पादन क्षेत्र में नया दौर का आरंभ है। हम ने इस दौर पर कठिन जमाने में कदम रखे हैं। क्योंकि पुराने सोवियत संघ में शामिल होते समय में सारे तेल और गैस उद्योग एक ही केंद्र से आयोजित किया जाता था। आज हमें स्वतंत्र होकर दूसरे कार्यों के साथ-साथ तेल और गैस के उत्पादन का, आजरबैजान के सब से धनी प्रकृतिक रिसोर्स के उत्पादन का पालन करना है।

आज मैं साहसी तौर पर कह सकता हूँ कि पिछले सालों में सोवियत संघ में शामिल होते हुए आजरबैजान हमेशा इस क्षेत्र में लीडर था। एक बात की याद करना जरूरी है। आजरबैजान सिर्फ तेल को दुनिया में औदेयोगिक तरीके से निकालनेवाले देश न था, बल्कि वही देश था, जो पहला होकर तेल को सागर की गहराईयों से निकालने लगा। ये काम लगभग 20 वें सालो में आरंभ हुए। पर उसकी काफी उन्नति न हुई। सन् 1949 को आजरबैजानी भू-वैज्ञानिकों, तेल मजदूरों ने अनुश्रुत, ऑयल रॉक्स में तेल छेदन मंच बनाकर पहली बार सागर की गहराईयों में से तेल निकालना आरंभ किया था।

आजरबैजान इस क्षेत्र में भी दुनिया में लीडर है। यह सब साबित करता है कि आजरबैजान तेल और गैस क्षेत्र में बड़े अनुभव, बड़ा इतिहास, बड़ी परंपराओं वाला देश है।

पर जाहिर है कि बाद में संसार के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े तेल भंडार के क्षेत्रों को पता लगाये थे, जहां पर आजरबैजान से मुकाबले में बहुत तेल और गैस निकाला गया था। नई टेक्नॉलोजी बनाई गई। इन टेक्नॉलोजीयों के द्वारा तेल और गैस उत्पादन का प्राभावकिरता बन गई।

उदाहराण के लिये मेरे साथ बातचीत करती हुई नोर्वे की डिप्टी उद्योग और ऐनेर्जी मंत्री, यह सुन्दर श्रीमाती कह रही थी कि नोर्वे तेल उद्योग में नया देश है, जहां पर सिर्फ आखिरी तीस सालों में तेल उत्पादन में व्यस्त है। यह सच है। पर खुशकिस्मती से उत्तर सागर में बड़े भंडार के तेल क्षेत्र पता लगाये गये थे। और मुख्य बात यह है कि विश्व में मौजूद आधुनिक तक्नीक और टेक्नॉलोजी प्रयोग करके, वे बड़े तेल और गैस का उत्पादन कर सके। आज नोर्वे जैसे इतना बड़ा न होनेवाला देश, बड़ा तेल के देश बन गया। यह बात दूसरे क्षेत्रों में, दूसरे देशों के बारे में कही जा सकती है। इस के बारे में बात करके मैं कहना चाहता हूँ कि आजकल विश्व में ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर बड़े तेल भंडार के क्षेत्र हैं। संसार को तेल और गैस में सख्त जरूरत है। आजकल विज्ञानिक, विशेषज्ञ ऐसी बातें करते हैं कि विश्व में तेल और गैस में मांगें बढ़ती जाती है। पर शायद तेल और गैस का उत्पादन इस बढ़ती हुई मांगों को पूरा न कर सके। यह इस का साबित है कि विश्व के किसी भी कोने में तेल और गैस भंडारों को पता लगाना और उनके प्रभावकरिता से प्रयोग करना सिर्फ इस क्षेत्र के लिये नहीं, बल्कि सारे संसार और मानव-जाति के लिये जरूरी है।

हो सकता यह विचार ग़लत है, विशेषज्ञ इस को सही कर सकते हैं। पर मेरे विचार में इंसान की जिंदगी के लिये आजकल और भविष्य में प्रकृतिक धनों में से सब से महत्पूरण तेल और गैस है। उदाहराण के लिये लोहे और दूसरे मेटल केमिकल तरीके से बनाये सामान से बदले जाते है। पर यही सामान भी तेल और गैस उद्योग के सामान से बनते हैं। परमाणू शक्ति(ऊर्जा) सोचा गया था। लेकिन यह मुश्किल न है कि आदमी अंदाजा लगाये कि इस का क्या क्या लाभ और क्या क्या हानि हैं। इसलिये विश्व में तेल और गैस की मांगें बढ़ती जाती हैं। सो, किसी भी क्षेत्र में तेल और गैस भंडार को पता लगाना और उसका प्रयोग करना मानव-जाति, संसार के भविष्य के लिये आवश्यक है।

आजरबैजान को राष्ट्रीय स्वतंत्रता मिलने के बाद जाहिर है कि हम ने पहली बार अपने बारे में, अपने देश के अर्थ-व्यवस्था के बारे में सोचा था। हमारी जनता की खुशहाली, कल्याण के बारे में सोचते थे। इसलिये हम ने अपने सामने एक उद्देश्य रखा-पिछले सालों के मुकाबले में हमारे ये प्रकृतिक धन ज्यादतर प्रभावकारी रूप से प्रयोग करें। इस का आधार था। क्योंकि आजरबैजानी सेक्टर में पता न किये गये तेल भंडार के क्षेत्र हैं।

जब आजरबैजान को राष्ट्रीय स्वतंत्रता मिली थी, तो हमें पता था कि केस्पियन सागर विश्व के तेल औ गैस से धनी क्षेत्र है। यह कोई अनुमान नहीं है। वैज्ञानिक, भू-वैज्ञानिक, इंजीनियर, आजरबैजान के तेल मजदूर तेल उत्पादन के साथ-साथ एक ही समय में लगातर केस्पियन सागर में नये नये तेल क्षेत्रों को पता लगाने में काम करते थे। उन लोगों में से बहुत हमारे साथ नहीं हैं और चल बसे हैं। यह कितनी खुशी कि बात है कि निकोलाय कोंस्तांतिनोविच बैबाकोव जैसे आदमी हमारे साथ है। पर उसके मित्र, एक साथ काम करनेवाले साथी, जो इस के साथ बाकू में काम करते थे और केस्पियन सागर में नये तेल क्षेत्रों को खुलने में काम करते थे, अभी जिंदा नहीं हैं।

हमेशा होकर मैं आज भी कहता हूँ कि हम इनकी यादें बड़े धन्यावद से करेंगे। हमें उनके आभारी होना चाहिये कि अपने ज्ञान, विज्ञान, श्रम उपयोग करके उन्हों ने केस्पियन सागर बड़े तेल भंडार के क्षेत्रों को पता लगाने में बड़ी सहायता दी थी।

राष्ट्रीय स्वतंत्रता प्राप्त करते समय हमें एक ही सुन्दर चित्र नज़र आता था। पर यह सिर्फ चित्र था। वह हमेशा सुनदर लगता है। लेकिन इस चित्र से कैसे प्रयोग करना, क्या करना-यह ज्यादतर कठिन समस्या है। यानी बहुत कठिन समस्या है। इस लिये सन् 1994 को आजरबैजान की तेल सामरिकी, स्वतंत्र आजरबैजान की नीति बना रहे थे। और इस का मतलब यह था कि आजरबैजान अपने बहुत धनी तेल और गैस भंडार के क्षेत्र सिर्फ अपनी क्षमताऐं प्रयोग करके विकास न कर सकता है। सो, विश्व अनुभव प्रयोग करना, बड़ी क्षमताओंवाले देशों, कंपनियों की बड़ी पूँजियों, आधुनिक टक्नॉलोजी और तकनीक प्रयोग करने के लिये उन देशों के साथ संबंध स्थापित करना चाहिये था। हम ने यह किया हैं।

सही है इसी समय यह एक ही जैसे माना नहीं जाता था। यहां आजरबैजान में भी कुछ लोग सोचते थे कि हम क्यों अपने तेल और गैस क्षेत्र विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त होकर विकासित करें, क्यों उनको यहां पर बुलायें। जाहिर है कि यह ऐसे लोग थे, जिनको पता ही नहीं था कि संसार की उन्नति कैसी होनी चाहिये। हमें यह सूचना न चाहिये थी, हमें विश्व में हुई प्रक्रियों के बारे में, बड़ी उपलब्धियों के बार में, जो विश्व तेल और गैस क्षेत्र में पाई गई थी, अच्छा पता था। इसलिये आजरबैजान में बड़ी तेल कंपनियों का निमंत्रण, उनकी तरफ से यहां पर सब से पहले पूंजी लगाना और उनकी दूसरी संभावनाऐं-तकनीक और टक्नॉलोजी प्रयोग करना बहुत जरूरी थे। यह हमारी तेल सामरिकी का मुख्य लाईन था। अभी 8 साल के बाद जो सन् 1994 में मेरे अंदाजा था, वह साबित हो रहा है। आजरबैजान की तेल सामरिकी सही निश्चित की गई थी और वह अपने परिणाम दे रही है।

इस दिशा में पहला कदम सन् 1994 के सितंबर में आजरबैजान के आजेरी, चिराग़ और गुनेश्ली के गहरी क्षेत्र के एक भाग को संयुक्त प्रयोग करने के बारे में किया गया समझौता था। हम ने यह किया है। 20 सितंबर सन् 1994 को आज जैसे याद करता हूँ। यह आजरबैजान के इतिहास में सब से ज्वलंत पृष्ठ है। इस ने आधार बनाया था, हमारी तरफ से सैद्धांतिक रूप से तैयार की गयी तेल सामरिकी के व्यावहरिक रूप से कार्यान्वयन का आरंभ किया। हम ने गल्ती न की। हम सच्चे रास्ते में थे और उसी वक्त से सही रास्ते से आगे जा रहे हैं।

पर पता था कि इस को कार्यान्वयन करना आसान न रहा। उस समय बहुत लोग थे, जो हमें इस पर रुकावट देते थे। कुछ देश इस का प्रतिरोध कर रहे थे कि केस्पियन सागर की स्टैटास, प्रयोग करने के सिद्धांत निश्चित न किये गये हैं।

वे हमारे विरोध साजिश कर रहे थे। ये साजिश पता है। इन सब के परिणाम में आजरबैजान में आतंकवादी की कार्रवाई हूई, आजरबैजान में सैनिक देश विद्रोही का प्रयत्न किया गया था। यह भयानक घटनाओं तक ले आये। और हमें प्रतिवर्ष दबाव हो रहा था। वह आजकल भी है। पर स्वतंत्र आजरबैजानी राष्ट्र इस रास्ते से न हटा और उल्टा इस में शक न था। वह लगातर इस रास्ते में चलता था और चल रहा है।

हम ने विदेशी कंपनियों के साथ-आजकल इन को अंतर्राष्ट्रीय ऑपेरेशन कंपनी कहते हैं, सन् 1997 को चिराग़ क्षेत्र में से पहले तेल का उत्पादन किया था। इस तेल का उत्पादन करके हम ने उत्तर दिशा में निर्यात पाइप-लाइन का निर्माण किया था। बाद में सन् 1999 को हम ने पश्चिम दिशा में बाकू-सुपसा नये निर्यात पाइप-लाइन को काला सागर में जोर्जिया के बंदरगाह तक बनाया था। ये सारे काम संयुक्त होकर चलते थे। हमें पता था कि अगर तेल निकालके उसके निर्यात न कर सकें तो, इस तेल की कोई फायदा नहीं होगी। हम ने यह सब कुछ पूरा किया था।

आज तक चिराग़ क्षेत्र में से 1.4 करोड़ टॉन तेल का उत्पादन और निर्यात हुआ। इस कोंसोर्टियुम में शामिल हुई तेल कंपनियां इस समझौते से लाभ उठाती हैं। आजरबैजान, इसकी राष्ट्रीय तेल कंपनी, आजरबैजानी राष्ट्र भी लाभ उठाते हैं। हमारे इस कदम से केस्पियन सागर पर ध्यान बढ़ गया। हमारे इस क़दम से और प्राप्त किये हुए परिणामों से अनेक तेल कंपनियों को विश्वास हो गया था कि आजरबैजान में वास्ताविक संभावनाऐं हैं। आजरबैजान में लगातर प्रस्ताव मिलने लगे। पिछले दौरान में हम ने 21 समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। हमारे 14 देशों की 30 तेल कंपनियों के साथ समझौते हैं। कुल पूँजी, जो पहले से देखी गई थी , लगभग 60 अरब डालर होंगी।

हाल ही में हम ने बी.पी की अध्यक्षता पर आजरबैजान अंतर्राष्ट्रीय तेल कंपनी के समाप्त किये गये कार्यों के बारे में रिपोर्ट सुना हैं। और इस के अलावा शाहदेनीज क्षेत्र में चलनेवाले काम के बारे में दूसरे अध्यक्षों के रिपोर्ट भी सुने हैं।

उनहों ने बताये थे कि विश्व के सब से बड़ी तेल कंपनी बी.पी. ने फैसला किया था कि यहां पर 8 अरब डालर की पूँजी लगायेंगे। यह भी अलावा किया गये थे कि बी.पी. ने दुनिया के किसी भी क्षेत्र में इतनी पूँजी कभी न लगाई। यह समाप्त किये गये काम है और यह साबित करता है कि हमारे भविष्य के कार्यों कितने सफलतापूर्वक रहेंगे।

हमारा दूसरा समजौता शाहदेनीज क्षेत्र में काम करने के बारे में है। वहां पर हमारी प्रीक्षाओं में से ज्यादा गैस भंडार पता किया गया है। मेरी अच्छी याद में है कि 4-5 जुन सन् 1996 था। इस प्रदर्शनी के दूसरे दिन हम ने शाहदेनीज तेल-गैस क्षेत्र के बारे में समझौते पर हस्ताक्षर किया था। उस समय बहुत लोग इस में रुकावट डालना चाहते थे। हमारे आपस में कुछ लोग, जो आजरबैजान के अर्थ-व्यवस्था की उन्नति न चाहते थे, इस में रुकावट डालते थे। पर हमारे तेल मजदूर, विशेषज्ञ और भू-वैज्ञानिक इस क्षेत्र में संयुक्त होकर कुछ काम किये हुए बा.पी.के विशेषज्ञ और दूसरी कंपनियों ने निश्चित किया था कि वहां पर दर आसल में काम आरंभ किये जा सकते हैं।

मेरे विचार में अनुभववाली तेल कंपनियों को पता है कि किधर पैसा, पूँजी लगा जा सकता है। अगर उन में थोड़े भी शक होते, तो पैसा कभी न लगाती। हम भी इसी राय में थे। पर उसी समय न हम, न तो वे, यानी बी.पी. और दूसरी विदेशी कंपनियां आंदाजा न कर सकते थे कि वहां पर गैस के बड़े भंडार मौजूद हैं.

मुझे याद है। जब मैं अनुभववाले भू-विज्ञानिक खोशबख़्त युसिफजादे से कई बार पूछता रहता था कि (वह कहीं इधर है), बताओ, शाहदेनीज में कितने गैस है। उस ने मुझे जवाब दिया था कि लगभग 400 अरब क्युबिक मिटर। मैं ने पूछा था कि हो सकता है कि ज्यादा हो। उस ने कहा था कि, जी नहीं, इस से ज्यादा न हो सकता, यही अंक है। लेकिन किये गये कामों से, खोदे हुए कूपों से पता चला था कि वहां पर एक ट्रिल्योन से ज्यादा क्युबिक मिटर गैस हैं। और यह आखिरी अंक नहीं है। पर यह काम चलानेवाली तेल कंपनियां बहुत सचेत से वार्ता करती हैं। वे हमेशा प्रयत्न करती हैं कि पहले से पूर्वानुमान से कम अंक बताये ताकि बाद में इन पर आरोप न लगाया जाये कि क्यों आप वचन से कम उत्पादन करती हैं। हमें कोई फर्क नहीं है। ईश्वार करे कि एक ट्रिल्योन हो। पर एक ट्रिल्योन में शक न है। मेरे विचार में ट्रिल्योन से ज्यादा भी होगा।

दूसरे क्षेत्रों में भी। उदाहराण के लिये शेवरॉन कंपनी अपशेरोन क्षेत्र में बड़े काम करती है। शेवरोन के अध्यक्ष ने मुझे वचन दिया था कि हम आप को शाहदेनीज क्षेत्र में ज्यादा परिणाम दिखा देंगे। मैं कहता हूँ कि आप के रिपोर्ट की प्रीक्षा में हूँ।

सो, छोटे समय में केस्पियन सागर के आजरबैजानी सेक्टर में बड़ी संभावनाऐं पता लगाई गई। मेरे विचार में आजरबैजान और 8वीं केस्पियन तेल-गैस प्रदर्शनी की सब से बड़ी सेवा यह थी कि हम ने दिखाया था कि केस्पियन के सिर्फ आजरबैजानी दूसरे सेक्टरों में भी बहुत बड़े तेल और गैस भंडार के क्षेत्र हैं।

खुली बात करनी है। पहले बहुत लोगों को पता नहीं था। पर आजरबैजान में किये गये कामों, प्राप्त की हुई उपलब्धियों ने उनको प्रोत्साहित किया और वे यह काम करने लगे, विदेशी कंपनियां आई थीं, इन देशों के साथ सहयोग शुरू हो गया। उदाहराण के लिये आजकल केस्पियन के कज़ाक सेक्टर में बड़े तेल भंडार क्षेत्र कशागान पता किया गया है। मैं इस बात पर खुश हूँ। सो, हमारे वैज्ञानिकों के कहने पर कि केस्पियन में बड़े तेल और गैस क्षेत्र है। और बाद में आजरबैजानी राष्ट्र और उनके किये हुए कार्यों के अनुसार केस्पियन सागर विश्व के बड़े तेल-गैस क्षेत्रों में से एक माना गया है।

ठीक है, आजकल विभिन्न देशों में विभिन्न शक्तियां आजरबैजान को हानि पहूँचाने के लिये, दूसरे केस्पियन क्षेत्र के देशों को भी हानि पहूँचाने के लिये लेख लिखते हैं कि मानो पुराने पुर्वानुमान सही साबित न हुई इत्यादि।

उनको कहने, शोर मचाने दें। हमें इस से कोई फर्क नहीं पड़ता। हमें पता है कि क्या-क्या है, क्या नहीं है। जाहिर है कि सब पूरा न हो सकेगा। उदाहराण के लिये एक कूप खोदकर वहां से तेल न मिल सकता है, पर थोड़े आगे जाकर खोदें, तो वहां से कुछ मिल जायेगा, फव्वारा हो जायेगा। मुख्य बात यह है कि ये क्षेत्र सही तरीके से ठीक-ठाक पता किये जाये। अगर एक तरफ से तेल न निकला, तो दूसरी तरफ से मिलेगा। लेकिन आजरबैजान के तेल मजदूर और विशेषज्ञों ने, वैज्ञानिकों ने इस को सही निश्चित किया है।

सो, जैसे मैं ने पहले बताया था कि यह आठवीं प्रदर्शनी संयोग से नहीं है। क्योंकि पहली बात यह है कि केस्पियन क्षेत्र विश्व में एक धनी तेल और गैस भंडार वाला क्षेत्र जैसे प्रसीद्ध हो गया। दूसरी बात यह है कि इन कार्यों के आधार ने आजरबैजान में शुरू हुआ और आज आठवींवाली है। यह भविष्य में भी यहां पर आयोजित की जायेगी। दूसरी बात इस तेल और गैस का निर्यात है। मैं ने बताया था कि हम ने सही समय पर इस उद्धेश्य के लिये ये पाइप-लाइन बनाये हैं- बाकू-सुपसा, बाकू-नोवोरोसियस्क पाइप-लाइन। लेकिन ये पहले निकाले गये तेल के लिये थे। बड़े तेल को ये दो पाइप-लाइन निर्यात नहीं कर सकते। इस लिये हम ने सन् 1994 को समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए देख रहे थे कि एक बड़ा पाइप-लाइन, बाकू-जैहान का निर्माण भी जरूरी है, जिस को हम बाद में बाकू-त्बीलीसी-जैहान नाम रखा था।

उस समय से लेकर आज तक हम ने बाकू-त्बीलीसी-जैहान पाइप-लाइन को बनाने के लिये बहुत काम किये हैं। अगर एक तरफ से शक्तियां थीं, जो आजरबैजानी तेल सामरिकी को रोकना चाहती थीं, तो ऐसी शक्तियां ज्यादा थीं, जो बाकू-त्बीलीसी-जैहान पाइप-लाइन के निर्माण पर रुकावट डालती थीं। आजरबैजान में तेल है और हम इस का उत्पादन करते हैं। इस पर रुकावट डालनेवाले थे। पर हम यही तेल और गैस को निकालते हैं। लेकिन उत्पादन किये गये तेल का दाम इस में न है कि वह सिर्फ निकाले जाये, मुख्य बात इस को निर्यात करने की संभावनाऐं होनी है। हमें रूकावट देनेवाले लोग यह नहीं चाहते थे कि तेल इस रूट पर निर्यात किये जाये, वह दूसरी रूट को चाहते थे। पर शुरू से हमारे निर्णाय यह था कि बाकू-त्बीलीसी-जैहान निर्यात पाइप-लाइन होना है। हम ने, तुर्की ने, जोर्जिया ने, यह फैसला किया है। संतोषी से कह सकता हूँ कि आजरबैजान में काम करनेवाली बड़ी तेल कंपनियों ने और उनके राष्ट्रों ने, अमरीका ने, ग्रेट ब्रीटन ने, फ्रांस ने, दूसरे देशों ने, युरोपियन देशों ने यही रूट का समर्थन दिया था। अगर उनके समर्थन न होते, तो हमें इस प्रॉजेक्ट को पूरा करना बहुत मुशकिल होता। पूरा करते, लेकिन बड़ी कठिनाईयों से। बाकू-त्बीलीसी-जैहान बहुत परीक्षों से पास किया गया था। आखिरकर हम ने सन् 1999 को इस्तंबुल में इस के अंतिम दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किया था। इस के बाद बड़े इंजीनियरिंग और मौद्रिक काम किया गया थे। आज कल प्रभावकारी काम करने लगे और पुर्वानुमान के अनुसार, कार्यक्रम के अनुसार मैं विशवास्त हूँ कि हमारी तरफ से संयुक्त होकर निकाला गया आजरबैजानी, केस्पियनन तेल, जोर्जिया, तुर्की से होकर सन् 2004 का मेडिटेरेनियन सागर के किनारे में, जैहान बंदरगाह तक पहूँचा जायेगा।

मैं सोचता हूं कि यहां पर काई समस्या, कठिनीई न होनी चाहिये। तुर्की और जोर्जिया में भी इस पर निर्णायक रूप से काम करते हैं और वे भी सोचते हैं कि यह प्रॉजेक्ट सही समय पर समाप्त किया जायेगा।

आप देख रहे हैं कि जीवन में नई नई घटनाऐं होती रहती हैं।

शाहदेनीज क्षेत्र में काम करने से हमें पता था कि वहां गैस तेल से ज्यादा है, लेकिन हमें यह पता नहीं था कि इस में अंक इतना बड़ा है। अभी हम गैस निर्यात के बारे में सोचते हैं। यह हमें पता है। तुर्की में गैस की बड़ी मांग है। युरोप में भी गैस चाहिये, जोर्जिया को भी। इस लिये हम ने निर्णय किया है कि बाकू-त्बीलीसी-जैहान पाइप-लाइन के साथ तुर्की तक गैस पाइप-लाइन भी बनायें। हम यह काम करने लगे हैं। यहां पर आदरणीय मंत्री ने बताया था कि जब मैं मार्च में तुर्की, अंकारा में सरकारी यात्रा पर था, तो मैं ने आजरबैजान प्रजातंत्र की तरफ से तुर्की प्रजातंत्र को 6 अरब क्युबिक मिटर गैस को बेचने के बारे में समझौते पर हस्ताक्षर किया था। जो पहले दौर में शाहदेनीज क्षेत्र में से निकाला जायेगा। अभी यह समझौता जोर्जिया के साथ भी होना चाहिये। मेरे विचार में यह जल्द ही में होगा, क्योंकि हमें इस पर काम शुरू करना है। हम ने वचन दिया था कि शाहदेनीज क्षेत्र में से गैस तुर्की तक सन 2005 को पहूँचा जायेगा। समय को बचाना चाहिये। समझौतों पर हस्ताक्षर, दूसरे समजौतों के हल होना चाहिये कि जल्द ही से निर्माण के काम शुरू हो जाये।

यह हमारी उपलब्धियां हैं। लेकिन देखिये ये हमें कितनी बड़ी आशाऐं उत्पन्न करती हैं। देखिये उनकी क्या संभावनाऐं हैं। ये सिर्फ आजरबैजान, केस्पियन सागर के क्षेत्र वाले देशों के लिये, बल्कि सारी दुनिया के लिये हैं।

यहां पर हम ने बड़ी संतोषी से सा.रा.अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के बधाई पत्र को सुन लिया है।

हम ने ग्रेट ब्रिटन के प्रधान-मंत्री टॉनी ब्लैर के बधाई पत्र को सुन लिया है। वे इस कार्यों को कितनी दिल्चस्पी लेते हैं। इस पर कितना महत्व रखते हैं, क्या समर्थन देते हैं। यह दिखाई में आते हैं। मुझे सिर्फ इन के नहीं, दूसरे देशों के समर्थन के बारे में भी पता है। यहां पर फ्रांस के उपमंत्री ने भाषण किया था। मुझे हमारे साथ सहयोग करनेवाले देशों के व्यवहार पता है।

शाहदेनीज क्षेत्र में ईरान का भी भाग है। उस को भी लाभ मिलेगा। ईरान का राजदूत यहां पर मौजूद है। इस लिये उन को भी प्रयत्न करना चाहिये कि यह पाइप-लाइन जल्दी में बन जाये और उनको मुनाफा मिल जाये। ईरान के दूसरे समझौतों में भी भाग हैं।

मैं दोहरा रहा हूँ कि यहां पर सिर्फ आजरबैजान की मैद्रीक समस्याओं का हल न हो रहा है। पूरे क्षेत्र के सामरिकी हितों का हल भी हो रहा है। क्षेत्र में रक्षा की गरंटी का प्रदान हो रहा है। और यहां पर कुछ देशों की बढ़ती हुई तेल और गैस की मांगों को पूरे करने का आधार डाला गया था।

21वीं शतब्दी के शुरू में हमारे पास होनेवाले कार्यक्रम के कार्यान्वयन का 2001 से लेकर लगभग 10-15 सालों में बहुत बड़े नये कामों को बनाने में सहायता देगा। यह सब इन समझौतों, कार्यों में भाग लेनेवाले देशों, जनताओं के लिये किये जाते हैं। इसलिये हम आज दिखा रहे हैं कि आजरबैजान की तेल सामरिकी कितनी सही है।

हम घोषणा दे रहे हैं कि इस के बाद भी निरंतर हर दौर की मांगों के अनुसार अपने कार्या सही तरीके से पूरे करेंगे। हमारे साथ सहयोग करनेवाली कंपनियों, देशों के साथ हमारे संबंध और गहरे, बड़े और ढ़ृढ होंगे। जाहिर है कि हर देश के लिये अपने व्यापारी हित ज्यादातर जरूरी हैं। हम भी ऐसे सोचते हैं। पर ये सिर्फ व्यापारी हित नहीं हैं।

अगर देशों के बीच व्यापारी संबंध विशेष महत्व के हैं, तो उनके बीच राजनीतिक, मानवीय और दूसरे संबंध भी इस के अनुकुल होना चाहिये। ये कभी भी एक दूसरे के साथ विरोध में नहीं हो सकते।

यह हमारी राय है और यहां पर अतिथियों की तरफ से कही गई बातें और बधाईयों इस का साबित करती हैं।

प्रतिवर्ष प्रदर्शनी चौड़ी होती जा रही है। पहली प्रदर्शनी में मेरे विचार में 12 देशों से 150 कंपनियां भाग लेती थीं, आजकल ये 25 देशों की 340 कंपनियां हैं। देख रहे हैं कितने हो गये। जब मैं यहां आया था, तो प्रिय लेडी ने, जिसने इस प्रदर्शनी का आयोजन किया था, मुझ से कहा था कि यहां पर भाग लेनेवाली कंपनियां की एक तिहाई इस में पहली बार भाग लेती हैं। आजरबैजान में सिर्फ तेल कंपनियां काम नहीं करती हैं, यहां पर दूसरी कंपनियां भी हैं। उदाहराण के लिये नोर्वे की बात करना चाहता हूँ। नोर्वे की स्टाटऑयल कंपनी है, जो यहां बहुत काम करती है। लेकिन इस के साथ नोर्वे की अनेक दूसरी कंपनियां भी यहां पर बहुत महत्वपूर्ण काम करती हैं। यह क्वेर्नेर कंपनी, दूसरी कंपनियां हैं। आदरणीय लेडी ने इन के यहां पर नाम लिये थे। यहां पर अमरीका, ग्रेट ब्रीटन की भी बहुत कंपनियां काम करती हैं। ये तेल कंपनियां नहीं हैं। लेकिन तेल उत्पादन के लिये कितने टकनीकल काम, दूसरे काम करना चाहिये। यहां पर विशेष कंपनियां हैं, जो ये काम करती हैं।

सो, आजरबैजान के इतिहास में पहली बार यहां पर विभिन्न विदेशी कंपनियां हमारे साथ काम करती हैं। यह हमारे आर्थिक, मानवीय, राजनीतिक संबंधों को ढ़ृढ करता है। हमें करीब करते हैं, अनुभव विनिमय के लिये आधार बनाते हैं और क्षेत्रों को एक दूसरे के साथ करीब करते हैं। क्योंकि 21वीं शतब्दी ऐसी शतब्दी होगी, जब लोग शांति में, आराम में रहेंगे। 21वीं शतब्दी में लोगों को आपस में गहरे संबंध स्थापित करना है। 21वीं शतब्दी में कोई भी जाति, कोई भी देश दूसरे को विभेदन न करना दै, जो दूसरे धर्म के है। क्योंकि यह साभ्यता की माँग है। इस को पूरा करने के लिये कोई भी देश, संस्था, नागरिक इस के लिये सेवा करना है।

मैं इस प्रदर्शनी के आयोजकों को धन्यावद अदा करता हूँ। मैं इस प्रदर्शनी में भाग लेनेवाली कंपनियों को बधाई दे रहा हूँ कि इस प्रदर्शनी में अपने काम दिखाने के हक पाये हैं। मैं प्रदर्शनी को और इस के बाद होनेवाले सम्मेलन को नई नई सफलताओं की कामनाऐं करता हूँ। धन्यावद।