आजरबैजान के राष्ट्रपति हैदर अलीयेव के भारत के डिप्टी विदेश मंत्री रचिंद्र मधुकार अभुआंकर के नेतृत्व किये हुए प्रतिनिधि-मंडल से भेंट मेंबातचीत से - 18 आक्तुबर सन् 2001


हैदर अलीयेव - आजरबैजान में स्वगतम। मेरे ख्याल में आप पहले भी आजरबैजान में आये थे। आंकारा में काम करते हुए आप भारत के आजरबैजान में राजदूत थे। इस लिये आप हमारे देश से परिचाय हैं। आंकारा और आजरबैजान में काम करने के बाद आपका पद बढ़ गया। मैं आप से मिलने से बहुत प्रसन्न हूँ।

रचिंद्र मधुकार अभुआंकर: यॉर एक्सेलेंसी, बहुत धन्यवाद। मैं खूद को आजरबैजान में अजनबी होने का अनभव नहीं करता हूँ। इस देश को अच्छा जानने के कारण से हमारे देश के राष्ट्रपति और प्रधान-मंत्री ने मुझे यहाँ भेजा हैं कि उनकी शुभ कामनाऐं और बधाई आप को बताऊं और इस दस सालों में आपके नेतृत्व में प्रजातंत्र में पाई हुई सफलताओं के वजह से बधाई दे दूँ ।

दस साल की स्वतंत्रता के हरेक साल महत्वपूर्ण और बहुमूल्य है। हम आप से बहुत पहले स्वतंत्र हो गये थे। हमें पता है कि स्वतंत्रता कैसी मिलती है। इस कारण से, स्वतंत्रता को आपके दिये हुए महत्व के कारण से इस को बड़ी क़दर देने के लिये हमारे देश के राष्ट्रपति और प्रधान-मंत्री ने मुझे यहाँ भेजा हैं कि आजरबैजानी जनता के साथ आपको उनकी बधाई दे दूँ।

मै ने कल आपकी भाषण को प्रजतंत्र महल में सुना हूँ। आपकी भाषण, अंदरूनी और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में देश के कार्यक्राम हमें बहुत प्रभाव डाला। आपकी भाषण में आप ने बहुत सही कहा है कि फेंडामेंटालीज्म, आतंकवाद सीक्युलार समाजों पर कितना बुरा प्रभाव डालता है। मेरे ख्याल में इस समस्या से सारी दुनिया काम करनी है। हमारे विचार में हमारे देशों जैसे देश, जो कई सालों से आतंकवाद से रूवारू होते हैं, इसके विरोध संघर्ष करते है, आखिरकर इन देशों की आवाज महान देशों ने भी सुनी हैं और आतंकवाद से संघर्ष करने लगे।

श्री राष्ट्रपति, अगर आपकी याद में है तो जब मैं आजरबैजान में राजदूत था मैं ने आपको हमारे देश की यात्रा करने के लिये भारत के राष्ट्रपति का निमंत्रण दिया था। हमें अच्छा मालूम है कि आप ने हमारे पुराने नेताओं से मिले थे। मैं ने इस निमंत्रण को फिर आपको दे रहा हूँ और हमें आशा है कि आप इस साल या अगले साल भारत की यात्रा करेंगे।

कल इस कार्यक्रम में जहाँ आप ने भाषण किया, मैं ने ध्यान दिया था कि आजरबैजान के वाद्य-यंत्र, कवीता भारत को इतना निकट है कि, हमारी उतनी आम निधि हैं कि आप की भारत की यात्रा करनी ज़रुरी है, ये सारे वहां पर प्रदर्शन होने हैं। इस के साथ हमें अपनी राजनीतिक इच्छा सारी दुनिया को दिखाना हैं।

श्री राष्ट्रपति, पुराने दिन याद करें, मै आप को फिर आपना आभार प्रकट करना चाहता हूँ कि जब मैं यहां पर राजदूत था मै आपके सरकार से और नीजि तौर पर आप से हमेशा सहायता लेता रहा था। मेरी अच्छी याद में है कि जब भारत के उत्पादित मालों का बाकू में प्रदर्शन हो रहा था आप खूद वहां पर आये थे। आप के वहां आना हमारे सहयोग की क्षमता दिखायी। मुझे यक़ीन है कि हमारे देशों के अंतरार्ष्ट्रीय क्षेत्र में होती घटनाओं को एक जैसी विचार-धारा हैं। हम संयुक्त राष्ट्र में अच्छा सहयोग करते हैं। मैं सोचता हूँ कि आतंकवाद के विरुध संघर्ष में अंतरार्ष्ट्रीय अभिसमय के सूत्र के पूरे करने के लिये भविष्य में एकसाथ काम करेंगे।

मैं यही कहना चाहता हूँ कि मुझे आप से मिलने से बड़ी खूशी हुई। आप हमेशा जैसे बहुत स्वस्थ है और अचछा लगते हैं। कल दो घंटे की भाषण, जो आप ने की, मेरी उमर की कोई आदमी नहीं कर सकता है।

यॉर एक्सेलेंसी, ज़रा हमारी सरकार और जनता के नाम से हमारी शुभकामनाऐं प्राप्त करें। मैं आप की जनता को निरंतार विकास की कामनाऐं करता हूँ। मुझै आशा है कि हमारे संबंध और मज़बूत होंगे।

हैदर अलीयेव: बहुत धन्यवाद।

आजरबैजान की राष्ट्रीय स्वतंत्रता के दसवीं सलगिराह के अवसर पर आपकी बधाईय़ों के लिये और आपके राष्ट्र के राष्ट्रपति और प्रधान-मंत्री के नाम से मुझे बतायी हई बधाईय़ों के लिये आप को बहुत धन्यवाद।

मैं भी आप की यहाँ आजरबैजान में राजदूत के कार्य बड़ी खूशी से याद करता हूँ और ऐसा सोचता हूँ कि जब आप यहाँ राजदूत थे भारत और आजरबैजान के बीच संबंध बहूत विकास किये थे। अभी यह प्रद्रशन जिस के बारे में आप ने याद दिलाया था, भारत के मालों का बहूत बड़ा प्रद्रशन हमारे संबंध के विकास होने का ऐक खास दिखाई है।

मैं समझता हूँ कि आप स्वतंत्रता को पाने के और इसको बराबर रखने के कार्य जितना मुश्किल होने का दूसरों के मुकाबले में अच्छा जानते हैं। इतिहास में भी यही लिखा है और हम ने किताबों से यही पढ़े हैं और मै बहूत घटनाओं का, अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में हुई कई घटनाओं का गवाह हूँ कि भारत अपनी स्वतंत्रता पाने के लिये जितना सघर्ष किया था।

आपके ऐतिहासिक व्यक्तितत्व गंधी के भारतीय जनता के भविष्य के बारे में विचार और संघर्ष सारी दुनिया को मालूम है। आखिर, जवहरलाल नेहरू के नेतृत्व पर भारतीय जनता के बड़े संघर्ष के फलस्वरूप भारत को स्वतंत्रता मीली। यह उसी वक्त दुनिया में एक बड़ी घटना हुई। क्योंकि दुसरे विष्व युध के बाद उपनिदेशी साम्राज्य टूटने और उपनिदेश आज़ाद होने लगे। भारत दुनिया का महान देश होने के लिये उसका संघर्ष अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र के बड़े ध्यान में थे।

उस वक्त आपका देश, विषेश तौर पर आपकी नेता जवहरलाल नेहरू दुनिया में बहुत प्रसिद्ध हो गया। मेरी याद में है कि बाद में उनहों ने कई दुसरे देशों के नेताओं के साथ गुटनिरपेक्ष आंदोलन बनाया था।

जवहरलाल नेहरू और भारत इसका लीडर था। मेरे ख्याल में नेहरू, जॉ ऐन लई, ईओसीफ टीटो इन तीनों ने इस आंदोलन बनाया था और कई देश इस आंदोलन में सम्मिलित हो गये। पर इसका लीडर भारत था। उसी वक्त से लेकर भारत स्वतंत्र है। उस वक्त से 50 साल गुज़र गये।

एक स्वतंत्र राष्ट्र जैसे आप जवान हैं। क्योंकि की जनता कर इतिहास बहुत पुराना है। एक देश, एक जानता जो कई शतब्दियों में उपनिदेशी में, जल्म पर रहे हुए एक देश ने, जनता ने स्वतंत्रता की कितनी कीमती होने को इन सालों में अनुभव किया है और भारत दुनिया में एक बड़ा देश और एक बड़े अर्थ-व्यवस्थावाला देश जैसे बहुत विकसित है।.

मैं आपके राष्ट्रपति और प्रधन-मंत्री के निमंत्रण बड़ी खुशी से प्राप्ट कर रहा हूँ। मैं कोशिश करूँगा कि इस को जल्दी ही से पूरा करूँ, यानी आपके देश की य़ात्रा करूँ। पर आप जानते हैं कि अभी दुनिया में स्थिति बहुत तंग है, आजकल कई सम्स्या हैं। ये ऐसी यात्राओं को पूरा करने में रुकावट डालते हैं। पर हमें अपने काम करने हैं।

आजरबैजान में भारत को बहुत पसंद करते हैं। जब आप यहाँ राजदूत थे शायद आप ने यही देखा है। भारत स्वतंत्रता पाने के बाद ने जवहरलाल नेहरू कई देशों की यात्रा की थी और आजरबैजान में भी आये थे। यह मेरी याद में है। भारतीय माल पिछले शतब्दी के 50वीं और 60वीं सालों में पुराने सोवियत संघ में बहुत मशहूर थे। आजरबैजान में इस लिये लोकप्रिय थे कि हमारी संगीत आपकी संगीत से मिलती-जुलती है।

जी हाँ, भारत को बहुत लोग नहीं जानते थे। कयोंकि यह एक दूर देश था। पर आप ने अपने गीतों से और सोवियत संघ में पहली बार दिखाई हुई "आवारा" फिल्म से, राज कपूर से भारत को मशहूर किया था। यह आपकी याद में है कि नहीं। हो सकता है कि आपका उसी वक्त जन्म नहीं हुआ था?

रचिंद्र मधुकार अभुआंकर: जी, मेरा जन्म हो चुका था।

हैदर अलीयेव: हम इन दिनों में आजरबैजान के महान गायक रशीद बेहबुदोफ की 85वीं जयंती मना रहे थे। उस वक्त रशीद बेहबुदोफ की राज कपूर से दोस्ती थी। राज कपूर आजरबैजान में आया था और रशीद बेहबुदोफ भारत गया था। मेरी याद में है कि उन दिनों में बड़े बड़े मैदानों में रशीद बेहबुदोफ की गीतें भारत के लेगों से जितने बड़े सम्मान से मिली थीं।

अभी आप इन फिल्मों को देखते हैं। पर मैं इन का जिन्दा गवाह हूँ। मैं आपके देश को बहुत पसंद करता हूँ। सन् 1978 को मैं आपके देश में हुआ था। उसी वक्त से बहुत समय गुजर गया। लेकिन मेरी याद में से कुछ नहीं निकला है। मैं अभी सब कुछ जिसने देखा था याद कर रहा हूँ। मेरी अच्छी यादें हैं। मैं राजास्थान भी गया था और वहाँ पर हाथी पर बैठकर घूमा था। मैं ने कुछ समारोह में भाग लिया था। मशहूर ताज महल में गया था। दिल्ली में बड़े स्मारक पर बड़ी खुशी से भाग लिये था। सब से पहली बात यह है कि मैं आपके लोगों से, नेतlओं से मिला था। जब मैं वहाँ पर आये थे आपका प्रधन-मत्री मोरारजी देसाई था। वह आपकी याद में है?

रचिंद्र मधुकार अभुआंकर: जी, मेरी याद में है।

हैदर अलीयेव: वह आजरबैजान में भी आये थे।

आपके आतंकवाद के बारे में कही हुई बातें और हमारे विचार एक ही हैँ। पता है कि भारत भी विदेश से और देश से आई हुई आतंकवादी कार्रवाई से मिला था। ईंदीरा गंधी और उनके बेटा राजीव गंधी के विरोध की गई आतंकवादी कार्रवाई सारी दुनिया को उत्तेजित की। यही घटना दोबारा हो रहा है। आप देखता है कि राजीव गंधी का कातिल आतंकवादी स्वयम भी मर गया था जैसे कि न्यु यॉर्क में बड़ी आतंकवादी कार्रवाई की हुई लोग स्वयम को भी मारे थे।

मेरी ईंदीरा गंधी और राजीव गंधी के साथ भेंटें हुई थीं। ये भी मेरे लिये अच्छी यादें है। उसी वक्त मैं मॉसेको में रहता और काम करता था। मेरी याद में है कि राजीव गंधी युरॉप ले अपने देश पर जा रहा थ। उसका हवाई जहाज़ ख़राब हो गया था। उस ने मजबूर होकर मॉस्कॉ लेंड किया था। रात की 12 बजे थे। हमें सूचना मिली थी। उसी वक्त मै प्रधन मंत्री का पहली डिप्टी था। यही सलाह दी गई कि मैं जाऊँ और इन कार्यों के हल करूँ।

मै ने उन से कई घांटे बातचीत की, हम सिर्फ हवोई जहाज़ की मरम्मत होने का इंतजार कर रहा था। पर हवोई जहाज़ की मरम्मत करना नामुमकिन हुई। सोवियत शासन ने उन को एक नई हवाई ज़हाज़ दी और मैं ने उन को विदाई दी। मैं उन से पहले भी मॉस्को में मिला था। वह बहुत अच्छा आदमी था। उन की भारत और सारी दुनिया में बड़ी इज़्जत थी। पर वे सब आतंक के कुरबान हो गयें। उसी वक्त ऐसी घटनाओं को एक मामूली-सी घटना समझते थे।

आप ने कहा था कि कल आप ने हमारी समारोह में भाग लिया था। इस लिये मैं आपका आभारी हूँ। मैं ने अपनी भाषण में आज़रबैजान के खिलाफ़ की हुई आतंक के बारे में काफ़ी सूचना दी। भारत के, आज़रबैजान के खिलाफ़ की हुई आतंक को दुसरे देश ध्यान नहीं देते थे। इसी का नतीज़ा यह है कि आतंक बढ़ता गया। आखिरकर यह एक ऐसी स्तर तक पहुँच गया था कि 11 सितंबर को न्यु य़ॉर्क और वशिंग्टॉन में बड़े पैमाने पर आतंक किया गया था। अभी सारी दुनिया में लोग यही समझे हैं कि आतंक जितनी खतरनाक चीज़ है। यह जनता के लिये, जाती के लिये सारी सभ्यता के लिये एक ट्रेजेडी है, और यह घटना हमारी, आपकी याद में यही दिलाता है कि हमारे जैसे देशों को आतंक से मिलना जितना दुःखद है। इस लिये हमें, भारत, आजरबैजान और दुसरे देशों को आतंक के खिलाफ़ एकसाठ संघर्ष करना है। मैं कल बताया था, और पहले भी बताया था कि आतंक के जड़ पूरे काटने के लिये हम सब संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिये तैयार हैं।

मै ऐसा सोचता हूँ कि आपकी इस यात्रा का मुख्य लक्ष्य यह है कि हमारे देशों के बीच संबंध और बढ़ जायें । मैं इसका क़दर करता हूँ। मुझे यह बताया गया था कि आप की कई बातचीत हुई। आज़रबैजान में हम कुछ क्षेत्रों में कामयाबी से सहयोग कर सकते हैं। भारत में संभावनाऐं काफी हैं।

मेरी याद में है कि आपकी एक बड़ी तेल कंपनी आज़रबैजान आयी थी। वह यहां पर एक अंतर्रष्ट्रीय तेल प्रदर्शनी में भाग ले रही थी। अभी उस ने आजरबैजान में, केसपियन सागर में तेल के क्षेत्रों में काम करने में दिल्चस्पी ली है। उसी वक्त हम ने इंकार नहीं किया, पर बाद में पता नहीं कयों यह बात आगे नहीं गई। हम सिर्फ तेल के क्षेत्र में नहीं दुसरे क्षेत्रों में भी आपके देश से सहयोग करने के लिये हमेशा तैयार हैं। आप, पुराना राजदूत और आजकल का राजदूत जानते हैं कि यहां पर भारतीय नागरिक कई क्षेत्रों में बीज़नेस करते हैं। हमारी इस पर कोई आपत्ति नहीं है। सच है कि यह छोटा, मध्यम बीजनेस है। लेकिन हमारे देशों के बीच बड़े प्रॉजेक्ट भी हो सकते हैं। इस लिये मैं सोचता हूँ आपकी यही यात्रा भारत और आजरबैजान के लिये बड़ी महत्व की है। मैं अनुमान कर रहा हूँ कि हमारे उचित कार्यालय, जिन से आप मीले हैं इस के लिये कुछ क़दम कर सकते हैं। आप भी।

आप ने भारत कि स्वतंत्रता की 10वीं जयंती नहीं देखी। पर अभी आकर आजरबैजान कि स्वतंत्रता की 10वीं जयंती देखा हैं। आप देख रहे हैं कि इन दस सालों में हम कितनी कठीन रासते से गुज़रे हैं। पर हम सफलता से आगे गये थे। हमारी हारें भी ज़्यादा थीं। अर्मेनिया और आजरबैजान के बीच झगड़ा, आजरबैजान की जमीनों को अर्मेनिया से कब्ज़ा करना हमारे लिये बड़ा जख्म है।

भारत का एक स्वतंत्र देश जैसे उमर हमारे से ज़्यादा है। पर मैं सोचता हूँ कि आप फिर भी स्वतंत्र देश जैसे जवान है। हमेशा स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिये बहुत काम करने हैं। हम इस की पहली दौर में रहते हैं। पर आप ने एक लम्बा रास्ता पास किया है। यह मेरी आरज़ू है कि भारत और आज़रबैजान सदा स्वतंत्र रहें।

मेरा जी चाहता है कि आपकी देश आऊँ। सिर्फ इस लिये नहीं है कि वहां आकर एक असाधारण देश देखूँ। इस लिये कि अभी आजरबैजान एक स्वतंत्र देश होकर भारत से घनिष्ठ संबंध स्थापित कर सकता है। आर्थिक, नीतिक, वैज्ञैनिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों में।

इस लिये मैं आप को फिर कह रहा हूँ कि मेरी हार्दिक संदेश, आदर आपके राष्ट्रपति और प्रधान-मंत्री को बताऐं। आप उन को बताऐं कि मैं आपकी निमंत्रण पुरा करने के लिये ज़रूर कोशिश करूँगा। जहिर है कि हम भी चाहते हैं कि भारत के राष्ट्रपति और प्रधान-मंत्री आजरबैजान तशरीफ़ रखें। मैं आप से प्रार्थना कर रहा हूँ कि मेरा निमंत्रण उनको दे दें। अगर जवहरलाल नेहरू हमारे देश में जब आजरबैजान स्वतंत्र न था आये थे, आभी जब आजरबैजान स्वतंत्र है, मैं सोचता हूँ कि भारतीय राष्ट्रपति और प्रधान-मंत्री आजरबैजान तशरीफ़ रख सकते हैं। धन्यावद।

रचिंद्र मधुकार अभुआंकर: यॉर एक्सेलेंसी, हमारे देश और जनता के बारे में कही हुई शुभ बातों के लिये मैं आप का आभार हूँ। मैं आपकी डिटैल से बात करने और आप की याद से आश्चर्य चकित हूँ। हम आपकी यही यादें जिलाना और आपको भारत में देखना चाहते हैं।

जब मैं यहां पर राजदूत का काम खत्म कर रहा था वही भारतीय कंपनी मींगेचेवीर बिजली-घर में एक बड़ा प्रॉजेक्ट पर काम करता था। अगर आपकी याद में है तो उसी वक्त हमारे तेल कंपनी "कुरदाशी" बलॉक से दिलचल्पी लेता था। लेकिन वे इस काम को खत्म नहीं कर सका। वे आखिरी तीन सोलों में रुस में, सयबेरिया, साख़ालीन में काम करते रहते हैं। इस के साथ उनको इराक़ में एक नई तेल का क्षेत्र मिला। मैं चाहता हुँ कि आप उनतो एक और चांस दे दें। उनके स्थल या सागर में एक नई प्रॉजेक्ट में कोशिश करने कि लिये एक और मौके दिजीएगा।

हैदर अलीयेव: मुम्किन है।

रचिंद्र मधुकार अभुआंकर: धन्यवाद। जी, हम ईस काम को पुरा करने के लिये कोशिश करेंगे।

हमारी आपकी आर्थिक विकास की मंत्र से बहुत दिल्चस्प, कारगर भेंट हुई। मेरे ख्याल में हमारे फैरमेसी के क्षेत्र में साथ करनेवाले बहुत काम हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है कि इस की मामूली लोगों को बड़ी सहायता होती है।

हैदर अलीयेव: जी हाँ, भारत की इस क्षेत्र में बड़ी सफलताऐं हैं।

 रचिंद्र मधुकार अभुआंकर: हर देश में पॉलिआमेलिट, डिआबैटीस जैसी बीमारियों से काष्ट होनेवाले लोग हैं। भारत का इस क्षेत्र में बड़ा अनुभव है। हम टैबलेट और वेक्सीनेशन के दवाईयों के उत्पादन में विकासीत है।

जैसे कि मालूम है भारत की आबादी बहुत है। इस लिये हमारे वहाँ छोटा और मध्यम बीजनेस खूब विकासित है। मैं यही सोचता हूँ कि इस क्षेत्र के प्रतिनिधि को आजरबैजान में होना बहुत लाभदायक है। क्योंकि यहां पर लोग कारोबारी, इस क्षेत्र में बीजनेस करना सीखते हैं। हम बहुत चाहते हैं कि आपके देश से कुछ रास्ते की तलाश करें और मुम्किन क्षेत्रों में अपने सहयोग बढ़ायें। ऐसा करना चाहिये कि हमारे देश इस से फायदा उठायें।

हैदर अलीयेव: हम भी यही चाहते हैं।

 

रचिंद्र मधुकार अभुआंकर: जी, हम चाहते हैं कि हमारे संबंध अच्छी तौर पर विकसित हों जायें। पर मुख्य बात यही है कि मेरा यहाँ होना दो तरफ़ संबध का विकास करवाना नहीं है। मैं ने यहाँ पर अपने देश की प्रतिनिधि जैसे आपकी स्वतंत्रता की 10वीं जयनती में भाग ले रहा हूँ। यह मेरे लिये बड़ी महत्वपूर्ण घटना है। एक बार आप को धन्यवाद।

हैदर अलीयेव: धन्यवाद

"आजरबैजान" पात्र, 20 आक्तुबर 2001.