आज़रबैजान गणराज्य के राष्ट्रपति हैदर अलीयेव तथा आज़रबैजान में नियुक्त भारत गणराज्य के असाधारण और पूर्णाधिकारी राजदूत दिनकर खुल्लर द्वारा परिचय-पत्र प्रस्तुत करने के अवसर पर हुई वार्ता के अंश, 7 जनवरी 2000

दिनकर खुल्ल्रर – महामहिम राष्ट्रपति महोदय, आज़रबैजान गणराज्य में भारत के राजदूतावास की पुष्टि करने वाले प्रपत्रों को आपके सम्मुख प्रस्तुत करना मेरे लिए यह बड़े सम्मान और आदर का विषय है। आज से मैं आज़रबैजान में भारत का स्थायी राजदूत बन रहा हूँ।

राष्ट्रपति महोदय, मैं भारत सरकार तथा भारत की जनता की ओर से आपका अभिवादन करता हूँ और आज़रबैजान की जनता की मंगलकामना करता हूँ। भारत और आज़रबैजान के सम्बन्ध बहुत व्यापक हैं और उनका एक लम्बा इतिहास है। इस इतिहास की छाप बाकू के निकट स्थित आतेशगाह के रूप में अभिव्यक्त हुई है। प्राचीन काल से ही भारत के धर्मपरायण लोग तथा व्यापारी भी यहाँ आते रहे हैं। भारत के पारसी समुदाय की जड़ें दुनिया के इसी भूभाग में विद्यमान हैं।

पिछले कुछ सालों में हमारे दोनों देशों के बीच राजनीतिक और आर्थिक सम्बन्धों के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक सम्बन्धों का भी बहुत विस्तार हुआ है। इसीलिए भारत ने आज़रबैजान में पहली बार स्थायी राजदूतावास स्थापित करने का निर्णय लिया है।

महामहिम, हम इक्कीसवीं सदी की, नए सहस्राब्द की दहलीज पर खड़े हैं और इससे हमारे सामने बहुत सारे अवसर खुल रहे हैं। सन् 1990 से दुनिया में बहुत सारे बदलाव होते दिखाई दे रहे हैं। ये बदलाव राजनीतिक स्थिति में तो दिखाई दे ही रहे हैं, साथ-ही-साथ उनकी अभिव्यक्ति सूचना क्रान्ति के रूप में भी हो रही है जो इस बात का संकेत हैं कि दुनिया वैश्वीकरण की ओर बढ़ रही है।

इन सब प्रक्रियाओं में भारत सक्रिय रूप से भागीदार है और अपने आस-पडोस के तथा सुदूर के देशों के साथ मैत्री तथा सहयोग बढ़ाने हमारा इरादा है। भारत एशिया महाद्वीप में रचनात्मक भूमिका अदा करना चाहता है और आज़रबैजान के साथ शान्ति तथा प्रगति पर आधारित सहयोग करना चाहता है।

महामहिम, इस अवसर पर मैं आपको तथा आज़रबैजान की मैत्रीपूर्ण जनता को भी भारत के नेताओं और भारत की जनता की शुभकामनाएँ प्रदान करता हूँ और साथ मेरी यह कामना है कि आपका देश स्थायी और सर्वतोमुखी प्रगति की ओर अग्रसर हो।

हैदर अलीयेव - आदरणीय राजदूत महोदय!

आज़रबैजान गणराज्य में भारत के असाधारण और पूर्णाधिकारी राजदूत के रूप में आपकी नियुक्ति पर मैं आपको बधाई देता हूँ और आपके काम में सफलता की कामना करता हूँ।

भारत दुनिया के प्रमुख देशों में से एक है। विश्व राजनीति में भारत का महत्वपूर्ण स्थान है। आज़रबैजान के लिए भी भारत की बड़ा महत्व है।

आपने यह बिल्कुल ठीक कहा है कि भारत और आज़रबैजान के सम्बन्ध प्राचीन काल से चले आ रहे हैं। इन ऐतिहासिक सम्बन्धों के बहुत-से चिह्न आज़रबैजान में मौजूद हैं जिन्हें हम अपने इतिहास के ज्वलन्त पृष्ठों के रूप में याद करते हैं।

भारत और आज़रबैजान के सम्बन्ध भारत द्वारा राष्ट्रीय स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से निश्चित रूप से व्यापक और विस्तृत होते रहे हैं। उस जमाने में भारत के नेताओं की, विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू की आज़रबैजान-यात्रा को ऐतिहासिक घटना माना गया था। भारत के लिए वह काल बहुत उल्लेखनीय था। भारत को स्वतन्त्रता प्राप्त हुई थी और सोवियत संघ ने, जिसमें आज़बैजान भी आता था, भारत के साथ घनिष्ठ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित किए थे। उन ऐतिहासिक सम्बन्धों का ही एक अंश था आज़रबैजान के साथ विद्यमान भारत के सम्बन्ध। भारत के विकास और भारत के जीवन में आज़रबैजान की हमेशा से ही दिलचस्पी रही है। मैं निजी तौर पर कह सकता हूँ कि सन् 1978 की अपनी भारत-यात्रा को मैं दिल में सँजोए हुए हूँ। उस समय दिल्ली, ताजमहल और राजस्थान के कुछ भागों की यात्रा का मुझ पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। वहाँ मैंने हाथी की सवारी भी की थी। मुझे बहुत कुछ अनोखा देखने को मिला था।

भारत के नेताओं के साथ हुई मुलाकातों की भी मुझे याद आती है। मैं इन्दिरा गांधी और मोरारजी देसाई से मिला हूँ। राजीव गांधी से भी मैं मिल चुका हूँ। मास्को में काम करने के दौरान मैं भारत के विदेश मन्त्री नरसिम्हा राव से भी मिला था जो बाद में भारत के प्रधानमन्त्री बने। मास्को में काम करते समय मेरी मुलाकात सोवियत संघ आने वाले भारत सरकार के प्रतिनिधियों के साथ होती रहती थी। ये सब मेरे व्यक्तिगत अनुभव

यह सब बताते समय मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि आज़रबैजान की जनता की भारत में बहुत रुचि रही है और भारत के प्रति यहाँ के लोगों के मन में बड़ा स्नेह है। वर्तमान समय में स्वतन्त्र राज्य के रूप में आज़रबैजान भारत के साथ अपने सम्बन्धों को और भी अधिक व्यापक बनाना चाहता है। इस समय इन सम्बन्धों को सभी क्षेत्रों में विकसित करने के बहुत सारे अवसर उपलब्ध हैं। आवश्यकता इस बात की है कि दोनों पक्ष इन अवसरों का उचित उपयोग करें।

आज़रबैजान में भारत के राजदूतावास का खुलना तथा राजदूत के रूप में आपकी नियुक्ति इस बात का प्रमाण हैं कि आज़रबैजान की ओर भारत ध्यान दे रहा है और आज़रबैजान में वह रुचि ले रहा है। हम इससे बहुत सन्तुष्ट हैं। मैं यह आशा करता हूँ कि आज़रबैजान में भारत के राजदूत के रूप में आप दो स्वतन्त्र देशों – भारत और आज़रबैजान – के बीच सम्बन्धों को और अधिक बढ़ाने की दिशा में सक्रिय रहेंगे। आज़रबैजान में भारत के राजदूत के रूप में आपको राजकीय और सरकारी स्तर पर और हमारे सामाजिक संगठनों द्वारा आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी और हर जगह आपको हमारे अच्छे सम्बन्धों का प्रमाण मिलेगा। मैं आपको बधाई देता हूँ और आपकी पूरी सफलता की कामना करता हूँ।

(समाचार-पत्र "बकीन्स्की रबोची", 8 जनवरी 2000)