खोजाली जातिसंहार की तीसरी बरसी पर आयोजित सभा में आज़रबैजान गणराज्य के राष्ट्रपति हैदर अलीयेव द्वारा दिया गया भाषण, बाकू, "तेज़ेरपीर" मस्जिद, 26 फरवरी 1995

मेरे प्यारे देशवासियो! सम्माननीय मुसलमानो!

आज हम इस "तेज़ेरपीर" मस्जिद में, अल्लाह के इस घर में शोक दिवस के सिलसिले में जमा हुए हैं। आज हम खोजाली जातिसंहार और खोजाली त्रासदी की तीसरी बरसी मना रहे हैं।

आज़रबैजान की जनता ने शताब्दियों पुराने अपने इतिहास के दौरान अपने पथ पर अग्रसर होते हुए अनेकों बड़ी जीतें हासिल की हैं और बड़ी-से-बड़ी ऊँचाइयों को छूआ है जिनसे विश्व संस्कृति समृद्ध हुई है। मुसलिम जगत ने विश्व संस्कृति को कुरान जैसा पवित्र ग्रन्थ प्रदान किया है। कई शताब्दियों के अपने इतिहास के दौरान आज़रबैजान की जनता ने बड़े-बड़े कष्ट झेले हैं और समय-समय पर हमारे देश के जीवन में त्रासदियाँ भी घटित होती रही हैं। हमारे देश की दुःखद घटनाओं में से एक है आर्मेनिया के लुटेरों द्वारा किया गया हमला जो पिछले छह सालों से जारी है जिसके परिणामस्वरूप हमारी जमीन के कुछ हिस्सों को छीन लिया गया है, हमारे अनेकों नागरिकों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा है और बहुत अधिक रक्तपात हुआ है। सबसे अधिक दुःखद घटनाओं में से एक है खोजाली जातिसंहार जिसने हमारे दिलों में गहरा घाव कर दिया है।

मनुष्य द्वारा मनुष्य के प्रति बर्बरतापूर्ण व्यवहार की घटनाएँ इतिहास में अनेकों बार देखने को मिलती हैं। दुनिया में कई जगह जातिसंहार भी होता रहा है। आर्मेनिया के कब्जावरों द्वारा आज़रबैजान के विरुद्ध किया गया जातिसंहार तो बुरी तरह हैरत में डाल देने वाला है। बहुत समय से, बल्कि कहना चाहिए कि पूरी बीसवीं सदी से चलते आ रहे आर्मेनियाई आक्रमणकारियों द्वारा आज़रबैजानी जनता और राष्ट्र के विरुद्ध किए जा रहे इस जातिसंहार ने हमारी जनता को बहुत अधिक आहत कर दिया है। खोजाली जातिसंहार और छह साल से चलते आ रहे युद्ध ने हमारे ऊपर सबसे ज्यादा गहरे घाव किए हैं।

युद्ध की शुरुआत आर्मेनियाई आक्रमणकारियों ने की। आज़रबैजान की जनता अपनी भूमि की रक्षा कर रही है। निस्सन्देह, युद्ध में खून बह रहा है, हमें जीवन का बलिदान भी करना पड़ रहा है और बड़े-बड़े कष्ट झेलने पड़ रहे हैं। तीन साल पहले आक्रमणकारियों ने खोजालीवासियों, वहाँ की शान्तिपूर्ण जनता, महिलाओं, बच्चों, बूढ़ों और मरीजों के विरुद्ध जो बर्बरतापूर्ण सैन्य कार्यवाही की थी वह इस छह साल से चली आ रही लड़ाई का सबसे अधिक भयानक, दर्दनाक और स्याह पक्ष रहा है।

खोजाली की घटनाओं से यह बात भी सामने आई कि आर्मेनियाई लोगों की नजर न केवल हमारी धरती पर थी, बल्कि उन्होंने हमारी भूमि पर कब्जा करके जातिसंहार का बर्बरतापूर्ण रास्ता अख़्तियार किया जो खोजाली की घटनाओं में स्पष्ट रूप से सामने आया। उस भयानक रात को आज़रबैजानी जनता पर कहर बरपा गया था। वह घाव हमें अभी तक पीड़ा दे रहा है। वह घाव अभी तक भरा नहीं है, बन्द नहीं हुआ है, हमारे दिलों में वह घाव हमेशा के लिए बना रहेगा। जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, शान्तिपूर्ण जनता पर रात के समय किया गया हमला, और बर्बरतापूर्ण विनाश, बच्चों, महिलाओं, बूढ़ों और मरीज़ों की हत्या तथा उनके साथ की गई अविश्वसनीय क्रूरता और अत्याचार हमारे दुश्मनों की बर्बरता का एक और प्रमाण है।

खोजाली जातिसंहार, हमला, हमारी जनता के प्रति आर्मेनियाई लोगों की बर्बरता तथा उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए उत्पीड़न के सबसे घटिया तरीके इतिहास से मिटाए नहीं जा सकते हैं। उस रात को मारे गए हमारे नागरिक आज़रबैजान को अत्यन्त प्रिय हैं जिन्होंने देश की क्षेत्रीय अखण्डता की रक्षा में अपने प्राण निछावर कर दिए, जिन्होंने हमारी राष्ट्रीय स्वाधीनता के संघर्ष में अपना जीवन बलिदान कर दिया और शहीद हो गए। उनका त्रासद बलिदान और उनकी शहादत आज़रबैजान की जनता की बहादुरी, दृढ़ता और हिम्मत का सबूत हैं।

छह साल से भी अधिक समय से चलते आ रहे युद्ध में हमारे बहुत सारे लोगों ने अपना जीवन बलिदान किया है। मैं फिर से यह बता दूँ कि खोजाली के शहीदों ने अपना जीवन आज़रबैजान की क्षेत्रीय अखण्डता, प्रभुसत्ता तथा स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए अर्पित किया है। आज हम यहाँ उन्हें याद करने को, उनके आगे अपना शीश नमन करने को तथा उनके लिए दुआ माँगने को एकत्र हुए हैं। इस शोक दिवस के अवसर पर समस्त आज़रबैजानी जनता तथा आज़रबैजानी शासन की ओर से मैं एक बार फिर उस त्रासद घटना को याद करते हुए अपनी जनता के प्रति सहानुभूति अभिव्यक्त करना चाहता हूँ। खोजाली के शहीदों के परिवारों तथा उनके सम्बन्धियों के प्रति मैं पूरी-पूरी हमदर्दी अभिव्यक्त करता हूँ। खोजाली के शहीदों की आत्माओं को अल्लाह शान्ति प्रदान करे। अल्लाह हमारे सारे शहीदों की आत्माओं को शान्ति प्रदान करे। खोजाली के शहीदों के परिवारों को अल्लाह धीरज प्रदान करे। अल्लाह हमें ऐसा धीरज प्रदान करे कि हमारे ये सारे कष्ट दूर हो जाएँ, हमारी पूरी आजादी सुनिश्चित हो जाए, स्वतन्त्र आज़रबैजान की क्षेत्रीय अखण्डता बनी रहे और आज़रबैजान की स्वतन्त्रता को कोई आँच न आने पाए।

खोजाली की त्रासदी हमारा दुःखद अध्याय है, हमारी पीड़ा है, हमारा दर्द है। साथ ही, हमारे संघर्ष का रास्ता, हमारी राष्ट्रीय स्वतन्त्रता का रास्ता जिसे आज़रबैजानी जनता ने कई शताब्दियों में तय किया है हमारा गौरवशाली और सफल मार्ग है। पहले भी हमारे रास्ते में मुसीबतें आई थीं। आज भी हम मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। किन्तु आज़रबैजानी जनता की इच्छा-शक्ति को कोई तोड़ नहीं पाया है और न तोड़ पाएगा। इन घटनाओं से हमें यह निष्कर्ष निकालना चाहिए कि हमें और भी अधिक हिम्मती, मज़बूत और एकजुट बनना है। हमें यह अहसास होना चाहिए कि अपने भाग्य का स्वयं मालिक होने के नाते हमें अपनी तथा अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा स्वयं ही करनी होगी जिसके लिए अल्लाह के द्वारा तय किए गए रास्ते पर चलते हुए हमें अपना मार्ग खोजना होगा और उसी मार्ग पर आगे बढ़ते जाना होगा। 

इसीलिए आज के दिन अपने सारे शहीदों की आत्माओं की शान्ति की कामना करते हुए हमें अपने मस्तक को ऊँचा रखना होगा। शोक करने के साथ-साथ हमें आशावादी भी होना चाहिए, हमें आगे की ओर, भविष्य की ओर आशा के साथ देखना चाहिए और आशा में ही जीना भी चाहिए। मेरा पूरा विश्वास है कि आज़रबैजानी जनता अपनी वर्तमान कठिन अवस्था को भी पार कर लेगी। हमारी वर्तमान कठिनाइयों का सम्बन्ध केवल युद्ध से, हमारी धरती पर बाहरी कब्जे से तथा हमारे शरणार्थियों के बुरे हालातों से ही नहीं है। इस समय हमारी जनता संक्रमण-काल में जी रही है। हम सामाजिक-आर्थिक संकट को झेल रहे हैं। लोगों के जीवन में बहुत सारी मुसीबतें आ रही हैं। हमारी जनता के मार्ग में इस तरह की अवस्थाएँ कई-कई शताबिदयों तक पहले भी कई बार आ चुकी हैं। जनता ने उनका सामना किया है, इसीलिए वह सदियों से जीती चली आ रही है तथा आगे भी कई सदियों तक इसी तरह जीती रहेगी। 

हमें अपना विश्वास नहीं खोना चाहिए, अपनी मान्यताओं से नहीं हटना चाहिए और अपने द्वारा चुने हुए मार्ग को छोड़ना नहीं चाहिए। हमारे द्वारा चुना हुआ मार्ग है - आज़रबैजान की स्वतन्त्रता, राष्ट्रीय स्वाधीनता तथा स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में आज़रबैजान की शाश्वत स्वतन्त्रता। जिस मार्ग पर चल पड़े हैं वह मार्ग हमारे नैतिक मूल्यों के प्रति, हमारी परम्पराओं, हमारे धर्म, हमारी भाषा तथा हमारे इतिहास के प्रति निष्ठा का मार्ग है। जितना ही अधिक हम इन सबके प्रति निष्ठावान होंगे, उतना ही अधिक हम अपनी वर्तमान स्थिति के कारणों को समझ पाएँगे, परस्पर एक दूसरे की मदद करेंगे, एक दूसरे का सहारा बनेंगे और आर्मेनियाई कब्जावरों को खदेड़ सकेंगे। इस तरह हम अपनी भूमि को मुक्त करवा कर अपनी जनता तथा अपने गणराज्य को संकट की स्थिति से बाहर निकाल सकेंगे। 

मेरा विश्वास है कि हमारा मार्ग गौरवशाली मार्ग है, सच्चा मार्ग है जो हमारी जनता के हितों की रक्षा करने वाला है। हम इसी रास्ते पर चलते रहेंगे। स्वतन्त्र आज़रबैजान को अपनी जनता की एकता पर और उसकी दृढ़ता पर पूरा विश्वास है। इसी एकता, दृढ़ता, धीरज और सहनशीलता के बल पर हम इस कठिन स्थिति से उबर सकेंगे। 

मैं एक बार फिर अल्लाह से गुज़ारिश करता हूँ कि वह खोजाली के शहीदों की आत्माओं को शान्ति प्रदान करे। मैं फिर से अल्लाह से गुज़ारिश करता हूँ कि वह सभी शहीदों की आत्माओं को शान्ति प्रदान करे। मैं फिर से आप सबको यह विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि हमारा देश आज़रबैजान की जनता के अधिकारों की, अपनी भूमि की और अपने क्षेत्र की पूरी दृढ़ता के साथ रक्षा करता रहेगा और आज़रबैजान की जनता को उसके कष्टों से अवश्य उबारेगा। 

(इस अनुवाद का मूल पाठ हैदर अलीयेव की पुस्तक - हमारी स्वतन्त्रता शाश्वत है - भाषण, घोषणाएँ, इंटरव्यू, चिट्ठियाँ, अभिभाषण तथा आदेश, "अज़ेरनेश्र" प्रकाशन, बाकू, 1988, खण्ड-3, पृ. 215-217 से लिया गया है)