आज़रबैजान प्रजातंत्र के राष्ट्रपति हैदार अलीयेव का संयुक्त राष्ट्र संगठन के जनरल एसेम्बली के 49वां अधिवेशन में भाषण, न्यू यॉर्क, 29 सितंबर 1994

आदरणीय श्री सभापति!

आदरणीय श्री सेक्रेटरी जनरल!

श्रीमाती और श्रीमानो!

सब से पहले मुझे इजाजत दीजिये कि संयुक्त राष्ट्र के जनरल एसेम्बली के 49वां अधिवेशन के अद्यक्ष चुनायी जाने के संबंध श्री आमार ऐस्सी को बधाई दे दूँ और उनको काम में सफलताऐं की कामनाऐं करऊँ। और पिछले अधिवेशन के अद्यक्ष श्री सैमुऐल इंसनैल्ली को किये हुऐ काम के लिये अपना धन्यवाद आदा करूँ।

संयुक्त राष्ट्र संगठन के महासचिव श्री बुट्रॉस गैली को सारी दुनिया में शांती और सुरक्षा की मज़बुती की कर्रवाई के लिये अपना धन्यवाद आदा कर रहा हूँ। 

मैं उनको हमारी जवान राष्ट्र के समस्यों पर ध्यान देने के लिये खास तौर पर आभारी हूँ।

श्रीमाती और श्रीमानो!

मैं इस प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संस्था के मंच से आपके सामने अशांति और गर्व से भाषण कर रहा हूँ। यह पहली बार है कि स्वतंत्र आज़रबैजान प्रजातंत्र का राष्ट्रपति अपने देश को दुनिया के युनियन को बराबर आधिकार से परिचय कर रहा है।

आज़रबैजान की जनता सदियों से आजादी के लिये लड़ती थी। सोवियत संघ के टुटने के बाद इस्को आज़ादी मिलि थी। हमारा प्रजातंत्र सथायी रूप से क़ानूनी, जनतांत्रिक, सेकुल्यार ऐक राष्ट्र बना रहा है। ये सारे एक संयुक्त प्रॉसेस है, एक दिन का काम नहीं है। पर हम अपनी लक्ष्या की ओर स्थायी रुप से जा रहा हैं और छोटे समय पर बहुत काम किये गये, क़ानूनी, जनतांत्रिक समाज बनाने के लिये सारी परिस्थितियां मौजूद हैं। हमारे प्रजातंत्र में बहुपर्टिय क्रम मौजूद हैं, नीतिक प्ल्युरालीज्म, व्यक्ती की, भाषण, प्रेस, धर्मिक आज़ादीयाँ, व्यक्ती की आधिकारों की रक्षा और क़ानून की प्रथमता के सिद्धांत मज़बूती से कायम हो गये। चमड़े का रंग, धर्म और भाषा की परवाह किये बिना बहुजातीय आज़रबैजान के सारे नागरिक बराबर अधिकारों से लाभ उठाते हैं।  

राजनीतिक परिवर्तन ने देश के लोकतंत्रीयकरण, बाज़ारी बर्ताव को पास करने के लिये गहरी आर्थिक सुधार करने के लिये परिस्थितियां बनायी हैं। हम आज़ाद करोबारी के विकास, निजी पहल को प्रचार करतो है, ग्लॉबल धन का अवलंबन किये हुऐ प्रगति करने वाले लोकतंत्रीय समाज को बनाने में बडी सफसताऐं मिले हुऐ दुनिया के अग्रणी देश के अनुभव से इस्तेमाल करके बड़े पैमाने पर प्रीवातिजेशन प्रॉग्रेम पूरा करने लगे।.

हम एक ऐसे क्षेत्र में रहते हैं कि यहाँ पर बहुत राष्ट्रों की दिलचस्पी है, यानी युरॉप और ऐशिया के अहम भौगोलिक राजनीतिक चौराहा में स्थित होकर बहुत प्राकृतिक साधन और बड़ी औद्योगिक क्षमता पाकर आज़रबैजान की जनता की इरादा और इनाम का अबलंबन करके अपनी आज़ादी की मज़बूती और लोकतंत्रीय बाजारी सुधार पुरा करने के लिये इसी स्ट्रैटेजक रास्ते से जा रहे हैं। आज इस ऊंचे मंच से कह रहा हूँ कि कोई भी आज़रबैजानी जनता को इस रास्ते से मुड़ना मज़बूर नहीं कर सकता और हम अपने देश के भविष्य को आशावाद से देख रहे हैं।

हमारे आशावाद दुनिया में होनेवाले ऐतिहासिक प्रॉसेस, अंतर्राष्ट्रीय संबंध की प्रणली में गहरी परिवर्तन से संबंधित हैं। निस्संदेह सैनिक प्रतिद्वंद्विता और विचारधारात्मक मत भेद को बदलनेवाले बराबर आधिकारवाले दुनिया का नया नियम अंतर्राष्ट्रीय संबंध की भविष्य प्रणली का आधार होगा। अंतर्राष्ट्रीय अधिकार, संयुक्त राष्ट्र संगठन के चेर्टेर के सिद्धांत और सूत्र के अनुसर साझेदारी, मज़बूत शांती और सब के लिये सुराक्षा नयी दुनिया के नियम के मुख्य सिद्धांत बना जा रहे हैं। हम अत्चाचर का अबलंबन करने बाले दुशमनी की दुनिया से सहयोग और प्रगती की तरफ़ जानेवाला एक सुरंग के आख़िर में बीजली देख रहे है और इस रास्ते से दुनिया के सारे देश और जातियों के साथ, हाथ में हाथ मिलाकर जाने को तैयार हैं।

लेकिन मानव-जाति के सामने होनेवाली ख़तराऐं बिलकुल दूर नहीं की गईं। आभी पुराने सिद्धांत मौजूद हैं, बहुत समस्याऐं जो दस सालों में जारी हुई प्रतिद्वंद्विता के दौरान से रह गये, विषेश तौर पर निःशस्त्रिकरण, नाभिकीय हथियारों के खत्म करने के क्षेत्र में समस्याऐं दूर नहीं की गईं। विभिन्न आर्थिक ताकतवाले राष्ट्रों के संबंध फिर पुराने मुश्किलों से मिले है। हमारी दौर ऐकोलोजीक ख़तराओं, जनता और विकास के समस्याओं के संबंध हमारे नये इम्तहान लेते हैं।

पुराना दुनिया के सिद्धांत बिगड़ने के कारण जातिवाद और पृथक्तावाद ने कॉकासुस, बलकन, दुनिया के दूसरे सथानों में खूनी झगड़े पैदा करवाया। ये झगडे सिर्फ आज़ाद राष्ट्र का विकास पीछे नहीं कर रहे अभी मज़बूत ना होनेवाले लोकतांत्रीय समाजों की मौजूदगी के लिये सीधी ख़तरा हैं और सारी दुनिया में शांती और सुराक्षा के लिये ख़तरा बनी रही है।.

इस कारण कॉल्ड वार के बाद दुनिया के अहम अंतर्राष्टट्रीय संस्थाओं, बड़े देशों का ख़ास उत्तरदायित्व है। वे अपनी नीति ताकत, अर्थिक, मुद्रीय और सैनिक शक्तियों से इस्तेमाल करके इन झगड़ों के हल में, दुनिया के सारे कोने पर शांती, स्थायी और सुराक्षा की मज़बूती के लिये अपना पुरा जोर लगाना हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ जो अगले साल अपनी 50वीं जयंती मनाऐगा, कई झगड़े और क्रायजीस को हल करने में बड़े अनुभववाले उसके सुरक्षा परिषद का निस्सांदेह नयी दुनिया के नियम बनाने में प्रमुख भूमिका है। पर सुरक्षा परिषद के सामने मुशकिल समस्याऐं हैं: इस नयी हालत में अपनी फलप्रद कार्रवाई दुनिया के देशों को दिखाना है। आजकल सुरक्षा परिषद ज्यादा प्रयत्न करना है कि उसके फैसले पिछले के मुकाबले में सही पूरे किये जाये। आशा है कि परिषद के सदस्ये के परिमाण बढ़ाने इसकी मज़बूती और बढ़ जायेगी.

हम जनरल ऐसेमबली का भूमिका पर बड़ा महत्व देते हैं। हमारे लिये यह भूमिका सब से पहले यह है कि आपसी छूट और बराबर फायदे वाले फैसले करते समय सारे राष्ट्रों की कार्रवाई पूरी की जाये।  

आजकल की हालत में संयुक्त राष्ट्र संघ के जनरल सेक्रेटरी के अपने अधिकार फलप्रद रुप से इस्तेमाल करने में अंतर्राष्ट्रीय शांती और सुरक्षा की मज़बूती में जनरल सेक्रेटरी के साथ जीम्मेदार सदस्या देशों की सहायता का महत्व बढ़ता जाता है। 

आज़रबैजान प्रजातंत्र भविष्या के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ के संदर्श आशावाद से मुल्यांकन करता है और इस के बाद भी संयुक्त राष्ट्र संघ के ऊँचे सिद्धांत की रक्षा करने, इस संस्था के महत्व को बढ़ाने की कोशिश करेगा।

आदरणीय श्रीमाती और श्रीमानो!

आप सब को \"जंग\", \"सैनिक झगड़ा\" जैसे धारणा ख़ूशी से ऐतिहासिक होकर आपके देश की दूरी में होनेवाले धटनाऐं है तो पर मेरी जनता के लिये यह निर्मम वास्ताविक्ता, खूनी साधारान दिन हैं।

छः साल हो गये है कि आज़रबैजान की भूमी जंग के अलाव में है। अर्मेनियाई प्रजातंत्र आज़रबैजान के पहाड़ी गराबाग़ क्षेत्र में रहनेवाले अर्मेनियाई लोगों के अपने आत्म निर्णय का अधिकार पूरा करने के बहाने से हमारे राष्ट्र के क्षेत्र कब्ज़ा करके सीमाऐं जोर से बदल रहा है और आज़रबैजानी लोगों को अपने घरों से निकालने की योजना पूरा कर रहा है।

ये सारे जातियों के अपने आत्म निर्णय का अधिकार पूरा करने लिये किसी भी जाती का अपनी आज़ादी घोषणा करना और दूसरे राष्ट्र से संयुक्त हो जाने जैसे समझाया जाता है। अपने आत्म निर्णय का अधिकार का ऐसी तरीक़े से समझाया जाना किसी भी राष्ट्र की सर्वभौमिकता और क्षेत्रीय एकता के सिद्धांत से प्रतिवाद करता है। इस अधिकार को पूरा करने के लिये किसी भी प्रयत्न निर्दय झगड़े बनाता है। हम अपने क्षेत्र और दुनिया के दूसरे कोने में इस का गवाह हो गये हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ के जनरल सेक्रेटरी बूट्रॉस गैली ने भी इस समस्या के संबंध अपनी परेशानी प्रकट किया था। \"अगर हरेक जाती, धर्मिक या भाषाई ग्रूप अलग राष्ट्रता मांग ले तो इस विभाजन का आख़िर नहीं होगा और दुनिया में शांती, सुरक्षा और अर्थिक खुशहाली पाना बहुत कठिन होगा।\"

मैं आदर्नीय बुट्रॉस गैली के एक ऐसा विचार से ऱाज़ी हूँ कि मौजूद अंतर्राष्ट्रीय प्राणली के अंदर जातियों के अपने आत्म निर्णय करना और राष्ट्रों की सर्वभौमिकता, क्षेत्रीय अलंघनीयता और स्वतंत्रता जैसे बराबर कीमती और महत्वपूरण समस्याओं के एक दूसरे साथ प्रतिवाद हाने न देना है।\"

हमारे क्षेत्र में होनेवाली घटनाओं के बारे में दुनिया के समाज का काफी ख़बर नहीं है, और कुछ हालों में निष्पक्ष ख़बर होने के कारण मैं आपको संक्षेप सूचना देना चाहते हैं। आर्मेनियाई प्रजातंत्र ने आजरबैजान के पहाड़ी गाराबाग़ के क्षेत्र में सेना जमा करके प्रजातंत्र के खिलाफ़ सक्रिय लड़ाई की। शुशा शहर और लाचीन क्षेत्र के कब्जे के बाद पहाडी गाराबाग़ का सामामेलन ख़त्म हो गया था और पहाडी गाराबाग़ में 50 हजार लोग निकल दिये थे। आर्मेनियाई फौज़ पहाड़ी गाराबाग़ से इस्तेमाल करके हमले के दौरन पहाड़ी गाराबाग़ के बाहर आजरबैजान के लाचीन क्षेत्र कब्जा होनो के बाद पहाड़ी गाराबाग़ से चारगुना ज़्यादा क्षेत्रवाला केलबाजार, आगदाम, फुज़ूलि, जबराईल, गुबादली जैसा दुसरे क्षेत्रों का भी कब्जा किया था। 

आक्रमण के नतीजे में आजरबैजान के क्षेत्र के 20 प्रतीशत से ज़यादा आर्मेनियाई फौज़ की तरफ से कब्ज़ा किया गया। मैं आजरबैजान के अत्मधिक जन हानि आपको कहना हूँ: 20 हजार से ज़्यादा आदमी मर गये, एक लाख के करीब जख़मी कीये गये और 6 हज़ार कैद हो गया। दस लाख से ज़यादा आजरबैजानी, देश के 15 फीसाद, टेंट शहर में रहते हैं। वे अपने देश में बग़ौर घर रह गये, गर्मियों की गर्मी, जाड़ों में सर्दी, एपीदेमीक से सताते हैं, सब से जरूरी चीज़ों की मांग में हैं। आजरबैजान के कब्ज़े किये गये क्षेत्र में 700 शहर और गाँव विनाश किये गयेते, इसी शहर और गाँवों में सारे घर, पठशाला, हॉस्पीतल जलाये किये गये थे।

मेरे ख्याल में इसको सबूत करने के लिये ज़रूरात नहीं है कि ऐसी हालात में हमें जातियों के अपने आत्म निर्णय का अधिकार पूरा करने से नहीं आंतर्राष्ट्रीय अधिकार के टूटना, संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्या के देश की सर्वभौमिकता, क्षेत्रीय अलंघनीयता और राजनीतिक स्वतंत्रता पर हमला है।

जंग मेरी जनता की हालत विगड़ता है। आजरबैजान के समाज की लोक्ततंरीयता के लिये आर्थिक और नितीक सुधर को पूरा करने में रुकावट मिलती है।

जंग के नतीजे में आज़रबैजानी जाती को अरबों आमरीकी डालर नुकसान मिला है। पर पुरूष के नैतिकता को दी गई नुकसान, जनता की दर्द और विपत्ती किसि भी पैमाने के नहीं हैं। 

आजकल सिर्फ आज़रबैजान में नहीं दूनिया के दूसरे स्थानों में ख़ून बीकती है। जातियां जंग होनेवाले सथानों में दुःखद को उदासीन ना होने हैं। सशस्त्र झगड़ों को होने ना देने के लिये, इनको इंसाफी से और अंतिम तौर पर हल करने के लिये एकसाथ मिलके तैय करना चाहिये। 

श्रीमाती और श्रीमानो!

आर्मेनिया प्रजातंत्र की सेना से आज़रबैजान के क्षेत्रों के कब्जे से संबंधित आखिरी दो सालों में सुरक्षा परिषद ने 4 फैसले और 6 घोषणा पास किये थे।

इन सारे फ़ैसलों में सुरक्षा परिषद ने आज़रबैजान प्रजातंत्र की सर्वभौमिकता, क्षेत्रीय अलंघनीयता की पुष्टि की जाती है, क्षेत्र पाने के लिये जोर लगाना ग़लत समझता है, आज़रबैजान के कब्ज़े किये गये सारे क्षेत्रों से आक्रीमक सेना फौरन, बिने किसी शर्त निकालना, शरणार्थीयों को अपने स्थायी जगहों को वापसी मांग की जाती है।

पर इन सारे फैसलों पर आर्मेनिया प्रजातंत्र फिर भी ध्यान नहीं देती। इसके अलावा आज़रबैजान के कब्ज़े किये क्षेत्रों में अपनी सेना बढ़ाती है।

दुसरी तरफ़ से सुरक्षा परिषद ने भी क़बूल किये फैसलों का यंत्र चालू नहीं किया है। एक ऐसी सवाल पैदा होता है।: सुरक्षा परिषद कितना ढृढ़ है, हरेक केस में इसके अधिकार कैसा मालूम किया जाता है ?

सुरक्षा परिषद के फैसलों को पूरा न करना संयुक्त राष्ट्र संघ के खिलाफ़ हैं और इसकी अंतर्राष्ट्रीय शांती और सुरक्षा को हिफाज़त करने की मुख्य ड्यूटी को पूरा करने की योगयता पर भरोसा टूट सकता है।

क्षेत्रीय झगड़ों को हल करने में अनुभाव दिखाता है कि फैसलों के पूरे करने में प्रायत्न सिर्फ़ संयुक्त राष्ट्र संघ चैर्टर के आधार पर कर्रवाईयों से मज़बूत होकर सफल होते हैं।  

अंतर्राष्ट्रीय अधिकार के सिद्धांतों का उल्लंघन करनेवाले राष्ट्र के खिलाफ़ क़दम उठाना अंतर्राष्ट्रीय संस्था का दुनिया के समाज के सामने एक फ़र्ज़ है। 

आर्मेनियाई-आज़रबैजानी झगड़े को दूर करने के लिये किये गये काम में हम यूरॉप में सुरक्षा और सहयोग की संस्था जैसे संगठनों पर आशा रखते हैं। आर्मेनियाई-आज़रबैजानी झगड़े को दूर करने के लिये यूरॉप में सुरक्षा और सहयोग की संस्था के मिंस्क ग्रूप भी कब्ज़े किये हुए सारे ज़मीन की आज़ादी और आक्रामक फौज़ को आज़रबैजान के क्षेत्र से बिलकुल निकालना, इसकी सर्वभौमिकता, क्षेत्रीय अलंघनीयता और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकारोक्ति की गयी सीमाओं की इज्जत की ज़रूरात पर बुनियाद किया गया।

पर यूरॉप में सुरक्षा और सहयोग की संस्था के ख़ास यंत्र न होने की वजह से उसकी बहुत मध्यस्थ के प्रयत्न खेद है कि आज तक किसी अहम परिणाम न पया। आज हमें सिर्फ एक अच्छा परिणाम मिला। रुस और यूरॉप में सुरक्षा और सहयोग के संस्था के मिंस्क ग्रूप के बड़े प्रयत्न और सत्रिय मध्यस्थ मिश्न के नतीजे में झगड़े के क्षेत्र में गोलीबारी रोकने के बारे में समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था।

चार महीने से ज़्यादा हो गयो है कि गोलीबारी की आवाज़ नहीं आ रही है, ख़ून नहीं बहती।

हम इन सब को मूल्यांकन करते हैं। पर स्थिति फिर भी गंभीर है और गोलीबारी रोकने के बारे में समझौता बहुत ढीली है।

अर्मेनियाई प्रजातंत्र अज़रबैजान के कबज़े किये हुए ज़मीन का एक भाग अज़रबैजान प्रजातंत्र के पहाड़ी गराबाग़ क्षेत्र की आज़ादी की स्थिति से बदलना की असकारण शर्तें पेश करता है। अज़रबैजान इस क्षेत्र में अपनी सेना रखना और अज़रबैजान के शुशा शहर और लाचीन क्षेत्र पर अपना नियंत्रण होना मांगता है। यह हमारे क्षेत्र का समामेलन है।

अर्मेनिया झग़डे शरू होने से पहाड़ी गराबाग़ में मौजूद लोकतंत्रीय स्थिति का बहाल करना और आज़रबैजानी लोगों की वहाँ वापसी, आज़रबैजान के सब से पुराना सांस्कृतिक केंद्र शुशा की हमें वापसी कबूल नहीं करती।

अर्मेनिया संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के फैसलों को पूरा न करके, इन शर्तों से अंतर्राष्ट्रीय पीस कीपींग फॉर्स को आज़रबैजान के कब्ज़े किये हुए पहाड़ी गराबग़ के क्षेत्र में ठहराने के प्रास्ताव रखकर उनको अपनी नीति के वास्तु बनाने की कोशिश कर रहा है।

आज़रबैजान प्रजातंत्र की मोर्चा सदा सही था और शांतिपूरण है। बवाजूद के हमें बहुत नुक़सान मिले हैँ पर हम आंतर्राष्ट्रीय आधिकार, ईंसाफ़ और मानवता के बुनियाद पर आर्मेनियाई पक्ष को शांती का प्रस्ताव करते हैं। हम पहाड़ी गराबाग़ के आर्मेनियाई लोगों की सुरक्षा की ज़मानत देने के लिये तैयार हैं। हम क्षेत्र में यातायात, विशेष तौर पर पहाड़ी गराबाग़ और आर्मेनियाई प्रजातंत्र को बीच ऐक यातायात के केरिडॉर का सही काम करना बहाल करने चाहते हैं। हम अगर ज़रूरत है तो झगड़े के क्षेत्र में आंतर्राष्ट्रीय शांति रक्षावाली फौज़ को ठहराने के लिये तैयार हैं। हम आज़रबैजान राष्ट्र के अंदर पहाड़ी गराबाग़ की प्रस्थिति पर विचार-विमर्श करने के लिये भी तैयार हैं।

पर हमारे लिये आटूट नियम और सिद्धांत हैं कि यह आज़रबैजान की सर्भौमिकता, क्षेत्रीय अखणदता, कब्ज़े किये क्षेत्रों की आज़ादी, शरणें की अपनी घरों में वापसी और 50 हज़ार आज़रबैजानियों की अपने वतन में - पहाड़ी गराबाग़ को वापसी हैं।

आज़रबैजान प्रजातंत्र झगड़े की शांतीपूर्ण तरीक़े से, ऱाजनीतिक तरीक़े से हल करने की पक्ष लेकर ऐसा सोचता है कि सिर्फ सुरक्षा परिषद के फ़ैसले पूरा करने के तरीक़े से आक्रमण के परिणाम दूर करके लम्बी ढ़ृढ शांती स्थापित करने और क्षेत्र में सारे लोगों की सुरक्षा के लक्ष्य से अमली और सही वार्त्ता की जा सकती है।

हम आंतर्राष्ट्रीय नियम के अनुरूप शांती की रक्षा करनेवाले लोगों का ठीक अधिकर-पत्र होने के शर्त से शांती के फ़ैसलाओं के पूरे होने के लिये विश्व संघ की सहायता को उमीद करते हैं।

हम गोलीबारी रोकने के बारे में समझौता का ऊंचा मुल्यांकन करके समझते हैं कि यह फिर शांती नहीं है लेकिन गोलीबारी रोकना जल्दी से शांती पाने के लिये स्थिति बनाता है। हम शांती के समझौता पर हस्ताक्षर लगाने तक और सैनिक झगड़े को बिलकुल अंत देने तक गोलीबारी रोकने के बारे में समझौता कै पालन रखने की हमारी ईरादा कई बार घोषणा किया है। आज में संयुक्त राष्ट्र-संघ के इस ऊंचे भाषण-मंच से फिर यही घोषणा कर रहा हूँ।

हम युरॉप में सुरक्षा और सहयोग के मिंस्क ग्रूप और रूस के शांतिपूरण कार्रवाई का समर्थन करकर उनके प्रयास ऐकसाथ करने के पक्ष में हैं, झगड़े के हल में किसी भी प्रथमता के लिये बहस के विरुध हैं। ऐसा बहस आज़रबैजान और आर्मेनियाई जनताओं की बहुत मांगी हुई शांती को पाने में कठीनाई बनाता है।

आज़रबैजान के कब्ज़े किये क्षेत्रों को आज़ाद करने के बारे में हमारी माँगें आधिकार पर बुनियाद है, वे संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद के फैसलों के अनुरूप है। खिसी भी क्षेत्र के कब्जे की कोशिश हमारे लिये अनुकूल नहीं है।

जंग में खींच जाने के कारण देश में अत्यंत भारी मानविकि हालत मौजूद है। सत्तर लाख के देश में हरेक सात आदमी से एक का रहने के लिये घर, काम, जिंदगी गुज़रने के लिये संभावना नहीं हैं।. शरणार्थी भारी हालात में तंबुओं में रहने को मज़बूर हैं। सर्दियों में खाने-पीने के लिये काफ़ी खाद्य-पदार्थ, दवाई न होकर आबादी के इस ग्रूप में ऐपिडेमी और भूख के ख़तरे में ढाला। शरणार्थियों के संबंधित बूरी हालात को दूर करना आज़रबैजान राष्ट्र की मुख्य ड्यूटी है।

हमारे प्रजातंत्र के अत्यावश्यक पुकार सुनकर अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं, कुछ राष्ट्रों ने हमें मदद की और हम आज़रबैजान को मानविकि सहायता देने में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रोग्राम के बड़े डॉनोर स्वीडन, ब्रीटन, जर्मनी, जापान, सवीजेरसैंड, दी निडेरलैंड, डैनमार्क के सरकारों को अपना आभार प्रकट करते हैं।  

हम द्विपक्षीय संबंध से आज़रबैजान को बहुत मदद करने वाले तुरकी, ईरान, साऊदी आरब और दुसरे देशों के सरकरों का अत्यंत आभारी हैं।

हम आज़रबैजान में शरणार्थियों को बहुत सहायता किये हुऐ UNHCR, IRCC, UNCF, \"Medicines without borders\" जैसे संस्थओं को, बहुत NGO का अत्यंत आभारी हैं।

आदरणीय श्रीमाती और श्रीमानो!

पुरब और पश्चीम की सभ्यताओं को एकसाथ लाकर हमारे देश की भौगोलिक स्थिति, समाजी-राजनीतिक महत्पूरणता और ऐतिहासिक सांस्कृतिक परंपरा से बनी हुई विशेष्ताऐं अंतर्राष्ट्रीय संबंध के प्रणली में मेरे प्रजातंत्र के भाग और स्थिति पर ख़ास प्रभाव डालते हैं।

सिर्फ़ अपनी विशेषताओं को समझकर और तबदीलियों के माँग ध्यान में रखकर हम क़दम पर क़दम आगे जाकर बाहरी दुनिया के साथ सहयोग की ईमारत बना रहे हैं।

आज़रबैजान प्रजातंत्र के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानने के वक्त से शुरू होकर हम ने बहुत देशों के साथ बराबर आधिकार वाले संबंध स्थापित किया और विभिन्न विश्व और क्षेत्रीय संस्थाओं में शामिल हो गया, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की ढ़ृढ़ता के लिये, कुछ कारण से ग़ायब हुऐ संबंधों के बहाल के लिये गंभीर प्रयास किये थे।

हम पुराने सोवियत संघ के क्षेत्र में पैदा हुए स्वतंत्र राष्ट्रों के साथ ऐतिहासिक, भौगोलिक, आर्थिक और मानविकी संबंधों को विशेष महत्व देकर चाहे द्विपक्षीय संबंधों की बुनियद पर चाहे स्वतंत्र राष्ट्रों को संघ के अंदर उनके साथ, विशेष तौर पर रूस के साथ बराबर आधिकार वाले सहयोग के विकासित करना चाहते हैं।   

आज़रबैजान के आमरीका, ग्रेट ब्रिटन, फ्रांस, चीन के साथ दोस्ती का संबंध सफलतापुर्ण विकास कर रहे हैं। हमारे क्षेत्र और नज़दीक के क्षेत्र के तुरकी, ईरान, साऊदी अरब, ईजीप्ट, पाकीस्तान जैसे देशों के साथ गहरी, दोस्ताना पड़ोस के संबंध मिलाते हैं। इन देशों के साथ हम इस्लाम कंफ्रेंस संस्था के अंदर भी गहरा सहयोग करते हैं।

इस साल के मई में NATO के \"पर्ट्नरशीप फोर पीस\" प्रौग्राम में आज़रबैजान का भी सम्मिलित होना इस की जिंदगी में मुख्य हादसा था। इस प्रोग्राम में हमें आम सुरक्षा के लिये सहयोग और आपसी कर्रावाई दिल्चस्प है। मैं वर्सो ट्रिटि के पुराने सदस्यों के इस प्रोग्रम में सम्मिल्त होना अभिनंदन करता हूँ। यह सारे युरोसिया महाद्विप में आशा देती है कि भविष्या में इस को शांती में सहयोग मिलेगा और यह सहयोग सारी जातियों की सुरक्षा, विकास और प्रगति प्रदान करेगा, नयी सैनिक ब्लॉकों का बनाने के संभावना सदा के लिये दूर करेगा। हमें आशा हैं कि NATO प्रोग्रम में भाग लेना युरोप में सुरक्षा के नयी ईमारत बनाने में हमारे देश का भाग बढ़ा देगा।

इस साल में आज़रबैजान प्रजातंत्र को गुटनिरिपेक्षता आंदोलन में ओबसर्वर इस्टेटस दिया गया था और यह विभिन्न क्षेत्रओं में आपसी संबंध बनाने और इस आंदोलन के सदस्या देशों के साथ हमारी स्थिति सुधारना के लिये हमें बड़े संभावना देता है।

सन 1992 के जनवरी में जवान आज़रबैजान राष्ट्र का संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) का बराबर अधिकार वाला सद्स्या क़बूल किया जाना इसकी प्रगती में महत्वपूर्ण दौर था। संयुक्त राष्ट्र संघ के बहुत अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ हमारे सहयोग के पैमाने उसी समय से बढ़ता जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रीय फ़ंड (IMF), दुनिया के बैंक (WB), अंतर्राष्ट्रीय रीकोंस्टरकशन और प्रगती बैंक (IRDB) के साथ हमारी आपसी कर्रवाई हमारे लिये बहुत अहम है। दुनिया के इन बड़े वित्तीय संसथाओं के विशेषज्ञओं के  आज़रबैजान में किये हुए काम के परिणाम हमारे देश के समाजी-आर्थिक विकास के लिये बड़े महत्व के प्रॉजेक्ट निश्चित किये गये।

हमें ऐसा लगता है कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के साथ हमारे फलप्रद सहयोग के लिये बहुत संभावना हैँ। हम आज़रबैजान प्रजातंत्र को मिले हुए जंग की हालात के संबंध अंतर्राष्ट्रीय मुद्रीय फ़ंड और दुनिया के बैंक के अध्यक्षों की चींता समझते हैं। पर आभी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रीय फ़ंड ने हमारे साथ जंग करनेवाला आर्मेनीया को इस्टेबीलीजेशन क्रेदीत दिया है। हम ऐसे सोचते हैं कि इस समस्या में कम से कम इंसाफ़ होना चाहिये।   

हम बाज़ारी आर्थिक इंफ़्रेस्ट्रकचर के वीकास, देश को आधुनिक शासन स्तर तक लाना, प्रगतिशील टेक्नॉलाजी के प्रयोग में नेशनल प्रॉग्रम के तैयारी में सहयाता देने के काम में संयुक्त राष्ट्र संघ के एंवायैरेमेंट प्रोग्रम से बहुत कुछ इंतज़ार करते हैं।

हम अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग पर बड़ा महत्व रखते है और मैं बड़ी खूशी से आपको कहना चाहता हूँ कि आज़रबैजान प्रजातंत्र ने 20 सितंबर को केस्पियन के आज़रबैजानी सेक्टर में तेल के क्षेत्रों में एकसाथ काम करके फायदा उठाने के बारे में दुनिया की कई बड़ी कम्पनियों के साथ 30 सालवाले एक समझौता पर हस्ताक्षर किया है। यह लंबी और मुश्कील बातचीत का नतीजा है।

यह बड़ी आर्थिक कार्रवाई इसका सबूत है कि हमारी नीति खुली है, आर्थ व्यवस्था आज़ाद है, विदेशी इंवेंस्टमेंट्स खींची जाती है। 

एक ऐसी अनुठा संधि करना सहयोग को और मज़बूत करने में, इसको अमल में लानेवाले आजरबैजान, आमरीका, रूस, ग्रेट ब्रिटन, तुरकी, नोरवे, साउदी अरब की जनताओं और देशों को एक दूसरे के निकट आने में मदद देगा। इस के बारे में बात करके मैं भिर नॉट करना चाहता हूँ कि आज़रबैजान प्रजातंत्र दुनिया के संघ के साथ समान अधिकार-प्राप्त इंटेग्रेशन की तरफ़ जा रहा है और इस लिये सरे संभावनऐं हैं। इस लिये उसकी नीति शांतिप्रिय है और हम इस को पाने के लिये संयुक्त राष्ट्र संगठन पर बड़े विश्वास रखते हैं.

आदरणीय श्रीमाती और श्रीमानो!

आजबैजानी जनता ने मुझे अपने जवान राष्ट्र का राष्ट्रपति चुनकर मुझ पर बड़ा विश्वास रखा और आज मैं उनकी शुभ-कामनाऐं आपको दिला सका।

मैं संयुक्त राष्ट्र संगठन के जनरल एसेम्बली इस ऊँचे भाषण-मंच को एक ऐसी आशा से छोड़ रहा हूँ कि आप लोग मेरी जनता की आवाज़ सुनेंगे, मेरी जनता की आवाज़ आपके दिल तक पहूँचेंगे।

ध्यान के लिये धन्यवाद।

\"आज़रबैजान\" समाचार पात्र, 30 सितंबर 1994