आजरबैजान प्रजातंत्र के राष्ट्रपति हैदर अलीयेव का पश्चिम तेल कंपनियों के साथ समझौता होने के कारण आयोजित किये गये ब्रीफींग में पत्रकारों के सामने घोषणा - 16 सितंबर सन् 1994

  

आदरणीय पत्रकारो, प्रेस के कार्य कर्त्ता,

 

तीन साल से ज्यादा एक दौरान में आजरबैजान के केस्पियन सागर के क्षेत्र में तेल भंडारों को संयुक्त होकर काम करने के बारे में आजरबैजान राष्ट्रीय तेल कंपनी और पश्चिम की तेल कंपनियों के बीच बातचीत चल रही है। आजरबैजान राष्ट्रीय तेल कंपनी अलग पश्चिम की तेल कंपनियों के साथ बातचीत करती रही, बाद में सन् 1992 को इन कंपनियों ने मिलके एक कोंसोर्टियुम बनाया था और इस लिये बातचीत इस कोंसोर्टियुम के साथ चलती है। आप को पता है कि सन् 1993 की जुलाई के अंत में आजरबैजान में हुए परिवर्तनों के कारण इसी वक्त प्रजातंत्र के सुप्रीम सोवियत के अध्यक्ष होकर, एक ही समय पर आजरबैजान के राष्ट्रपति की ड्युटी पुरी करते हुए इन बातचीत को रोकने के बारे में निर्णाय किया था। यह निर्णाय इस लिये किया गया था कि उसी समय मुझे मिली सूचनाओं से यह मालूम होता था कि इस में कुछ कामी है, हस्ताक्षर होनेवाले समझौते में गलतियाँ हैं और इस रुप में प्रॉजेक्ट आजरबैजान प्रजातंत्र के लिये अस्वीकीर था। इन सूचनाओं को सीखने के लिये, इस समझौते की आजरबैजान प्रजातंत्र के हितों से सही लगने को निश्चित करने के लिये मैं ने इन वार्तों को रोकने के बारे में निर्णाय किया था। इस के बाद प्रजातंत्र की राष्ट्रीय तेल कंपनी में तैयार की गई दस्तावेजों को दोबारा सीखकर जरूरी खंड के लिये काम किया गये थे।

उस समय पश्चिमी तेल कंपनियों के अध्यक्ष आजरबैजान आकर मुझ से मिले थे। बाद में आजरबैजान के तेल उद्योग में काम करने वाले हमारे वैज्ञानिक और विशेषज्ञ, इस क्षेत्र के अध्यक्ष और इस काम में व्यस्त होनेवाले दूसरे लोग आवश्यक बैठक आयोजित किया था। हम ने बड़ी वार्ता की और मैं ने आजरबैजान की इस समस्या में स्थिति बतायी थी। वहाँ पर बातचीत को रोकने के कारण पुछे किये गये थे और मैं ने यह समझाया था और पश्चिमी कंपनियों को विश्वास दिलाया था कि इस समस्या में कोई चिंता की बात नहीं है। ये काम जारी रखे जायेंगे। पर चूँकि तेल आजरबैजान के सब से बड़े, कीमती धन है, यह समस्या सही तरीके से सीखा जाना चाहिये, इस पर पूरे विचार करना चाहिये। समझौते हो गया और काम जारी हो गये थे।

इन कामों को पूरे करने के लिये आजरबैजान की राष्ट्रीय तेल कंपनी ने पहले चरण में पश्चिम के देशों-अमरीका, केनेडा और दूसरे देशों से निष्पक्ष विशेषज्ञ को बुलाये थे। ये समस्या उन के साथ सीखे गये थे, विचार विनिमाय किये गये थे। बाद में वार्ता लंडन में जारी हुई। लंडन में तैयार की गई दस्तावेज आजरबैजान के राष्ट्ररीय हितों से सही न लगने के कारण मैं ने इस प्रॉजेक्ट को अस्वीकार किया था।

इस के बाद आजरबैजान राष्ट्रीय तेल कंपनी ने मेरे आदेश पर तेल उद्योग में काम करने वाले वैज्ञानिक, विशेषज्ञ, अनुभव वाले लोगों के साथ फिर से इन बातचीत पर आजरबैजान की स्थिति निश्चित की थी।

मुझे, आजरबैजानी राष्ट्रपति को सरकारी तौर पर लिखा हुआ रिपोर्ट पेश किया गया था, अपने प्रस्ताव बताये थे कि किन किन सिद्धांतों में आजरबैजान यह कर सकता है।

इन सिद्धांतों को सीखकर और खंड करने के बाद हमारे इस काम में व्यस्त होनेवाले लोगों के विचार करने के बाद मैं ने स साल के 4 फरवरी को आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी को वार्ता जारी रखने के बारे में आदेश दिया था। मैं ने राष्ट्रीय तेल कंपनी और उसके अध्यक्ष नतीक अलीयेव को ये वार्ता चलाने के लिये अधिकार दिया था कि वह ये वार्ता जारी रखे और उस को पेश किये गये प्रस्तावों के आधार पर चलाये।

आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी ने पश्चिमी तेल कंपनी के थ बाकू में बातचीत की। दूसरे चरण में ये वार्ता पश्चिम तेल कंपनियं की प्रार्थना पर तुर्की के इस्तंबुल नगर में जारी हुई और जुलाई में समाप्त हो गई। आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी के अध्यक्ष नतीक अलीयेव ने जुलाई में फिर मुझे लिखा हुआ रिपोर्ट पेश किया, जो न बातों के परिणामों के बारे में थे। इस रिपोर्ट को सीखकर और खंड करके मैं ने निर्णाय किया था कि प्राप्त किये गये समझौतों के आधार पर मुख्य समझौते की तैयारी का चरण शुरू कर सकते है।

उसी समय से आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी की अध्यक्षता–यानी कंपनी का अध्यक्ष, डिपटी अध्यक्ष और पश्चिमी तेल कंपनियों के साथ वार्ता चलाने वाले राष्ट्रीय तेल कंपनी का एक ग्रुप से मिले था। इन की बातें सुनकर मैं इन के साथ वार्ता करनेवाली पश्चिमी तेल कंपनियों के मंडल को फिर उन के साथ बुलाकर मिला था। आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी की अध्यक्षता और वार्ता चलाने वाले लोगों के मंडल ने और पश्चिमी तेल कंपनियों के पिरतिनिधियों ने मुझे बताया था कि इस्तंबुल में वारिता के दौरन पक्षों के बीच समझौता हो गया है। इस लिये समझौते के आधार पर मुख्य समझौते की तैयारी के काम आरंभ हो सकता है। मैं ने इस पर अपनी स्वीकृती दी और बाकू में आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी और पश्चिमी तेल कंपनियों की कोंसोर्टियुम के बीच इस्तंबुल में प्राप्त किये गये समझौते के बारे में प्रॉटोकोल पर हस्ताक्षर होने के लिये भी स्वीकृती दी थी। यहां पर ऐसे प्रॉटोकोल पर हस्ताक्षर जुलाई के मध्य में हुआ था।

21 जुलाई को आजरबैजान राष्ट्रीय तेल कंपनी के वार्ता चलाने वाले मंडल पश्चिमी तेल कंपनियों की कॉंसोर्टियुम के निमंत्रण पर अमरीका के ह्युस्टॉन नगर में गया था। वहां पर वे 45 दिन के दौरान समझौते के प्रॉजेक्ट पर काम करते रहे। वहां से हमें मिली सूचनाओं से और वापसी में हमारे मंडल की तरफ से मुझे बतायी गई बातों से यह मालूम हुआ था कि प्रॉजेक्ट की तैयारी में कुछ कठिनाईयां पैदा हुईं। आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी के प्रतिनिधि मंडल ये समस्या वहां पर हल करने का प्रयत्न किया था। मेरे विचार में पैदा हुई कठिनाईयों को हल करने के लिये इस मंडल ने खूब काम किया था और आखिरकर समझौते का प्रॉजेक्ट तैयार हो गया। आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी के प्रतिनिधि मंडल ह्युस्टॉन से वापस आते हुए मैं कंपनी के अध्यक्ष नतीक अलीयेव से मिला था। उस ने मुझे ह्युस्टॉन की वार्तों के बारे में लिखी हुई सूचना दी, कठिनाईयों के बारे में, उन के हल के बारे में बताया था, मुझे समझाया था और यह भी बताया था कि मंडल के सदस्यों के विचार के अनुसार समझौते पर हस्ताक्षर हो सकता है। इस के बाद मैं यह समस्य आजरबैजान की सरकारी अध्यक्षता से, सुप्रीम सोवियत के अध्यक्ष, प्रधान मंत्री, राष्ट्रपति के दफतर में इस समस्या से व्यस्त होनेवाले लोगों से, मंत्रतालायों, मंत्रियों से विचार विनिमाय करके आखिरकर निर्णाय किया था, तैयार किये गये प्रॉजेक्ट पर हस्ताक्षर हो सकता है। मैं ने इस के बारे में विशेष आज्ञ दी थी। समाज को सरकारी रूप में सूचना देने के लिये मैं ने आप को मस मेडिया के लोगों को यहां पर बुलाया था।

मेरी तरफ से प्राप्त किये हुए निर्णाय पर दिये हुए आदेश के अनुसार पश्चिमी तेल कंपनियों का कॉंसोर्टियुम और आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी के बीच तैयार किया गया समझौते पर 20 सितंबर सन 1994 को बाकू में गुलिस्तान महल में हस्तक्षर किया जायेगा।

मेरे विचार में लंबे आरसे तक, यानी तीन साल के दौरान किये गये कार्यों ने अपने अच्छे परिणाम दिये हैं। निःसंदेह पेश किया गया समझौता हमारी सारी इच्छाओं, नीयतों को पुरा नहीं करता, यह स्पष्ट है, मैं ने कई बार इस के बारे में बताया था और आज समझौते होने के बाद मैं फिर कहना चाहता हूँ कि हमें आज और भविष्य में भी आजरबैजान के प्रकृतिक धनों से होशियारी से, सही तरीके से प्रयोग करना चाहिये। विशेष तौर पर हमारे बड़े धन-तेल भंडार के क्षेत्रों से, हमें कोशिश करना चाहिये कि इन धनों से आजरबैजानी जनता के आजकल और भविष्य के लिये ज्यादतर लाभ उठायें। मैं हमेशा इन सिद्धांतों पर आधार करता रहा और आज भी इन को पूरा करता हूँ। इन सिद्धांतो के दृष्टिकोण से निःसंदेह हमारे सारे इरादा, इच्छा इस प्रॉजेक्ट में नहीं दिया गया हैं।

हमें इस प्रॉजेक्ट से और ज्यादा लाभ उठाना चाहिये। पर मालूम है कि संयुक्त काम का अर्थ यह है कि दोनों पक्ष प्रयत्न करके हैं कि अपना लाभ उठाये और उठाना ही चाहिये। अगर परस्पर का सिद्धांत नहीं होता, तो जाहिर है कि समझौता भी न होगा।

आप को पता बै कि आमॉको, बी पी, स्टाटऑयल, रेमको, युनोकल, मकडेरमॉट - ये सारी पश्चिमी तेल कंपनियां हैं। यहां पर एक कंपनी तुर्की और एक कंपनी रूस की है। पश्चिमी कंपनियां बहुत बड़ी तेल कंपनियां हैं, जो विश्व के विभिन्न कोने में उत्पादन में काम करती हैं। निःसंदेह वे आजरबैजान में अपने लाभ के लिये आयी हैं और यह साफ़ बात है कि उनहों ने भी अपने हितों को पूरा करवाने के लिये कोशिश की है।

आजरबैजानी पक्ष पहली बार इस शतब्दी में ऐसे बड़े समझौते पर हस्ताक्षर करनेवाला है। पहले भी आजरबैजान में तेल के उत्पादन में दूसरे देशों की कंपनियां काम करती थी। पर सन् 1920 के बाद, यह आप को भी पता है ऐसा नहीं था। बेशक एक साल के दौरान मेरे निजी तौर पर किये हुए हस्तक्षेप के कारण, किये गये अलावा काम सिर्फ इस समझौते में आजरबैजान की तरफ के लिये ज्यादतर लाभ मिलने की दिशा में किये जाते थे।

मेरे विचार में बावाजूद कि इस समझौते में हमारे सारी इच्छाऐं पूरी नहीं हुईं, पर यह समझौता आजरबैजान प्रजातंत्र और आजरबैजानी जनता को आजकल और भविष्य हितों को प्रदान करता है और इस लिये मैं ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के बारे में फैसला किया था।

यह बहुत बड़ा प्रॉजेक्ट है। और इस के बारे में बात करने की जरूरत नहीं है। लेकिन मैं आप को कुछ आर्थिक अंक सुनाना चाहता हूँ । पहला समझौता आजरबैजान के केस्पियन सागर में तेल भंडारों को प्रयोग करने से, यानी तेल को संयुक्त उत्पादन करना और उसको बाँटने से संबंधित है। यह आजेरी-चिराग़-गुनेशली क्षेत्र है।

आप को पता है कि आजकल हम गुनेश्ली क्षेत्र में काम करते हैं और वहां से लगभग 650 लाख टॉन तेल निकाला जाता है। पर गुनेशली के एक भाग को, जो सागर की गहराईयों में स्थित है, हम वहां पर काम न कर सकते हैं। इस क्षेत्र का यह भाग भी इस समझौते में संयुक्त काम के लिये दिया गया है।

मतलब यह है कि आजेरी और चिराग़ क्षेत्र पूरे पैमाने पर और गुनेश्ली क्षेत्र का एक भाग, जो सागर की 200 मिटर की गहराई में स्थित है, प्रयोग किये जायेंगे और वहां से इस समझौते के अनुसार 51.1 करोड़ टॉन तेल निकाला जायेगा।

यह समझौत 30 साल के लिये किया गया है। यह 51.1 करोड़ टॉन तेल यही दौरान निकाला जायेगा। इस समझौते को पूरा करने के लिये पूँजियां के 80 प्रतिशत पश्चिमी कंपनियों की तरफ से लगाई जायेगी। यानी कॉंसोर्टियुम में शामिल होनेवाली कंपनियों। आजकल के दामों के अनुसार पूंजी लगभग 7.4 अरब डालर होंगी। इस में निकाला गये तेल का 25.3 करोड़ टॉन आजरबैजान का होगा। मैं कोई दूसरे आर्थिक अंक बताना नहीं चाहता हूँ। पर आजकल के विनिमय दर के अनुसार इस समझौते को पूरा करने से आजरबैजान को 34 अरब डालर मिलेंगे। बेशक इन तीस सालों में डालर का निनिमय दर भी बदल जायेगा। इस हालात में यह अंक भी थोड़ा-सा बदल सकता है।

इस समझौते की एक मुख्य विशेषता यह है कि यहां पर तेल के साथ गैस भी निकाला जायेगा। आप को पता है कि इस का क्या अर्थ है। हो सकता है कि किसी को यह पता नहीं है, एक बात यह है कि कूप से सिर्फ तेल निकाला जाता है और दूसरी बात जब तेल के साथ साथ गैस भी निकाला जायें। हिसाब से पता लगता है कि इस दौरान 55 अरब क्युबीक मिटर गैस निकाला जाजेगा। यह सारा आजरबैजान का होगा, यानी इस को न बाँटेंगे। इन तीन क्षेत्रों में कॉंसोर्टियुम के साथ काम करते हुए आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी, आजरबैजान प्रजातंत्र वहां पर गैस निकाल सकता और यह गैस भी हमारा होगा।

मेरे विचार में आर्थिक अंक यही हैं। आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी ने चिराग तेल क्षेत्र में एक प्लेटफार्म बनाया है। पर यह उपयोग न किया जाता है। इस का प्रयोग करना भी कॉंसोर्टियुम को हवाला किया जाता है। यहाँ पर भी अपनी शर्तें हैं। जैसे मैं ने बताया था, समझौता 30 साल के सिले किया जाता है। बेशक काम शुरू होने के बाद विभिन्न चरणों में निकाले गये तेल का रकम बढ़ जायेगा। मैं कौनसे रकम बताऊँ। चिराग़ क्षेत्र में समझौते के अनुसार तेल 18 महीने के दौरान निकाला जायेगा। यह पश्चिम कॉंसोर्टियुम और आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी के संयुक्त निकाला जानेवाला तेल होगा। इन सारे क्षेत्रों में तेल उत्पादन के लिये तैयारी के काम 48 महीनों में समाप्त हो जायेगा और 54 महीनों के बाद सारे क्षेत्रों में से तेल निकाल जायेगा। मतलब यह है कि इस तेल को निर्यात करने के लिये 54 महीनों के अंदर पाइप-लाइन बन जायेगा और इस के बाद पश्चिम कंपनियाँ अपने तेल लेकर कहीं चाहे ले जा सकती हैं।

सो, सब को अच्छा पता होना चाहिये कि इस समझौते का पूरा होना कैसा होगा। समझौते को पूरा करने की बात भी बहुत सैद्धांतिक समस्या है। वार्ता के परिणाम पर यह समझौता हो गया था कि समझौता पर हस्ताक्षर होने के बाद इस की आजरबैजानी संसद में स्वीकृती होगी और उसी दिन से पश्चिम देशों की कंपनियों कॉंसोर्टियुम आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी के साथ काम शुरू करनी है। समझौते को पूरे करने का दिन, समय वही दिन होगा। मुझे विश्वास है कि समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद उसका भी संसद में स्वीकृती होगी।

इन सारे लाभों के अतिरिक्त आजरबैजान प्रजातंत्र में पश्चिमी तेल कंपनियों का आना, यहां पर आजरबैजानी राष्ट्रीय तेल कंपनी के साथ काम करना हमारे अर्थ-व्यवस्था में बड़े परिवर्तन ले आयेगा।

पहला परिवर्तन यह है कि इस कदम से हम विदेशों को आजरबैजान में पूँजी लगने में बड़ा रास्ता खोल देंगे। पूँजी का रक़म कम नहीं होगा-यह 7.4 अरब डालर होगा। यह बहुत बड़ा रक़म है। इस दस्तावेज का बड़ा भूमिका यह है कि आजरबैजान स्वतंत्र अर्थ-व्यवस्था, बाजारी अर्थ-व्यवस्था के रास्ते से चल रहा है, विश्व अर्थ-व्यवस्था से गहरे संबंध से मिल जायें। आजरबैजान अपनी समाजिक-राजनीतिक जिंदगी में, अर्थ-व्यवस्था में विश्व में एक लोकतंत्रीय प्रजातंत्र के जैसे मालूम होगा ओर यह जीवन में नजार आयेगा।

समझौते को पूरे करने के लिये बड़े काम किये जायेंगे, तेल क्षेत्रों में बड़े प्लेटफार्म बन जायेंगे। जैसे कि आप को पता है इन प्लेट्फार्मों को बनाने के लिये 80 वें सालों के शुरू में यहां पर एक शक्तिशाली डीप वाटर जैकेट्स का कारखाना बनाया गया था। आप को कहना चाहता हूँ कि इस कारखाने को यहां आजरबैजान में बनाने के लिये मै ने निजी तौर पर बड़े प्रयत्न किये थे।

उसी समय यह कारखाना पुराने सोवियत संघ में एक ही कारखाना था, जो तेल कूप खोदने के लिये प्लेट्फार्म बनाता था। हमें इस पेलेटफार्म को आजरबैजान में बनाने में बड़ी कठिनाईयां मिली थीं। उस समय के हिसाब से इस कारखाने को खरीदने के लिये 40 करोड़ डालर खर्चा किया गया था।

पर हम आज इस का प्रयोग न कर सकते हैं। कयोंकि इस का पुनर्निर्माण करना चाहिये। समझौते चालू होने के बाद यह कारखाना अपने नये काम करने लगेगा। इल लिये वहां पर अलावा काम किये जायेंगे।, कारखाना का पुनर्निर्माण हागा। यहां पर बनाये गये प्लेटफार्म सिर्फ केस्पियन सागर में आजरबैजानी सेक्टर में नहीं, बल्कि सागर के दूसेर क्षेत्रों में भी प्रयोग किया जायेगा।

शायद आप में से किसी को याद में होगा कि 70वें सालों के आखिर और 80वें सालों के शुरू में हम ने केस्पियन सागर की गहराईयों में से तेल निकालने के लिये आजरबैजान में शेल्फ-12, शेल्फ-2 के नाम से प्लेटफार्म खरीद लिये थे। वे पश्चिम में बनाये गये थे और बहुत मुश्किल से यहां पर लाये गये थे और चालू किये गये थे।

अभी डीप वाटर जैकेटस के कारखाने में इन से ज्यादतर शरक्तिशाली पलेटफार्म बनाये जायेंगे। इल लिये पुनर्निर्माण, कारखाने की वृद्धि आजरबैजान के अर्थ-व्यवस्था के धनी कर देगा। जैसे कि मैं ने बताया था, इस कारखाने के उत्पादन से दूसरे भागों में भी प्रयोग करेंगे।

बात सिर्फ इल में नहीं है। ज्यादा तेल प्राप्त करने के लिये ज्यादा काम करना चाहिये, उस को किनारे तक पहूँचाने के लिये पश्चिम तेल कंपनियों के तेल के भाग को परिवहन करने के लिये पाइप-लाइन बनाने के लिये ज्यादा काम करना चाहिये, बड़े कारखाने बनाने चाहिये। बेशक ये सब बन जायेंगे।

आप को पता है कि आजकल आजरबैजान तेल को निकालने के लिये पुराने सोवियत संघ से रही गई जहाजें प्रयोग करता है। उन में से अधिकांश पुराने हो गये और हमारे पास नई जहाजें खरीदने के लिये क्षमताऐं, पैसे नहीं हैं। निःसंदेह इस समझौते के चालू होने के बाद नई जहाजें, टैंकर खरीदी जायेंगी ताकि केस्पियन सागर में संयुक्त काम किये जायें। और यह भविष्य में आजरबैजान का धन होगा।

मेरी याद में है कि उसी वकत तेल पत्थर (ऑयल रोक्स) पर बनाये गये पुलों की हालात से हम बहुत परेशान थे। उसी समय हम केशिश करते थे कि इन को नये से बदल लें। लेकिन हमारे पास पैसे नहीं थे और ये पैसे सोवियत संघ की रीजधानी मास्को से माँगते थे।

ये सारी घटनाऐं 15-20 साल पूर्व हुऊ थीं। आप अंदाजा करें कि आजकल इनकी हालात क्या है। इन को पुनर्निर्माण करने के लिये, प्रयोग के लिये योग्य करने के लिये हमें बहुत पैसों की जरूरत है। जाहिर है कि ये सारे काम पूरे किये जायेंगे।

आजेरी, चिराह़, गुनेशली क्षेत्रों के अलावा हमारे पास दूसरे क्षेत्र भी हैं। उन को प्रयोग करना भी हमारे भविष्य के उद्देश्य हैं। इस लिये आजरबैजान में पश्चिम तल कंपनियों के आधुनिक, सब से क्वालिटी तकनीक और टकनेलॉजी, उनको यहां पर उपयोग करना हमारे तेल उद्योग में तकनीक और टकनेलॉजी की उन्नति के लिये धक्का देगा और भविष्य में ये सारी उपकरण, मेशिनेरी आजरबैजान के धन होगा।

ये सारे कामों को पूरे करने के लिये बड़े रकम के विशेषज्ञों में जरूरत होगी। सो, तेल शोधन और मेशिनेरी के कारखाने, दूसरे कारखाने काम करेंगे, उद्योग के दूसरे क्षेत्र भी चालू होंगे। उद्योग के सारे क्षेत्रों का पूरी शक्ति से काम करना, निःसंदेह हमारे अर्थ-व्यवस्था की उन्नति के लिये सहायता देगा। इस प्रॉजेक्ट पर काम करनेवाले टेक्निशियन, विशेषज्ञ, अर्थिक विशेषज्ञ, इंजीनियर, मजदूर, संक्षेप में सारे लोगों को अच्छे काम, वेतन मिल जायेंगे, ये सब आजरबैजान का आजकल और भविष्य है।

आजकल हम 90 लाख टॉन तेल निकाल सकते है। लेकिन तेल प्लेटफार्म, डेरीक, भंडार के क्षेत्रों की मरम्मत करना चाहिये। बहुत काम करना पड़ेगा। इस लिये तो हमें पैसे चाहिये। इस समझौते से मिली होनेवाली कमाई, हमारे भाग के तेल तेल उद्योग के नये चरण खोल देंगे।

ये सब आजरबैजान के आजकल और भविष्य के लिये भी बहुत जरूरी है। इस समझौते के कारण इस क्षेत्र में बड़े अनुभव वाली पश्चिमी तेल कंपनियों के साथ संयुक्त काम करने लगेंगे और हर एक अर्थिक, तकनीकल, वैज्ञानिक और दूसरे अच्छे परिणाम को निश्चित कर सकेंगे। मैं ने इन को अपने लिये निश्चित किया हूँ और मेरे विचार में इस कदम को उठाकर हम आजरबैजान के भविष्य के लिये काम ज्यादा करते हैं न कि आजकल के लिये। मैं ये अंक बता चुका हूँ -16 महीने, 48 महीने, 54 महीने। इस से मालूम होता है कि इन में से अधिकांश भविष्य की पीढ़ियों के लिये है।

जाहिर है कि इस आनेवाले भविष्य में भी बहुत काम किये जायेंगे। इन कामों के शुरू करना आजरबैजान के अर्थ-व्यवस्था में, जीवन में बड़े परिवर्तन कर देंगे। मतलब यह है कि हम सिर्फ आजकल के लिये, अपने लिये नहीं, भविष्य की पीढ़ियों के लिये भी काम करते हैं। इस लिये मुझे विश्वास है कि यह 30 साल का समझौते एक नहीं होगा। हम दूसरे समझौते भी करेंगे। मुझे शक न है कि इस की जारी होगी। यानी हम 21वीं शतब्दी में आजरबैजानी जनता के जीवन, खुशहाली के लिये बहुत गंभीर, उत्तरदायित्व और मेरे विचार में बहुत जरूरी कदम उठाते हैं।

इन सब के ध्यान में रखकर आजरबैजान के तेल उद्योग के पुराने जमाने में इतिहास को देखकर, यह समझकर कि आजरबैजान 25 साल में तेल उद्योग में व्यस्त है और हमारे सारे कामों को देखकर, सोवियत संघ के तेल उद्योग की उसी समय की हालात को देखकर, मैं ने मुझे पेश किया गया समझौता के प्रॉजेक्ट पर हस्ताक्षर करने के बारे में आदेश दिया है। मैं इस से बड़ी जिम्मेदारी ले रहा हूँ और आज और भविष्य में भी जिम्मेदार रहूँगा।

मैं ने आप के यहां पर निमंत्रण करके ये सूचनाऐं देना चाहता था। अगर सवाल होंगे तो मै इन को जवाब नहीं दूँगा, क्योंकि मेरे विचार में जो कुछ मैं ने यहां पर बताया था, काफी होगा। मैं ने इस समझौते का अर्थ समझाया था और हम 20 सितंबर को इस पर हस्ताक्षर करेंगे, तो इसका मतलब यह है कि मैं ने आपके सारे सवालों के उत्तर दिये हैं। समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद आप लोग अपने सवाल दे सकते हैं।

धन्यवाद, 20 सितंबर को आप को समझौते पर हस्ताक्षर करने के समारोह में निमंत्रण कर रहा हूँ।