आज़रबैजान गणराज्य के राष्ट्रपति हैदर अलीयेव की भारत गणराज्य के राजदूत ज्योति स्वरूप पाण्डे के साथ हुई वार्ता के अंश, 2 जुलाई 2003


राजदूत ज्योति स्वरूप पाण्डे – महामहिम राष्ट्रपति महोदय!

भारत के राष्ट्रपति के पत्र के साथ संलग्न अपना परिचय-पत्र आपको प्रस्तुत करते हुए मैं बहुत सम्मानित अनुभव कर रहा हूँ। वर्तमान विश्व में अनेक कठिनाइयों को पार करके हमारे दोनों देशों की जनता ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में अपना उचित स्थान प्राप्त कर लिया है। हमारे दोनों देशों की जनता के बीच अनेकों सालों से संस्कृति तथा व्यापार के क्षेत्र में व्यापक सम्बन्ध रहे हैं। भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अपने सभी अधिकारों का उपयोग करते हुए मैं यह प्रयत्न करूँगा कि इन सम्बन्धों को सभी सम्भव उपायों के द्वारा और भी अधिक मजबूत बनाया जाए। 

राष्ट्रपति महोदय, सारी दुनिया यह जानती है कि आपने अपनी योग्यता और प्रतिभा के बल पर अपने देश की जनता को परीक्षा की कठिन घड़ियों से उबारने में कई बार मदद की है और आज आप अपने स्वतन्त्र देश का बड़ी बुद्धिमानी के साथ नेतृत्व कर रहे हैं। मैं अपनी जनता की ओर से, अपनी सरकार की ओर से तथा स्वयं अपनी ओर से आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ। धन्यवाद। 

हैदर अलीयेव – माननीय राजदूत महोदय!

आज़रबैजान में भारत के असाधारण और पूर्णाधिकारी राजदूत के रूप में नियुक्त होने के अवसर पर मैं आपका अभिनन्दन करता हूँ और कामना करता हूँ कि आपको अपने काम में सफलता प्राप्त हो। 

आज़रबैजान और भारत के सम्बन्ध बहुत प्राचीन काल से चले आ रहे हैं। पहले भी हमने सहयोग किया है, व्यापार किया है, हमारे अन्य प्रकार के सम्बन्ध रहे हैं जिन्हें हम वर्तमान समय में भी बनाए रखना चाहते हैं। आपके देश के प्रति हमारे मन में हमेशा सद्भावना रही है और आपकी ओर से भी हमारे प्रति सद्भावना रही है। हमारी जनता के जीवन, रीति-रिवाजों और परम्पराओं में ऐसी विशेषताएँ हैं जो समान रूप से भारत और आज़रबैजान दोनों में ही विद्यमान हैं। हम उन्हें बनाए रखे हुए हैं। 

आज़रबैजान में भारत के राजदूत के पद पर रहते हुए मैं आपकी सफलता की कामना करता हूँ। आप आश्वसत रहें कि राजदूत के रूप में आपके क्रियाकलापों को पूरा करने के लिए आज़रबैजान में सभी अनुकूल परिस्थितियाँ उपलब्ध हैं। मैं एक बार फिर आपका अभिनन्दन करते हुए आपकी सफलता का कामना करता हूँ।

(समाचार-पत्र "बकीन्स्की रबोची", 3 जुलाई, 2003)