आज़रबैजान गणराज्य के राष्ट्रपति हैदर अलीयेव द्वारा आज़रबैजान के राष्ट्रीय त्योहार नवरोज़ बैराम के अवसर पर आयोजित समारोह में दिया गया भाषण, 21 मार्च 2003


प्यारी बहनो और प्यारे भाइयो! 

आज़रबैजान की जनता के सबसे प्रिय त्योहारों में गिने जाने वाले वसन्त ऋतु के इस त्योहार नवरोज़ बैराम के अवसर पर मैं आप सबका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मैं प्रत्येक नागरिक के स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की तथा अपनी जनता के लिए शान्ति की कामना करता हूँ।

प्यारे दोस्तो, अभी कुछ महीने पहले हमने आज़रबैजान की स्वतन्त्रता की ग्यारहवीं जयन्ती मनाई थी। ग्यारह सालों से हमारी जनता अपनी जन्मभूमि में, अपने देश में मुक्त और स्वतन्त्र होकर रह रही है तथा अपने भाग्य की मालिक बनी हुई है। आज़रबैजान निरन्तर लोकतान्त्रिक राज्य के निर्माण में लगा हुआ है। आज़रबैजान की अर्थव्यवस्था का लगातार विकास हो रहा है और हमारी जनता की हालत में दिनों-दिन सुधार होता जा रहा है।

हमने आज़रबैजान में सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता कायम कर दी है। यह स्थिरता कोनों-कोनों में और देश के हर इलाके में कायम है। हमारी जनता शान्तिपूर्वक तथा स्वतन्त्र होकर रह रही है और सब लोग अपने-अपने कामों में व्यस्त है। इस सब के लिए ही तो आज़रबैजान की जनता ने अपने रीति-रिवाजों का, अपनी परम्पराओं का और अपने जातिगत आध्यात्मिक मूल्यों का पुनरुद्धार किया है तथा अपने जातीय उत्सवों को हम पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं।

आज़रबैजान की राष्ट्रीय स्वतन्त्रता के द्वारा प्राप्त हुई एक महत्वपूर्ण थाती है - नवरोज़ का त्योहार। पहले भी हम इस त्योहार को हमेशा मनाया करते थे। किन्तु अपने-अपने घरों में, अपने-अपने परिवारों में ही। अब यह वास्तविक अर्थ में जन-जन का त्योहार हो गया है। इन दिनों आज़रबैजान के कोनों-कोनों में हमारे देश की समस्त जनता नवरोज़ बैराम को बड़े उत्साह के साथ मनाने लगी है। मैं फिर से यह कहना चाहता हूँ कि यह सब हमारी वह उपलब्धि है जो हमारी जनता को आज़रबैजान की आज़ादी के द्वारा प्राप्त हुई है। हमारी जनता भविष्य में भी हमेशा अपने रीति-रिवाजों और अपनी परम्पराओं को महत्व देती रहेगी, उनकी रक्षा तथा उनका विकास करती रहेगी। इसलिए कि इन परम्पराओं और रीति-रिवाजों में हमारे जातीय मूल्य निहित हैं और इनसे हमारी जनता की जातिगत विशेषताओं का पता चलता है।

जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, हमारी जनता शान्तिपूर्वक जीवन बिता रही है। परन्तु हमारे कुछ देशवासी इतने बड़े त्योहार को तम्बुओं वाले शहरों में रहते हुए मनाते आ रहे हैं। कितने ही सालों से वे कठिन परिस्थितियों में रह रहे हैं। पर वे गहरी आशा के साथ जी रहे हैं। उनमें बहुत धैर्य है, दृढ़ता है। आज के त्योहार के दिन उनके इस धैर्य के लिए मैं उन सभी शरणार्थियों, बाध्य किए गए आप्रवासियों तथा अपने हमवतनों के प्रति विशेष रूप से धन्यवाद-ज्ञापन करना चाहता हूँ जिन्हें तम्बुओं में रहना पड़ रहा है।

आज के इस त्योहार के अवसर पर मैं अपने उन हमवतनों और अपने उन नागरिकों का विशेष रूप से अभिनन्दन करना चाहता हूँ जो तम्बुओं में बसर कर रहे हैं। मैं उन सबके लिए, अपनी समस्त जनता के लिए यह घोषणा करता हूँ कि ऐसी स्थिति बहुत अधिक समय तक रहने वाली नहीं है। आज़रबैजान की सरकार आर्मेनिया-आज़रबैजान के टकराव का शान्तिपूर्ण समाधान निकालने की दिशा में लगातार प्रयत्न कर रही है। मुझे आशा है कि हमारे प्रयत्नों के परिणामस्वरूप हम अपनी भूमि को मुक्त करवा सकेंगे। हम आज़रबैजान की क्षेत्रीय अखण्डता की पुनर्स्थापना करेंगे और अपनी मातृभूमि से निकाले गए हमारे देशवासी फिर से अपनी भूमि को, अपने-अपने जन्मस्थानों को वापस लौट आएँगे।

आज़रबैजान में पिछले आठ सालों से भी अधिक समय से युद्ध-विराम लागू है। किन्तु युद्ध समाप्त नहीं हुआ है। हमारे बहादुर जवान और हमारी सेना आज़रबैजान की भूमि का पहरा करते हुए अपनी भूमि को मुक्त करवाने के लिए हमेशा तैयार खड़ी है। आज के इस त्योहार के दिन मैं आज़रबैजान के सैनिकों और खन्दकों में बैठे हुए अपने बेटों को दिल से बधाई देता हूँ और कामना करता हूँ कि वे अपने महान लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हों।

प्यारे दोस्तो, हमारे यहाँ मनाया जाने वाला यह त्योहार जनता का त्योहार है। यह प्रसन्नता की बात है कि हमारी जनता इस त्योहार को बहुत अधिक महत्व देती है और इन दिनों वह उत्सव में डूबी होती है। मैं एक बार फिर आप सबको नवरोज़ बैराम की मुबारकबाद देता हूँ, हरेक के स्वास्थ्य की कामना करता हूँ और चाहता हूँ कि हरेक को अपने-अपने कामों में सफलता हासिल हो।

(स्रोत – समाचार-पत्र "बकीन्स्की रबोची", 25 मार्च, 2003)