आज़रबैजान प्रजातंत्र के राष्ट्रपति हैदर अलीर्जा ओग्लु आलीयेव का उदधाटन भाषण- 18 अक्तुबर 1998


scotch egg
scotch egg
temp-thumb
temp-thumb

प्रिय देशभाईयो !

श्रीमातीयो और श्रीमानो !

सम्मानित अतिथियो !

आप को हार्दिक स्वागत करके धन्यवाद प्रकट करता हूँ कि आप लोग आज़रबैजान प्रजातंत्र के राष्ट्रपति के शपथ खाने के समारोह में भाग ले रहे हैं. आज़रबैजानी जनता, नागरिकों को अपना बड़ा शुक्रिया अदा करता हूँ कि इन लोगोँ ने फिर मुझे आज़रबैजान प्रजातंत्र के राष्ट्रपति चुन लिये हैं. दोबारा स्वतंत्र आज़रबैजान के राष्ट्रपति चुना जाने से बड़ा गर्व करता हूँ और मुझ पर दिखाया गया इस भरोसा को मेरे आज़रबैजान के राष्ट्रपति के रूप में कार्य को दिया गया उच्च प्रशांसा की तरह समझ लेता हूँ.

अभी आप लोगों के सामने, आज़रबैजान के सारे नागरिकों के सामने, मैं ने आज़रबैजान संविधान, पवित्र किताब – क़ूरान पर हाथ लगाकर शपथ खाया हूँ . मैं घोषणा दे रहा हूँ कि अपने शपथ का हमेशा पालन करूँगा और अपनी मातृभूमि आज़रबैजान की, अपनी जनता, जाती की सेवा वफ़ादारी से करूँगा.

विभिन्न देशो के अध्यक्षों ने, सामाजिक और राजनीतिक कार्य-कर्त्तों ने वैज्ञानिक और सांस्कृतिक कार्य-कर्त्तों ने मुझे आज़रबैजान प्रजातंत्र के राष्ट्रपति चुना जाने के कारण अपनी बधाईयां भेजी हैं, इस के लिये मैं उनको अपना धन्यवाद अदा करता हूँ.

पड़ोस के देशों से यहां हमारे प्रजातंत्र में उच्चतम राजनीतिज्ञ, राष्ट्रों के अध्यक्ष इस समारोह में भाग लेने के लिये स्वयं आये हैं. आज वे यहाँ इस हॉल में हमारे साथ हैं. हमारे साथ यहाँ पर विदेशी राजदूत, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद हैं. आज़रबैजान में अनेक अतिथि आये हैं. मैं यहां पर आये हुए सारे अतिथियों को स्वागतम कहता हूँ.

मैं यह सब हमारी मित्रता, सहयोग के उदाहरण के जैसे समझता हूँ . आज़रबैजान में कोकेशिया प्रजातंत्रों के अध्यक्ष, राष्ट्रपति, प्रतिनिधि-मंडल का आना और आज़रबैजान के राष्ट्रपति के शपथ के समारोह में स्वयं भाग लेना बड़ा महत्व रखता है. यह कोकेशिया की जातियों की एकता और एकजुटता का उदाहरण है, यह सर्व कोकेशिया के मकान के विचार की सच्चाई को दिखा रहा है, इन जातियों, प्रजातंत्रों के एक दूसरे से और क़रीब होने की इरादा की निशानी है, कोकेशिया में शांति क़ायम करने में उन लोगों की इच्छा को प्रकट करता है. कोकेशिया में शांति क़ायम करना, इस को एक शांतिपूर्ण क्षेत्र को बदलना, मौजूद विवादों को ख़त्म करना - कोकेशिया की जातियों की, जनतंत्रों की सव से बड़ी इच्छा है.

आज कोकेशिया की जातियों, सारे कोकेशिया जनतंत्रों के राष्ट्रपतियों के यहां पर आज़रबैजान में एकसाथ इकट्ठे होना एक बार इस की गवाही दे रहा है कि हम कोकेशिया की जातियां, प्रजातंत्र शांति चाहते हैं, कोकेशिया को एक पक्की शांति और खुशहाली के क्षेत्र में बदलना चाहते हैं. मुझे विश्वास है कि एकसाथ प्रयत्न करके हम इस को पा सकेंगे.

प्रिय मित्रो,

18 अक्तुबर 1991 को आज़रबैजान प्रजातंत्र के सुप्रीम सोवियत ने अपनी जनता की इच्छी के अनुसार आज़रबैजान प्रजातंत्र की स्वतंत्रता के बारे में संविधान का कार्य को पास किया है और दुनिया को आज़रबैजान की स्वतंत्रता का घोषणा दिया था. आज इस ऐतिहासिक घटने की सातवीं वर्षगाँठ है. मैं आज़रबैजानी जनता को, सारे नागरिकों को हार्दिक बदाई दोता हूँ और आज़रबैजान को, हमारी जनता को स्वतंत्रता के रासते में नये-नये सफलताओं की कमनाऐं चाहता हूँ.

सन् 1993 को आज़रबैजानी जनता ने मुझे अध्यक्षता पर निमंत्रण किया, सन् 1993 के अक्तुबर को मैं आज़रबैजान के राष्ट्रपति चुना दिया गया था. गुज़रे हुए पाँच साल के दौरान आज़रबैजान मौजूद रहा, हमारे राष्ट्र की स्वतंत्रता मज़बूत और विकासित हो जाती रही. गुज़रे हुए पाँच सालों में आज़रबैजानी जनता एक कठिन , कठोर, लोकिन शानदार रास्ते से गुज़री. 1993 को आज़रबैजान में गृह-युद्ध को और उसको टूटने को रोका दिया गया था. इस के बाद यहाँ देश-विद्रोही के प्रयत्न को टाला गया था, आतंकवादी कार्रवाईयों को, अंतर्ध्वसों को टाले गये थे.

सन् 1994 को आर्मेनियाई- आज़रबैजानी विवाद में गोलिबारी रुकने के बारे में समजौता किया गया था और यह अभी जारी है. इस के परिणाम पर आज़रबैजान में समाजिक–राजनीतिक शांति स्थापित हुई. इस को पाने के लिये हम कठिन और कठोर रास्ते से गुज़रे हैं. उसी वक्त आज़रबैजान में आशांति को, आशासन को, ग़ैरकानूनी सशास्त्र दलों को, मुजरीम दलों को ख़त्म दिये गये थे. आजकल आज़रबैजान के नागरिकों को समाजिक–राजनीतिक शांति के नियम में हमारे प्रजातंत्र में शांत से, स्वतंत्र रूप से रहना का अवसर मिला है.

आज़रबैजान राष्ट्र की जनता की जातिय माँगों के अनुसर सोच-समझकर क्रमिक, अन्दरूनि और विदेश नीति चलायी जा रही है. आज़रबैजान में लोकतंत्रीय, विधिक, संसारिक राष्ट्र का निर्माण जारी है. आज़रबैजान में स्वतंत्र देश में शासन के बँटवारे के आधार पर सारे राष्ट्रीय संगठन बन चुके हैं और मौजूद हैं . स्वतंत्र आज़रबैजान में अपना पहला लोकतंत्रीय संविधान पास किया गया है. लोकतंत्रीय सिद्धांतों पर आज़रबैजान के पहले संसद (मिल्ली मज्लीस) का चुनाव हुआ, जिसके विधानांग से आज़रबैजान में अनेक कानून पास किये गये. ये सब आज़रबैजान में स्वतंत्र राष्ट्र की मौजूदगी , उन्नति के प्रमाण थे.

गुजरे सालों में आज़रबैजान में सेना के निर्माण को विशेष महत्व दिया गया था. आज गर्व से कहा जा सकता है कि हमारे देश में नियमित, पेशावर सेना बन चुकी है, जो शाक्तिशाली होकर आज़रबैजान की प्रभुसत्ता, स्वतंत्रता, राज्यत्व की रक्षा करने के लिये योग्य है.

पिछले वर्ष आज़रबैजान के इतिहास में लोकतंत्रीयता के निर्माण, ढृढीकरण, विकास के वर्ष थे. लोकतंत्रीय सिद्धांतों के आधार पर राष्ट्र के कार्य, सरकारी कार्य की गठन किया गया था , समाज का रूप बनाया गया था.

आजकल आज़रबैजान राष्ट्र के कार्यों में सब से मुख्य दिशा मानवतावाद है. इसी मानवीय नीति के नतीजे में मेरे अध्यादेश पर 1856 आदमी क़ैद से मुक्त हो गये थे. मेरे पहलक़दमी से लागू हुए राज-क्षमा के नतीजे में 40 हज़ार से ज़्यादा लोग क़ैद से आज़ाद हो गये. यही नीति हम भविष्य में भी चला देंगे. मैं घोषणा दे रहा हूँ कि थोड़ी देर के बाद मैं फिर क्षमा के अध्यादेश जारी कर के सर्व-क्षमा के बारे में पहलक़दमी दे दूँगा.

आज़रबैजान में राष्ट्रीय निर्माण आर्थिक निर्माण के साथ-साथ जारी किया जाता है.आज़रबैजान में पुरानी आर्थिक स्थिति मालूम है. आज़रबैजान को स्वतंत्रता मिलते समय और सोवियत संघ के टूटने के साथ-साथ सन 1988 को आर्मेनियाई आक्रमण आरंभ हेने के कारण आज़रबैजान की बड़ी आर्थिक क्षमताऐं नष्ट हो गयी थीं.1980 के अंत से शुरू होकर आज़रबैजानी अर्थ-व्यस्था गिरावट तक पहूँच गया. सन 1992-93 को आर्थिक गिरावट 20-25 प्रतिशत तक पहूँचे थे. सही चलाई गई आर्थिक नीति के परिणम पर हम इस क्षेत्र में भी हालत बदल सके. इसका आधार आज़रबैजान में जीवन के सब क्षेत्रों में जारी हुई लोकतंत्रीयता है. सामाजीक-राजनीतिक क्षेत्र में लागू हुए सुधार के साथ-साथ राष्ट्रीय निर्माण के क्षेत्र में लोकतंत्रीय सिद्धांतों को प्रयोग करके हम ने पिछले सालों में कुछ सुधार लागू किये हैं - अर्थ-व्यस्था की आजादी, लोकतंत्रीयतापूर्णता को पाने के लिये आर्थिक और सामाजीक क्षेत्रों में कुछ सुधार लागू किये गये हैं. इसका आधार हम से चुना हुआ सामरिक रास्ता है.

आज़रबैजान अपना अर्थ-व्यस्था दुनिया के अर्थ-व्यस्था से अनुरूपता में करता है. हमारे देश ने बाजारी आर्थिक सिद्धांतों को चुना है. हमारा मुख्य उद्देश्य दुनिया के आर्थिक विकासित दोसों के अनुभव आज़रबैजान की वास्ताविक स्थिति से मिलवाना और हमारे प्रजातंत्र में बाजारी अर्थ-व्यस्था स्थापित करना है. संतोषी से

घोषणा देता हूँ कि हमें इस क्षेत्र में काफ़ी सफलताऐं मिलि हैं.

आज़रबैजानी-आर्मेनियाई विवाद से संबंधित होकर और हमारे देश के अंदर मालूम घटनाओं के कारण हमारा प्रजातंत्र आर्थिक सुधार स्वतंत्र राष्ट्रों के संघ के दूसरे राष्ट्रों के बाद लागू करने लगा.पर इसके बावजूद छोटे समय में हम आर्थिक सुधार लागू कर सके और आजकल उनके ऊँचे नतीजे देख रहे हैं.

यह सुधार विशेष तौर पर 1995 के अंत-1996 के शुरू से लागू किये गये थे और आजकल भी जारी है. इस के नतीजे में हम आज़रबैजान के अर्थ-व्यस्था में गिरावट को रोक सके, अर्थ-व्यस्था में नियम बन गया और धीरे-धीरे विकास, उन्नति शुरू हुआ. सन 1996 को हालत ठीक हो गयी और सन 1997-98 आज़रबैजान के अर्थ-व्यस्था में, औद्योगिक और कृषि उपज, कुल अंदरूनी उत्पादन में विकास, बढ़ाव के साल थे.

इस के नतीजे में दो साल के दौरान आज़रबैजान में लोगों की जीवन-स्तर बढ़ाने के लिये सामाजिक समस्याओं का हल करने के लिये काफ़ी काम किये गये और भविष्य में इन को जारी करने के लिये आधार बनाया गया था. हम आज़रबैजान में मुद्र स्फिति को रोक सके. सन् 1994-95 को मुद्र स्फिति के कारण आज़रबैजान में अर्थ-व्यस्था नीचे गिर रहा था. लागू किये आर्थिक सुधार अर्थ-व्यस्था की आजादी, वित्तिय क्षेत्र में जारी किये गये कार्य ने मुद्र स्फिति को रोकने में मदद दी.

आप को पता है कि आख़िरी महीनों में दुनिया के कुछ क्षेत्रों में वित्तिय संकट हुई. इसका प्रभाव रूस तक और स्वतंत्र राष्ट्रों के संघ में शामिल हुए दूसरे राष्ट्रों तक पहूच गया.

हमारे रूस के और स्वतंत्र राष्ट्रों के संघ में शामिल हुए दूसरे राष्ट्रों के साथ गहरा आर्थिक संबंध हैं, इस लिये इस वित्तिय संकट का प्रभाव बेशक आज़रबैजान पर भी

पड़ा.लेकिन पहले से हमारी तरफ़ से किये गये कार्यों और इस संकट से संबंध किये गये कार्यों की सहायता से हम इस को रोक सके.आज आज़रबैजान में वित्तिय हालत ठीक है, हमारी राष्ट्रीय मुद्रिक इकाई – मनात – बिलकुल सही स्थिति में है.

अर्थ-व्यस्था में हमारी तरफ़ से किये गये कार्यों में से संसार के अनेक देशों के साथ फलदायक सहयोग का मुख्य महत्व है. हम ने अपने देश सारी दुनिया को खोला है. हम खुले, आजाद अर्थ-व्यस्था के रास्ते से चलनेवाला देश है. इस के आधार पर आज़रबैजान ने अपने तेल और घैस के क्षेत्रों को सम्मिलित उपयोग करने के बारे में संसार के बड़े तेल कंपनियों के साथ एतिहासिक महत्व के संविदा किया है. यह संविदा जारी है. हम इन के नतीजे जीवन में देखते हैं. यह और आर्थिक क्षेत्र में लागू किये गये दूसरे कार्य आज़रबैजान में विदेशी पूँजी लगाने के तीव्र बढ़ाव की गारंटी देता है.

आजकल आज़रबैजान में लगाई गई पूँजी प्रति व्यक्ति 160 डालर बनती है. स्वतंत्र राष्ट्रों के संघ में शामिल हुए दूसरे राष्ट्रों में से सब से ऊँचा सूचक है. हम ऐसा सोचते हैं कि तेल और गैस के क्षेत्र में बड़े कंपनियों के साथ किये गये काम केवल आज़रबैजान के लिये नहीं बल्कि सारे कोकेशिया, मध्य ऐशिया, केस्पियन सागर के क्षेत्र के लिये बड़ा महत्व रखता है.

तेल और गैस के क्षेत्र में जारी हुए संविदा के आधार पर आज़रबैजान में आगले 25-30 सालों में इन प्रॉजक्टों से संबंधित होकर 45-50 अरब डालर की पूँजी लगा दी जायेगी.इन संविदाओं से आज़रबैजान की कमाई 200 अरब डालर होंगे. इस क्षेत्र में आज़रबैजान की तरफ़ से किये गये कार्य, जैसा मैं बता चुका हूँ, आज़रबैजान के क्षेत्र में से ट्रेंस कोकेशियान तेल पाईप-लाईन लगाने के लिये और इसको जारी करने के लिये अच्छे आधार बनाते हैं. इन सब का आज़रबैजान में आजकल और भविषय स्थिति के लिये बहुत बड़ा महत्व है. लेकिन हमारे दूसरे देशों के साथ सहयोग अर्थ-व्यवस्था के दूसरे क्षेत्रों में भी लगाया जाता है. आजकल आज़रबैजान में 1300 से ज्यादा विदेशी कंपनियाँ काम करते हैं.

निजीकरण कार्यक्रम के आधार पर आर्थिक सुधार लागू किये जाते हैं. इस का सही नताजे मालूम हाते हैं. आज़रबैजान में छोटे और मध्यम कारखाने के निजीकरण समाप्त हुआ और हमें बड़े कारखानों का निजीकरण करना भी चाहिये. आज़रबैजान में आर्थिक सुधार के लागू में भूमि- सुधार का खास महत्व है .सन् 1995 के अंत में हम ने साहसपूर्ण क़दम उठाये हैं - भूमि-सुधार के बारे में आमूल कानून पास किया था और गुजरे हुए छोटे समय में इस कानून को लागू करते हैं. आज़रबैजान में भूमि-सुधार का कानून भूमि को निजी संपत्ति में देने के सिद्धांतों के आधार पर जारी किया जाता है.यह लागू है. आज तक आज़रबैजान में निजी संपत्ति में दिये जानेवाली भूमि का 80 प्रतिशत निजी संपत्ति में दिये जा चुका है.

कृषि क्षेत्र का पशु-पालन संबंधी क्षेत्र बिलकुल निजीकरण किया गया.इस के नतीजे पर आज़रबैजान में कृषि, खाद्य-पदार्थ के उतपादन बढ़ गया और थोड़े देर के बाद आज़रबैजान ख़ूद को काने-पिने की चीज़ों से भरण-पोवण कर सकेगा.

कल मैं ने मास्को टी.वी. से दिखाया गया एक ख़बर सुनी है कि किर्गीज्स्तान में भूमि को निजी संपत्ति में देने के लियेजन मत संग्राह, आयोजित होने के बारे में यह अच्छी बात है.लेकिन हम ने इस को पहले से पास किया गया क़ानून के अनुसार लागू किया है और लोगों ने इस को सही समझा और इस पर काम करते हैं.पता है कि स्वतंत्र राष्ट्रों के संघ में शामिल हुआ देशों में यह समस्य- यानी भूमि सुधार, भूमि का निजीकरण बहुत सख्त रूप से लागूहोता है. लेकिन आज़रबैजान ने दिखायाहै कि आज़रबैजानी जनता सचमुच संपत्ति, बीजनेस और स्वतंत्र अर्थ-व्यस्था बनाने के लिये क़ानून, आयोजित किये कार्य जनता, नागरिकों की स्वीकृति से मिलते है और यह लोग इन को कमयाबी से लागू करते हैं.

सो,गुजरे हुए पाँच सालों में आज़रबैजान राष्ट्रीय संकट से, राजनीतिक संकट से, आर्थिक संकट से नकल गया. आज़रबैजान में सामाजिक, राजनीतिक शांति क़ायम हुई है और यह काम जारी है. हम माईक्रो आर्थिक नियम को अपने अर्थ-व्यस्था में स्थापित कर सके.ये सब भविष्य में आज़रबैजानी राज्यत्वके सफलतापूर्ण विकास के लिये आधार बनाये हैं.

सफलताओं के साथ हम अपनी जिन्दगी के सारे क्षेत्रों में ग़लतियां, कमीयां भी देखते हैं और इन भूल के बारे में जानते हैं. हमें अच्छा पता हैं कि इन के कारण हमारे देश के नुक़सान मिले हैं.खेद है कि आज़रबैजान के शासन में सरकारी अंग में, कार्यकारी सत्ते में ऐसे लोग हैं जो अपने कर्त्तव्य सही तरीक़े से पूरा नहीं कर सकते हैं. ऐसे भी हैं जो निजी हितों के लिये अपने अधिकार से दुरूपयोग करते है, कानून तोड़ देते हैं, रिशवतख़ोरी करते हैं, आज़रबैजान में स्वतंत्र अर्थ-व्यस्था को स्थापित करने में रूकावट डालनेवाले लोग भी हैं एक तरफ़ से हम आज़रबैजान में बीजनेस विकासित करना चाहते हैं, बीजनेसमेन के स्तर बनाना चाहते हैं.लोगों को बीजनेस के गुणों के प्रति प्रेम उत्पन्न करना चाहते हैं, ऐसी स्थितियां बनाना चाहते हैं कि ताकि हरेक आदमी अपने काम से व्यस्त रहे, स्वतंत्र अर्थ-व्यस्था का विकास, बाजारी अर्थ-व्यस्था विकास चाहते हैं. लेकिन खेद है कि शासन में ऐसे लोग है जो हमें इस में रूकावट डालते हैं. क्षेत्रीय कार्यांग में कुछ मंत्रालय में नैरक़ानूनी, कानून कि रक्षा करनेवाले अंग में किये गये भूल हमें अपनी नीति चलाने में और काम करने में रूकावट बनाते हैं.

हमें अच्छा पता है कि लागू होनेवाली आर्थिक नीति, सुधार अर्थ-व्यस्था के उन्नति के साथ-साथ गरीब लोगों की स्थिति में बुरा प्रभाव ढालते हैं. इसी लिये हम अपनी नीति चलाते हुएइन सुधारों की सामाजिक गुण को विशेष ध्यान देते हैं. और भविष्य में भी यह हमारे ध्यान में होगा.

हम ग़रीब लोगों की हालत, जीवन-स्तर बढ़ाने के लिये फलप्राद कार्य करेंगे.

अर्थ-व्यस्था की उन्नति के अनुसार, अपनी कमाई, बजट बढ़ाकर हम अगले युग में वेतन, पेंशन, अनुदान बढ़ा देंगे. इस तरीक़े सेहम ग़रीब लोगों की स्थिति पर ध्यान देंगे. यह हमारा मुख़्य उद्देश्यों में से एक है.

इस सिलसिले में विशेष तौर पर हमारे ध्यान में आर्मेनियाई सशस्त्र दलों से अपने ज़मीन से बलपूर्वक भागा दिये गये हमारे नागरिकों की स्थिति होगी, आर्थिक अवस्था होगा. आज यह मनना पड़ेगा कि हम जितना भी करें, शिविर में रहनेवाले इन लोगों कि स्थिति फिर भी भारी है, गंभीर है. इन शिविरों में रहनेवाले लोगों को देखकर हरेक आदमी भयभीत होता है और यही भी सोचता है कि हमारी जनता कितना सहनशील है.

मैं क़ब्जे हुए क्षेत्रों में से भगाये और शिविरों में रहनेवाले इन लोगों से पहला मिला था और आख़िरी महीने भी मिला हूँ.यह कहा जा सकता है कि मैं ने अधिकांश शिविर नगरों के यात्रा किया था. शिविरों के अंदर गया, लोगों से बातचीत की और एक बार फिर उनकी स्थिति देखी है. सचमुच यह बड़ा सहन, बड़ी वीरताहै कि अपने घर, माल, रिशतेदार और क़रीब लोगों को खो देकर आजकल सख़्त गरमियों में और सरदियों में शिविर में जीवन गुजारते हैं.

मैं पहला बता चुका था और आज फिर दोहरा रहा हूँ कि हमें अधिक कार्य करना चाहिये ताकि इन लोगों की जीवन स्थिति आसान करवा सकें जब तक कि कब्जा हुअ क्षेत्र मुक्त न हो जाये. लेकिन राष्ट्र के कार्य के साथ हरेक आदमी, शासन में काम करनेवाले पदाधिकारी, हरेक नागरिक, जिसके पास साधन है, उन के बारे में सोचना हैं. यह हमारा राष्ट्रीय कर्त्तव्य है, यह हमारा नागरिक कर्त्तव्य है.

आज मैं घोषणा दे रहा हूँ कि मैं भविष्य में भी जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद कामियों को दूर करने के लिये शासन के अंगें के कार्य बहतर करवाने के लिये बड़ा काम करूँगा.

मंत्री मंडल का काम, मंत्रालयों में का काम सुधार होना चाहिये, आप को पता है, लेकिन मैं एक बार फिर कहना चाहता हूँ कि हम ने आख़िरीइन सालों में प्रजातंत्र की कार्यकारिणि में बड़े परिवर्तन किये हैं. कुछ मंत्रालय, राष्ट्रीय केमिटि और संस्थाऐं बन्द हो गये. उन के संपत्ति में हुए कारख़ाने, संगठन नीजिकरण किये गये या होनेवाले हैं. हमारे ये कार्य भविष्य में भी जारी होते रहेंगे और मंत्रालयों के ढाँचे में परिवर्तन और मंत्री मंडल के कार्य सुधार किये जायेंगे. अर्थ-व्यस्था के क्षेत्र में हम सारे काम विशव अनुभव प्रयोग करके युरोपियन संघ के आर्थिक आयोग से सहयोगी करते हैं, उनकी अनुशंसाऐं फलदायक प्रयोग करते हैं. आज मैं कहना चाहता हूँ कि हमें इन से बहुतलाभ मिलते हैं.

मैं ख़ूश हूँ कि हमारे इस क्षेत्र में किये गये काम, अर्थ-व्यस्था में सकारात्मक परिवर्तन, आर्थिक सुधार का लागू करना और इनके परिमाम अंतर्राष्टीय मुद्रा संघ और विश्व बैंक की तरफ़ से ऊंचा मूल्यांकन किया जाता है. मैं इस सहयोग के लिये अपना धन्यावाद प्रकट करना चाहता हूँ और आज घोषणा कर रहा हूँ कि हम भविष्य में भी बाज़ारी अर्थ-व्यस्था के रास्ते से, आर्थिक सुधार के रास्तेसे चलेंगे, विशव अर्थ-व्यवस्था से गहरा सहयोग करेंगे, विसव अनुभव का फलप्रद उपयोग करेंगे.

जनता से चुना गया राष्ट्रपति के तौर पर मैं घोषणा देता हूँ कि हम पूरी पक्षपातरहित से, सही तरीक़े से नयायपूर्ण से आज़रबैजान की आजकल की स्तिति को आँकते हैं. हम अपनी सफलताऐं और उस के साथ-साथ कामियां, भूल भी देखते हैं. इस लिये मैं आज़रबैजान के राष्ट्रपति के तौर पर अपने कार्य में अच्छे परिणाम पाने के लिये और मौजूद कामियों के दूर करने के लियेपूरा प्रयत्न करूँगा. आशा है कि हमें इस में सफलता मिल जायेगी.

गुजरे हुए पाँच सालों में आज़रबैजान में लोकतंत्रीय, विधिक, संसारीय राष्ट्र का निर्माण किया जाता है. आज़रबैजान लोकतंत्रीयता के रास्ते से चालते है. मैं आज एक बार और घोषणा कर रहा हूँ कि यह हमारा सामरिक रास्ता है और हम क्रमिक रूप से इस से चलेंगे और रास्ते से कभी हट न जायेंगे.

लोकतंत्रीय विकास का रास्ता, लोकतंत्रीयता के निर्माण का रास्ता किसी भी देश में, आज़रबैजान में भी शासन-विपक्ष के संबंध कहना है. बेशक लोकतंत्रीयता बनाते हुए उसका विकास करते हुए विपक्ष की मौजदगी को मानते है. इस के बिना लोकतंत्रीयता नहीं हो सकती है. इस लिये अपने भविष्य कार्य में मैं शासन-विपक्ष के संबंधों को नियंत्रित होना चाहूँगा, विश्व अनुभव प्रयोग करके उन को सामान्य स्तर तक पहूँचा देंगे. हम शासन में होनेवाले विपक्षका विद्यमान मानते हैं. इस कारक की आज़रबैजान की वास्ताविक्ता, उसके भविष्य में वास्ताविक्ता समझते हैं.

इस लिये शासन के द्वार हमेशा विपक्ष के लिये पारस्परिक मेल-लिलाप के लिये उन के साथ आवश्यक वार्ता चलाने के लिये कुले हैं. आशा है कि पाँच साल के एक दौरान गुजरने के बाद आज़रबैजान में राज्य सिद्धांत ढ़ृढ़ करने के बाद और आख़िरकर 11 अक्तुबर को आज़रबैजान में न्यायपूर्ण स्वतंत्र राष्ट्रपति के चुनाव आयोजित करने के बाद हमारे पास शासन-विपक्ष संबंध को नियंत्रित करने के लिये ज़्यादा संभावना हैं. आज़रबैजान के राष्ट्रपति और शासन हर किसी वार्ता, बातचीत के लिये तैयार हैं. मेरे विचार में आज़रबैजान के विपक्ष दलों को भी राष्ट्रीय हित, आज़रबैजान की स्वतंत्रता, उसका एक स्वतंत्र देश की तरह विकासित होना सब से महत्वपूर्ण बात समजना चाहिये और इन सिद्धांतों के अनुसार, उनके आधार पर हम सहयोग कर सकेंगे.

गुजरे हुए पाँच सालों में आज़रबैजान क्रमिक, सही विदेश नीति चलाया था.यह सपलतापूर्वक रहा और इसके परिणाम भी अनुकूल रहे. इसी लिये तो गुजरे हुए पाँच सालों में आज़रबैजान और दुनिया के अनेक देशों, विकासित देशों, बड़े सत्तों के बीच सहयोग स्थापित हुआ. आज़रबैजान से इन देशों को सरकारी यात्रा किये गये थे यहाँ पर अनेक देशों से राष्ट्रके सरकार, संसाद के अध्यक्ष,उच्च प्रतिनिधि मंडल यात्रा पर आये थे.

अनेक अंतर्राष्ट्रीय संविदा, समझौते किये गये. गुजरे हुए सालों में आज़रबैजान विभिन्न संगठनों में प्रतिनिधत्व हुआ था और इन में फलदायक रूप से कार्य करता रहा.

इस के परिणाम में आज़रबैजान को विश्व समाज में उचित स्थान मिला है. एक स्वतंत्र, लोकतंत्रीय, मुक्त अर्थ-व्यवस्था के रास्ते से चलनेवाला राष्ट्र के जैसे उसकी सारी दुनिया में मान्यता है और अनेक देश इस के साथ बड़ी दिल्चस्पी रखते हैं, आज़रबैजान के साथ गहरे संबंध स्थापित करने के लिये पहलक़दमी करते हैं अपनी विदेश नीति से आज़रबैजान पूरे कोकेशिया क्षेत्र की भी सेवा करता है. ट्रसेका कार्यक्रम के अनुसार किये गये कार्यों के परिणाम पर इस साल के 7-8 सितंबर को आज़रबैजान में उच्च स्तर के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलान आयोजित किया गया था,जो ऐतिहासिक सिल्क रॉड के पुनर्निर्माण के प्रश्नों से संबंधित था. इस में 32 दशों से प्रतिनिधियों ने, 9 देशों के राष्ट्रपतियों ने और प्रधान-मंत्रियों ने भी भाग लिये थे.इस सम्मेलान में 13 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिये थे. सिल्क रोड के कार्य मध्य-काल में रुक जाने से लेकर आज तक बाकू में पहले बार अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलान में ऐतिहासिक निर्णय पास किये गये थे. ग्रेट सिल्क रॉड के पुनर्निर्माण से संबंधित बाकू घोषणा-पात्र और संविदा पास किये गये.यह हमारे लिये ऐतिहासिक घटना है और इस के साथ साथ आज़रबैजान के महत्व का साबित करता है कि आज़रबैजान पूर्व और पश्चिम, यूरोप और ऐशिया को मिलाता है और आज़रबैजान के इस दिशा में किये गये कार्य के परिणाम दिखाता है.

हम युरोपियन महाद्विप में हैं, लेकिन यूरोप और ऐशिया के सीमा में होकर हमारा देश अपनी जनता के इतिहास, जातीय संस्कृति, ऐतिहासिक मूल और बुद्धि से पूर्व और पश्चिम, यूरोप और ऐशिया का मिश्रण बनाता है. इस लिये हम अपने ऐतिहासिक मिशन को सही समझते हैं और उसका पूरा होने के लिये आवश्यक काम किये गये हैं. मैं यह समझता हूँ कि बीकू सम्मेलान इस क्षेत्र में ऊँचा मूल्या के योग्य है.

हम भविष्य में भी इस दिशा में अपने कार्य जारी रखेंगे. हम अपनी विदेशी नीति भी जारी रखेंगे. आज़रबैजान शांतिपूर्ण देश है.हम संसार में कोकेशिया के क्षेत्र में शांति चाहते हैं, देश में शांति चाहते हैं और इस के लिये कोशिश करेंगे. 10 साल पहले आर्मेनिया की तरफ़ से आज़रबैजान के विरोध आरंभ किया गया आक्रमण युद्ध तक ले आया, आज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच में विवाद तक पहूँच गया और इस के साथ हमारे क्षेत्र में, कोकेशिया में शांति के उल्लेघन ले आया. पता है कि आज़रबैजान पर आर्मेनियाई आक्रमण के परिणाम पर विभिन्न कारणों से संबंधित आज़रबैजान के 20 प्रतिशत भूमि आर्मेनियाई सेना से कब्जे में लिये गये.

कब्जा किये गये क्षेत्रों से हमारे दस लाख से ज़्यादा देशवासी बलपूर्वक रूप से वहां से भगाये गये हैं और वे बहुत कठिन स्थितियों में रहते हैं. कब्जा हुआ क्षेत्रों पर ऐतिहासिक स्मारक, धर्मिक पवित्र स्थान, मस्जीदें सारे धन, हमारे देश के सारे अर्थ-व्यवस्था नष्ट कर दिये गये हैं. आज़रबैजान पर भारी चोट लग गयी, हजारों लोग शहीद हो गये, बालिदान हो गये, ख़ून बह गया, युद्ध के परिणाम पर दस हजारों अपाहिज हो गये, आज़रबैजान में शहीदों के परिवार पैदा हुए हैं. ये सब आर्मेनिया का आज़रबैजान पर आक्रमण के परिणाम हैं. आज़रबैजानी जनता ने किसी दूसरे देश पर हमला न किया है, वह अपनी प्रभुसत्ता, अपनी जमीन की रक्षा करती यी. आज़रबैजान के साहसी औलाद अपनी मातृभूमि, जमीन की रक्षा करते हुए शहीद हो गये. सेवियत शासन के 1990 को यहाँ पर किये हुए आक्रमण के परिणाम पर यहां ख़ून बहाया गया, निर्दोष लोग इस आक्रमण के परिणाम पर शहीद हो गये.

आज उदघाटन समारोह में स्वतंत्रता, प्रभुसत्ता, आज़रबैजानी भूमी की रक्षा के लिये मर गये उन सारे शहीदों के स्मृति पर सर झुका रहा हूँ और उनकी याद एक मिनट की मौन से करने के लिये आप से प्रार्थना कर रहा हूँ.

ख़ुदा इन सारे शहीदों को रहमत में, स्वर्ग में जगह फ़रमायें !

इन सारी जान-हानि के बावजूद आज़रबैजानी राष्ट्र आर्मेनियाई-आज़रबैजानी झगड़े को शांतिपूर्ण तरीक़े से हल करने के लिये प्रयत्न करता है. 1994 की मई में गोलीबारी रोकने के बारे में समझौता हो गया और संविदा किया गया था. इन गुज़रे हुए चार सालों में हम इस संविदा का पालन करके शांतिपूर्ण वार्त्ता जारी रखते हैं. गुज़रे हुए काल में आयोजित की गयी वार्त्ता और कार्य इस विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिये आधार बनाते हैं. इन समस्याओं की निपटारा युरोप में सुरक्षा और सहयोग संस्था (OSCE) और उसके मिन्सक ग्रूप को हवाला किया गया था.आजकल मिन्सक ग्रूप के आध्यक्ष तीन बड़े देश - रूस, संयुक्त राष्ट्र अमरीका और फ़ांस करते हैं. में मिन्सक ग्रूप के कार्यों का मूल्यांकन और विशेष तौर पर बुडापेश्त में 1994 को 1996 को लिस्बोन में युरोप में सुरक्षा और सहयोग संस्था(OSCE) की तरफ़ से पास किये गये निर्णय और घोषणा को ऊँचा मूल्यांकन करता हूँ. हम ने युरोप में सुरक्षा और सहयोग संस्था (OSCE) के मिन्सक ग्रूप के सहाध्यक्षों के 1997 के मध्यम में और 1998 के शुरू में किये गये प्रस्ताव को स्वीकार किये हैं और इन के आधार पर भविषय में सहयोग करने के लिये तैयार हैं.

लेकिन सब को युरोप में सुरक्षा और सहयोग संस्था (OSCE) के मिन्सक ग्रूप को पता होना चाहिये कि इस समस्य का शांतिपूर्ण तरीक़े से हल आज़रबैजान के क्षेत्रीय अखंडता पर आधार होना चाहिये. हम पहला भी और आजकल भी पड़ोस देश के भूमि पर आक्रमण न किया है और नहीं करेंगे. जब आज़रबैजान ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की तो हमें संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) की तरफ़ से मान्यता ली थी, हम अपने देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा, स्वतंत्र आज़रबैजान की सीमाओं के हद पर कर रहे हैं और करेंगे.

पहाड़ी कराबाग़, आर्मेनियाई-आज़रबैजानी झगड़े का हल सिर्फ़ इन सीमाओं पर किया जा सकता है. हम अपनी भूमी का एक भाग कभी किसी देश को नहीं दे सकते हैं. आज़रबैजान की सीमाओं की अखंडता हमारे लिये पवित्र है. हम भविष्य में इन पवित्र उद्देश्यों के सारे साधन, क्षमताऐं प्रयोग करके प्राप्त करने के लिये कोशिश करेंगे और आज़रबैजान की क्षेत्रीय अखंडता को बहाल करेंगे.

प्रिय मित्रो, प्रिय देशवासियो !

हम स्वतंत्र आज़रबैजान के विकास में नये युग पर क़दम रख रहे हैं. हमारे सामने बड़े उद्देश्य खड़े हैं.हम 21वीं शतब्दी की दिशा में चल रहे हैं. 20वीं शतब्दी आज़रबैजानी जनता के इतिहास में विशेष स्थान पर है, विशेष महत्व रखता है. 20वीं शतब्दी में आज़रबैजान को बड़ी कठिनाईयां का सामना तरना पड़ा.1918 को उस ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता प्राप्त की थी और बाद में खो दी थी. 70 साल के दौरान कठोर कम्यूनिस्ट स्थिति में रहता था. स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद आज़रबैजान के जीवन में बड़े परिवर्तन आये. दस साल पहले शुरू होनेवाला आर्मेनियाई आक्रमण ने इस हलत को और कठिन बना दिया, आज़रबैजान के विकास के लिये कठिनाईयां बना दी. लेकिन हम भविषय में आशवाद से देखते हैं ,मैं हमारे देश के भविषय को अच्छा देख रहा हूँ. हमारे ओर से किये गये काम और कार्य प्रजातंत्र के क्रमिक विकास, उन्नति के लिये स्थिति बना देंगे.

आज़रबैजान के भविषय जवानों के लिये है. हम अच्छा आधार, नींव डालते हैं. आजकल के जवानों के लिये, आज़रबैजान की भविषय की पीढ़ीयों के लिये मुख्य बात यह है कि स्वतंत्रत आज़रबैजानी राष्ट्र बन चुका है और उसका विकास, ढ़ृढता होनी चाहिये. आज़रबैजान की स्वतंत्रतता अटूट और नित्य है.हम चाहते हैं कि आज़रबैजान 21वीं शतब्दी में शाक्तिशाली, स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में प्रवेश करे. हम भविषय की पीढ़ीयों के लिये सौभाग्यशाली जीवन बनाना चाहते हैँ. हम आज़रबैजान की क्षमताऐं फ़लप्रद प्रयोग करके अर्थ-व्यवस्था विकास करना और आज़रबैजानी जनता की ख़ुशहाली बढ़ाना चाहते हैँ, हम संसार में उचित जगह पाने के लिये भविष्य में भी प्रयत्न करेंगे. हम विश्व के प्रगतिशील राष्ट्रों से सहयोग जारी रखेंगे. आज़रबैजान एक स्वतंत्रत लोकतंत्रीय देश जैसे विकासित होता जायेगा और युरोप और ऐशिया की सीमा पर बड़ा ऐतिहासिक महत्व रखेगा.

प्रिय देशबंधुओ, आप यक़ीन हो सकते हैं कि मैं इन मेरे उद्देश्यों को कितना कठिन और भारी, उत्तरदायित्व हेना मानता हूँ और मैं यही कहना चाहता हूँ कि आप का मुझ पर यह भरोसा कितना ऊँचा मूल्यकान करता हूँ. इस भरोसा को मैं बड़ा उत्तरदायित्व से मनता हूँ. आप को विश्वास दिला रहा हूँ कि इसको सही साबित करने के लिये अपनी पूरी कोशिशें करूँगा और आज़रबैजान के इन आनेवाले सालों में तीव्र विकास प्राप्त करने के लिये प्रयत्न करूँगा.

आज़रबैजानी जनता जिंदाबाद !

लोकतंत्रीय, शाक्तिशाली स्वतंत्र आज़रबैजान जिंदाबाद !