राष्ट्रीय असेम्बली के आदरणीय सदस्यगण तथा हमारे सभी अतिथि महोदय!
आज़रबैजान गणराज्य के राष्ट्रपति के रूप में मेरा चुनाव हो जाने के बाद राष्ट्रीय असेम्बली की बैठक बुलाना सम्भव नहीं था। मेरे विचार में सर्वोच्च सोवियत के अध्यक्ष के रूप में आज इस बैठक को संचालित करने का मेरे लिए यह अन्तिम अवसर है।
राष्ट्रीय असेम्बली तथा इसके सदस्यों के प्रति मैं इस बात पर आभार प्रकट करता हूँ कि हमने कई महीनों तक मिल-जुल कर काम किया, सर्वोच्च सोवियत के प्रतिनिधि के रूप में आपने मेरी सहायता की, मेरा विश्वास किया और सर्वोच्च सोवियत के अध्यक्ष के रूप में अपने कर्तव्यों को निभाने में राष्ट्रीय असेम्बली ने मुझे पूरा समर्थन प्रदान किया। मैं यह कहना चाहता हूँ कि इस दौरान काम करते हुए मुझे जो अनुभव हुआ उससे मेरे पिछले अनुभव व्यावहारिक दृष्टि से और भी अधिक समृद्ध हो गए हैं। कई महीनों तक राष्ट्रीय असेम्बली का निर्देशन करना, इसके अधिवेशनों का संचालन करना, सदस्यों के विचारों का निष्कर्ष प्रस्तुत करना तथा जटिल विषयों पर उचित निर्णय सुनिश्चित करना – यह सब मेरे लिए बड़े अनुभव प्रदान करने वाले विद्यालय के समान था। इन अनुभवों के लिए तथा हमारे सम्मिलित कामों के लिए मैं राष्ट्रीय असेम्बली का धन्यवाद करता हूँ।
इस दौरान हुए राष्ट्रीय असेम्बली के अधिवेशनों में लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों का सदा ही पालन किया गया। मेरी कोशिश यह रही थी कि यहाँ पर विचारों की बहुलता का हमेशा आदर किया जाए और असेम्बली के हरेक सदस्य की राय का ध्यान रखा जाए। कभी-कभी हमारी बैठकें बहुत लम्बी चल जाती थीं, ऐसा भी होता था कि किसी-किसी सांसद का भाषण समय की सीमा को लाँघ जाता था और कभी तो स्वयं मेरे भाषण और वक्तव्य भी निश्चित समय से लम्बे खिंच जाते थे। पर यह सब आवश्यकता के कारण होता था जिसका एकमात्र उद्देश्य यह होता था कि किसी मसले पर विचारों के व्यापक आदान-प्रदान, उस पर सोच-विचार और बहस के आधार पर ही सबसे सही और सबसे उचित निर्णय पर पहुँचा जाए। इसलिए मेरा यह मानना है कि इस सभागार में बीते इन महीनों में तथा राष्ट्रीय असेम्बली के काम में लगातार ही लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों का, सांसदीय शिष्टाचार का तथा संसदीय कार्य-प्रणाली के पालन का प्राधान्य रहा और मैं यह विश्वास व्यक्त करना चाहता हूँ कि आगे भी ऐसा ही होता रहेगा।
मैं एक बार फिर आप सबका धन्यवाद करता हूँ, असेम्बली के आगे के काम की और इसके सदस्यों की सफलता की कामना करता हूँ। राष्ट्रीय असेम्बली तथा जन प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति के रूप में मेरे चुनाव में भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया। आज़रबैजान में 4 जुलाई से जो विकट स्थिति और विरोध बढ़ता जा रहा था उसे दूर करना केवल राष्ट्रीय असेम्बली के निर्णयों के द्वारा ही सम्भव हो सका था। युद्ध के उस कठिन समय में कुछ शक्तियों द्वारा गृह-युद्ध शुरू करने तथा हमारे गणराज्य के टुकड़े करने का प्रयास इन निर्णयों के द्वारा ही विफल करना सम्भव हुआ था। यह सब राष्ट्रीय असेम्बली की गतिविधियों और इसके योगदान के फलस्वरूप ही हो सका था।
पिछले कुछ समय से राष्ट्रीय असेम्बली लगातार अपना मार्ग ढूँढने की स्थिति में है और इस स्थिति से उबरने का रास्ता खोजने में लगी हुई है। इस उद्देश्य से राष्ट्रीय असेम्बली ने अपना काम गम्भीरतापूर्वक और जिम्मेदारी के साथ निभाया है। इन दिनों पैदा हुई संकटपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए निर्णय लिए गए, पूर्व राष्ट्रपति के प्रति विश्वास प्रकट करने के लिए जनमतसंग्रह कराया गया तथा राष्ट्रपति के चुनाव का फैसला लिया गया। जनता ने, आज़रबैजान के मतदाताओं ने, राष्ट्रीय असेम्बली के फ़ैसलों का सम्मान करते हुए अपनी सम्मति अभिव्यक्त की और, अन्ततः, राष्ट्रपति के रूप में मेरा निर्वाचन हुआ।
10 अक्तूबर को राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण करने के बाद मैंने इस विषय में अपने कुछ विचार अभिव्यक्त किए थे। मैं फिर से यह कहना चाहता हूँ कि इतने ऊँचे पद ने मेरे ऊपर बड़ी भारी जिम्मेदारी डाल दी है और राष्ट्राध्यक्ष के नाते मुझे बहुत-से बड़े और कठिन काम करने होंगे। पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान आर्मेनिया के साथ लगे हुए हमारे गणराज्य के इलाकों में घटित हुई घटनाओं के परिणामस्वरूप पहले से चली आ रही समस्याएँ और भी अधिक उलझ गई हैं और उनका हल निकालना और भी अधिक जटिल हो गया है। कठिन और जटिल समस्याओं का हल निकालने के लिए और अपने उद्देश्यों को कार्यान्वित करने के लिए इस पद पर मुझे चुननेवाले मतदाताओं के विश्वास को सत्यापित करने की अपनी जिम्मेदारी को मैं पूरी तरह से समझता हूँ। मैं हमेशा ही राष्ट्रीय असेम्बली की गतिविधियों को आधार बना कर चलूँगा और सर्वोच्च सोवियत तथा राष्ट्रीय असेम्बली के साथ मिल कर ही अपना काम करता रहूँगा। भविष्य में भी मैं अपने क्रियाकलापों को लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों के आधार पर ही किया करूँगा जिनकी घोषणा हम पहले ही कर चुके हैं।
वर्तमान समय में - आर्थिक, सामाजिक-राजनीतिक संकट की इस घड़ी में – जब हमारा गणराज्य युद्ध की कठिन परिस्थितियों को झेल रहा है, हम सब लोगों को मिल कर राजकीय और राष्ट्रीय सहमति का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। इस सहमति को मज़बूत बनाने के लिए मैं कोई कसर नहीं छोड़ूँगा। मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि राष्ट्रीय असेम्बली के साथ मिल कर मैं इसी दिशा में काम करता रहूँगा।
मुझे मालूम है कि सीमावर्ती युद्ध-क्षेत्रों में उत्पन्न परिस्थितियों के मद्देनजर पिछले कुछ दिनों से ऐसे सुझाव आ रहे थे कि इन सवालों पर राष्ट्रीय असेम्बली के अधिवेशन में बहस की जाए। निस्सन्देह, इन पर बहस होनी चाहिए। लेकिन राष्ट्रीय असेम्बली के सदस्यों को यह तो मालूम ही है कि इन मसलों पर हमारा ध्यान लगातार केन्द्रित है। रक्षा परिषद की बैठक में वर्तमान स्थिति का विस्तार से विश्लेषण किया गया था और आवश्यक कदम भी उठाए गए थे। यह निर्णय लिया गया धा कि रक्षा मन्त्रालय तथा रक्षा यूनिटों के नेतृत्व में व्यापक बदलाव किए जाएँ। इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं जिनका उद्देश्य है आज़रबैजान गणराज्य की रक्षा-क्षमता को मज़बूत बनाना और अपनी जमीन की पूरी तरह से रक्षा करना।
इसके साथ ही शांति-वार्ता भी जारी है ताकि राजनयिक और राजनीतिक माध्यम से इस समस्या का पूरा हल निकाला जा सके।
मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि इन समस्याओं पर विचार-विमर्श और बहस न केवल राष्ट्रीय असेम्बली में ही होनी चाहिए बल्कि हमारे गणराज्य के सभी राजनीतिक और सामाजिक कर्णधारों के साथ भी इन पर चर्चा होनी चाहिए। हमारे गणराज्य के लिए इन कठिन दिनों में सभी को अपनी-अपनी ओर से प्रयास करने चाहिए, हमें मिल कर आवश्यक उपाय निर्धारित करने होंगे और उन्हें कार्यान्वित करना होगा।
समाचार-पत्र "बकीन्स्की रबोची", 11 नवम्बर 1993