आज़रबैजान गणराज्य की सशस्त्र सेनाओं के स्टाफ़ को किया गया सम्बोधन, बाकू, 25 जून 1999

सशस्त्र सेनाओं के आदरणीय जनरल, एडमिरल, अफ़सर, सूबेदार, वारंट अफ़सर, सार्जंट, जवान और नाविक!

आज़रबैजान गणराज्य े सशस्त्र सेना दिवस के अवसर पर मैं आप सबका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ और आप में से प्रत्येक के प्रति शुभकामनाएँ प्रकट करता हूँ।

स्वतन्त्रता हासिल करने के बाद हमारी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है हमारी राष्ट्रीय सेना का गठन। पिछले आठ सालों के दौरान हमारी सशस्त्र सेनाओं के स्टाफ़ की युद्ध की तैयारी में निरन्तर हो रहे सुधारों और उसकी तकनीकी क्षमता में हुई बढ़ोतरी ने आज़रबैजान की रक्षा-क्षमता में बहुत अधिक वृद्धि कर दी है। सेना के गठन, उसके अभ्यास, युद्ध की तैयारी और विभिन्न मोर्चों पर दुश्मन के साथ आमना-सामना होने पर हमारे सैनिकों द्वारा दिखाई गई बहादुरी और उनके द्वारा रोके गए आक्रमणों के बारे में जान कर हम सबको दिल से खुशी होती है। इस समय हमारे पास जो फ़ौज है वह आधुनिक शक्तिशाली हथियारों और तकनीक से लैस है, हमारे पास पूरी तरह से तैयार कमाण्डरों और सैनिकों का स्टाफ़ मौजूद है।

हमारी राष्ट्रीय सेना मातृभूमि के प्रति, जनता के प्रति तथा देश के प्रति अपने सम्मानजनक मिशन को पूरी तरह से समझती है, वह अपनी शारीरिक, सैन्य तथा नैतिक तैयारियों को लगातार आगे बढ़ाने में लगी हुई है और अपने उद्देश्यों को अच्छी तरह से पूरा कर रही है। सशस्त्र सेनाओं का हरेक व्यक्ति अच्छी तरह से यह जानता है कि शक्तिशाली और प्रबल सेना ही आज़रबैजान की राष्ट्रीय स्वतन्त्रता की रक्षा करने, हमारे देश की क्षेत्रीय अखण्डता को पुनर्स्थापित करने तथा शान्ति और अमन-चैन स्थापित करने की गारंटी का प्रमुख साधन है।

मातृभूमि की रक्षा के योग्य, देश की सुरक्षात्मकता को सुनिश्चित करने वाली और इस सुरक्षात्मकता की निरन्तर वृद्धि करने वाली सशस्त्र सेनाओं का गठन केवल राज्य का तथा सेना का ही काम नहीं है। मातृभूमि और स्वतन्त्र आज़रबैजान के प्रति अपने पावन कर्तव्य को समझते हुए आज़रबैजान के प्रत्येक नागरिक को ईमानदारी के साथ अपने सैन्य कर्तव्य का पालन करना चाहिए और सेना के गठन में हर तरह की मदद करनी चाहिए।

इस शुभ अवसर पर देश की प्रभुसत्ता, आज़ादी, क्षेत्रीय अखण्डता और राज्यत्व के नाम पर शहीद हुए अपने बेटों के बलिदान को याद करते हुए उनके सगे-सम्बन्धियों को मैं अपनी सहानुभूति व्यक्त करता हूँ और उन्हें स्मरण करते हुए शीश-नमन करता हूँ।

मेरा विश्वास है कि हमारी सशस्त्र सेनाओं के सैनिक मातृभूमि और जनता के लिए ली गई अपनी सैन्य-शपथ के प्रति भविष्य में भी निष्ठावान बने रहेंगे और किसी भी क्षण हमारी भूमि को दुश्मन से मुक्त करवाने के लिए सेवा का उदाहरण प्रस्तुत करने तथा हमारे शहीदों की रूहों को खुश करने को तैयार रहेंगे।

मैं अपनी राष्ट्रीय सेना के प्रत्येक सैनिक के स्वास्थ्य, सौभाग्य और पारिवारिक सुख की कामना करता हूँ। मेरी यह कामना है कि हमारे सैनिकों को हमारे गणराज्य की प्रभुसत्ता और स्वतन्त्रता को मज़बूत बनाने और देश की क्षेत्रीय अखण्डता की पुनर्स्थापना करने में सफलता प्राप्त हो तथा हमारी मातृभूमि की सैन्य-शक्ति में वृद्धि होती रहे।

हैदर अलीयेव

आज़रबैजान गणतन्त्र के राष्ट्रपति

सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च सेनापति

समाचार-पत्र \"बकीन्स्की रबोची\", 26 जून 1999